सरकार ने 9 साल में डूबा हुआ 10 लाख करोड़ का कर्ज वसूला, वित्त मंत्री ने दी जानकारी, जानें- क्या होता है NPA
Modi Government Recovered 10 Lakh Crore Bad Loan : केंद्र सरकार ने पिछले 9 साल में डूबा हुआ कई लाख करोड़ रुपये का कर्ज वसूला है। यह जानकारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने साल 2014 से 2023 के बीच करीब 10 लाख करोड़ रुपये का कर्ज वसूला है। वित्त मंत्री ने कहा कि प्रवर्तन मंत्रालय (ED) ने बैंक धोखाधड़ी के करीब 1100 मामलों की जांच की। इनमें करीब 65 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई। वहीं सार्वजनिक बैंकों को 15,183 करोड़ रुपये की संपत्ति वापस की गई। उन्होंने कहा कि इस दौरान बैंकों ने 3 लाख करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया। इस दौरान उन्होंने कर्ज वापसी को लेकर विपक्ष पर भी निशाना साधा।
फोन बैंकिंग को बताया जिम्मेदार
वित्त मंत्री ने कहा कि जो भी रकम कर्ज में डूबी थी, उसके लिए 'फोन बैंकिंग' जिम्मेदार रही। यह यूपीए सरकार में शुरू की गई थी। उन्होंने यूपीए पर आरोप लगाते हुए कहा कि फोन बैंकिंग के जरिए अयोग्य कारोबारियों को लोन दिया गया, जिसके कारण काफी रकम कर्ज में फंस गई और यह NPA (Non Performing Assets) हो गई। एनपीए फंसा हुआ कर्ज होता है। दरअसल, जब कोई शख्स बैंक से लोन लेता है और उसे चुका नहीं पाता तो वह रकम फंस जाती है। बैंक उस रकम को वापस पाने के लिए कई प्रयास करता है। जब सारे प्रयास फेल हो जाते हैं और वह रकम नहीं निकल पाती तो बैंक उसे एनपीए घोषित कर देता है।
बैंकिंग क्षेत्र को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है। हाल ही में भारत के बैंकिंग क्षेत्र ने 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध लाभ (net profit) दर्ज करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।
यह 2014 से पहले की स्थिति के बिल्कुल विपरीत है जब @INCIndia के नेतृत्व वाली यूपीए… https://t.co/NKdbxKxFQf
— Nirmala Sitharaman Office (@nsitharamanoffc) May 31, 2024
3 कैटेगरी में बंटा होता है एनपीए
जब कोई शख्स EMI की तारीख निकलने के 90 दिनों तक लोन की रकम नहीं चुका पाता है तो उसे एनपीए में डाल दिया जाता है। बैंक की ओर से एनपीए को 3 कैटेगरी में बांटा जाता है:
1. सब स्टैंडर्ड एसेट्स : जब कोई शख्स 90 दिनों तक लोन नहीं चुका पाता है तो उसके अकाउंट को एक साल के लिए सब स्टैंडर्ड असेट्स की कैटेगरी में रखा जाता है।
2. डाउटफुल असेट्स : एक बाद भी बैंक लोन की रकम वापस लेने के प्रयास करता है। हालांकि एक साल बाद सब स्टैंडर्ड असेट्स से लोन के खातों को डाउटफुल असेट्स में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
3. लॉस असेट्स : जब बैंक को लगता है कि लोन लेने वाले से अब रकम वापस लेने की संभावना पूरी तरह खत्म हो चुकी है तो उस रकम को लॉस असेट्स माना जाता है।
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लोन न चुकाने पर क्या होता है
अगर कोई शख्स नहीं चुका पाता और उसका अकाउंट एनपीए कैटेगरी में आ जाता है तो उस शख्स का सिबिल स्कोर खराब हो जाता है। ऐसे में उस शख्स को अगली बार लोन लेने में परेशानी का सामना करना होगा। और अगर लोन मिल भी गया तो उसके लिए अधिक ब्याज का भुगतान करना होगा।