Noel Tata टाटा ग्रुप में क्या भूमिका निभाएंगे? वे क्यों नहीं बन सकते कंपनी और ट्रस्ट दोनों के चेयरमैन
Noel Tata Role in Tata Group: रतन टाटा के निधन के बाद उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को ग्रुप के दोनों ट्रस्ट का चेयरमैन बनाया गया है। नोएल टाटा इस समय सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी ट्रस्ट के चेयरमैन हैं, लेकिन अब चर्चा छिड़ी है कि क्या वे अपनी नई भूमिका के लिए मौजूदा पदों में से कुछ पद छोड़ेंगे, जिनमें कंपनियों के चेयरमैन के पद भी शामिल हैं। सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी ट्रस्ट के पास टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड के 66 प्रतिशत से अधिक शेयर हैं।
टाटा संस टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी है । बेशक ट्रस्ट के पास 2 तिहाई ग्रुप के शेयर हैं, लेकिन सारा कारोबार ट्रस्ट और संस के बीच बंटा हुआ है और दोनों के अलग-अलग काम और अलग-अलग चेयरमैन हैं। दोनों की अपनी सीमाएं हैं, लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या कोई एक व्यक्ति ट्रस्ट और संस का चेयरमैन हो सकता है? टाटा समूह के एसोसिएशन के आर्टिकल्स क्या कहते हैं? क्या टाटा ट्रस्ट ने कानूनी तौर पर उन पर प्रतिबंध लगाया है?
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टाटा ग्रुप में दोनों ट्रस्टों की स्थिति
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सर रतन ट्रस्ट और दोराबाजी ट्रस्ट टाटा संस में स्टेकहोल्डर हैं, जो समूह की होल्डिंग कंपनी है। दोनों ट्रस्टों का काम डेली के काम मैनेज करने के लिए नियुक्त कॉर्पोरेट सेक्टर का काम देखना है, जबकि टाटा संस को नए सेक्टर्स में कंपनियां खोलने और उनका संचालन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। साल 2022 में रतन टाटा ने सुनिश्चित कर दिया था कि ट्रस्ट और होल्डिंग कंपनी के पास अलग-अलग बोर्ड गवर्नेंस होंगे। बोर्ड के सदस्यों का ओवरलैप हो सकता है, लेकिन दोनों का अध्यक्ष एक ही नहीं होगा।
हालांकि दोनों ट्रस्ट नोएल टाटा को कानूनी तौर पर अन्य पद संभालने से नहीं रोक सकते। वहीं टाटा ग्रुप एसोसिएशन इसी उद्देश्य से बनाया गया था कि इसके नियम उस स्थिति में हितों के टकराव को रोकेंगे, अगर एक व्यक्ति दोनों ट्रस्टों और टाटा संस का चेयरमैन बन जाए, फिर भी नोएल टाटा दोनों के चेयरमैन नहीं बन सकते। साल 2017 में साइरस मिस्त्री को टाटा संस के बोर्ड से हटाए जाने के बाद टाटा संस को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में बदल दिया गया था। साइरस मिस्त्री को हटाए जाने के बाद, टाटा संस और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट व सर रतन टाटा ट्रस्ट के संबंधों पर सवाल उठे थे।
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रतन टाटा ने इस तरह सुलझाया विवाद
विवाद को देखते हुए रतन टाटा ने साल 2022 में टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका निभाते हुए ट्रस्ट और संस दोनों की सीमाएं सुनिश्चत कर दीं। दोनों ट्रस्टों के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि ट्रस्ट के ट्रस्टियों की टाटा संस के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के अध्यक्ष की नियुक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका हो। वित्त वर्ष 2022 की वार्षिक बैठक में रतन टाटा ने अनुच्छेद 118 में संशोधन की मांग की, जो टाटा संस के बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति को नियंत्रित करता है। संशोधन में कहा गया कि बशर्ते कि कोई व्यक्ति सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट या सर रतन टाटा ट्रस्ट या दोनों का अध्यक्ष है, वह टाटा संस का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बनने के लिए पात्र नहीं होगा।