Success Story: उधार लेकर खड़ा किया 1600 करोड़ का एम्पायर; जानिए ऋचा कर की कहानी
Success Story: बीते कुछ सालों में महिलाओं ने बिजनेस जगत में अपनी जगह बनानी शुरू कर दी है। अक्सर हम ऐसी महिलाओं के बारे नें सुनते हैं, जिन्होंने अर्श से फर्श तक का सफर तय किया है। इस लिस्ट में ऋचा कर का नाम भी शामिल है। ऋचा ने जाने माने ऑनलाइन लॉन्जरी ब्रांड जिवामे की शुरुआत की है, जिसने कुछ ही सालों में अपनी पहचान बना ली है। ये ब्रांड उन महिलाओं के लिए एक अच्छी पहल है, जो ऑफलाइन जाकर लॉन्जरी शॉपिंग करने में हिचकिचाती हैं।
ऋचा ने अपने दोस्तों और मां से उधार लेकर इस बिजनेस को शुरू किया और केवल कुछ सालों में ये बिजनेस 1600 करोड़ का हो गया। ऋचा के लिए ये सफर आसान नहीं था। आइये ऋचा की सक्सेस स्टोरी के बारे में जानते हैं।
देसी विक्टोरिया सीक्रेट
विक्टोरिया सीक्रेट की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है, जिसे दुनिया भर के अनेकों देशों में पसंद किया जाता है। जिवामे केवल कुछ ही सालों में भारतीय मार्केट में इतनी फेमस हो गया कि ग्राहकों ने इसे देसी विक्टोरिया सीक्रेट का नाम दे दिया। इसने महिलाओं की अहम समस्या को दूर करते हुए उनको लॉन्जरी के अनगिनत ऑप्शन दे दिए। ऑनलाइन लॉन्जरी ब्रांड जिवामे की शुरुआत 2011 में की गई थी। अब रिचा कंपनी की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल हैं।
कहां से मिली प्रेरणा
जमशेदपुर में जन्मी ऋचा अपने माता पिता के साथ रहती थी और उनके पिता टाटा स्टील में काम करते थे। ऋचा ने 2007 में SBKM के नरसी मोनजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (NMIMS) से पीजी डिप्लोमा किया। इसके बाद यहीं से उन्होंने अपनी मास्टर्स डिग्री भी हासिल कर ली थी। स्पेंसर और एसएपी रिटेल कंसल्टेंसी जैसी कंपनियों से एक्सपीरियंस लेकर उन्होंने खुद का बिजनेस शुरू करने की सोची और इसके लिए तैयारी शुरू कर दी।
कंसल्टेंसी में काम करते हुए ही ऋचा कर ने विक्टोरिया सीक्रेट की ऑनलाइन सेल पर नजर रखना शुरू कर दिया। इससे एक बात साफ हो गई की भारतीय महिलाएं लॉन्जरी शॉपिंग में कई तरह की चुनौतियों का सामना करती हैं। इसने ऋचा को एक ऐसे ब्रांड की शुरुआत करने के लिए प्रेरित किया, जिसे हम जिवामे के नाम से जानते हैं।
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किया चुनौतियों का सामना
ऋचा के लिए ये सफर आसान नहीं था, क्योंकि उनके अपने माता-पिता भी इस प्लान के सपोर्ट में नहीं थे। जहां पिता जी ने थोड़ी हिचकिचाहट दिखाई, वही ऋचा की मां ने इसके लिए सीधे मना कर दिया। उनकी मां इस आइडिया से शर्मिंदा थी। भारतीय समाज में इस विचारधारा का होना आम बात है।
मगर ऋचा ने हार नहीं मानी और अपने दोस्तों से फंड जुटाना शुरू किया, बाद में उनकी मां ने भी इसमें उनका साथ दिया और अपनी सेविंग से कुछ राशि निकाल कर दी और रिश्तेदारों को भी राजी कर लिया। आखिर में लगभग 35 लाख के साथ ऋचा ने 2011 में जिवामे की शुरुआत की। जिवामे का मतलब Radiant Me होता है।
रतन टाटा भी हुए आकर्षित
एक छोटे इनरवियर कंपनी की तरह शुरुआत करके आज ये एक बड़ा लॉन्जरी ब्रांड बन गया है। रिपोर्ट में बताया गया कि 2020 के फंडरेजिंग राउंड में जिवामे की वैल्यू 200 मिलियन डॉलर यानी 1670 करोड रुपये के बराबर थी। ब्रांड की लोकप्रियता ने रतन टाटा का भी ध्यान आकर्षित किया और 2015 में टाटा इसमें इन्वेस्ट करने वाली सबसे पहले इन्वेस्टर बनी।
बता दें कि मई 2012 में, ऋचा को 3 मिलियन डॉलर की पहली बड़ी फंडिंग मिली और 2015 में यह 40 मिलियन डॉलर तक पहुंच गई। इसके बाद अपने बिजनेस को ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन लाने के ऋचा कर ने भारत भर में फिजिकल स्टोर खोलने का फैसला किया, जिससे इसे टियर 2 और टियर 3 शहरों में भी पहुंचाया जा सके।
ऋचा ने 2017 में सीईओ के पद से इस्तीफा दे दिया मगर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल होकर कंपनी का हिस्सा बनी रहीं। 2020 में मुकेश अंबानी ने रिलायंस रिटेल के माध्यम से जिवामे को ओवरटेक कर लिया, लेकिन ऋचा ने अपना हिस्सा बरकरार रखा।