whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.

भारत की ‘लंगर ट्रेन’ कौन सी? जहां फ्री मिलता खाना, यात्री साथ लाते हैं अपने बर्तन!

Sachkhand Express: ट्रेन में सफर के दौरान आपको खाने के लिए अलग से पैसे देने पड़ते हैं। टिकट बुक करते समय ही फूड ऐड करना है कि नहीं इसका ऑप्शन दिया जाता है। लेकिन एक ट्रेन ऐसी भी है जो फ्री में खाना खिलाती है।
11:21 AM Sep 16, 2024 IST | Shabnaz
भारत की ‘लंगर ट्रेन’ कौन सी  जहां फ्री मिलता खाना  यात्री साथ लाते हैं अपने बर्तन

Sachkhand Express: सचखंड एक्सप्रेस में सभी यात्रियों के लिए फ्री में खाने का इंतजाम किया जाता है। साफ तौर पर कहें तो इस ट्रेन के मुसाफिरों के लिए स्पेशल लंगर लगाया जाता है। सचखंड एक्सप्रेस 39 स्टेशनों पर रुकती है, इस दौरान 6 स्टेशनों पर लंगर लगता है। नई दिल्ली और डबरा स्टेशन पर दोनों तरफ से सचखंड एक्सप्रेस में लंगर लगता है। जिसके लिए यात्री पहले ही तैयारी करके आते हैं, इस दौरान सभी के हाथ में अपने बर्तन होते हैं।

29 साल से खिलाया जा रहा लंगर

अमृतसर-नांदेड़ सचखंड एक्सप्रेस में 29 साल से यात्रियों को फ्री खाना खिलाया जा रहा है। इस ट्रेन में भोजन ले जाने की जरूरत नहीं, बल्कि 2081 किमी के सफर में यात्रियों को लंगर दिया जाता है। सचखंड एक्सप्रेस में पैंट्री भी है, लेकिन यहां पर खाना नहीं बनता है। क्योंकि जिस वक्त नाश्ते का समय होता है, उस स्टेशन पर लंगर लगा होता है, जिससे खाना बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ती है।

ये भी पढ़ें: कर लो फिर से पैसे डबल…आ रहे हैं 5 नए IPO, जानें शेयर प्राइस से लेकर सभी डिटेल्स

अपने बर्तन लेकर आते हैं यात्री

सचखंड एक्सप्रेस में कोई अमीर गरीब नहीं होता है। यहां पर हर कोई इस लंगर का इंतजार करता है। इसके लिए जनरल से लेकर एसी कोच तक में यात्रियों के पास बर्तन होते हैं। सचखंड एक्सप्रेस सिखों के 5 सबसे बड़े गुरुद्वारों में से 2 अमृतसर के श्री हरमंदर साहिब और नांदेड़ (महाराष्ट्र) के श्री हजूर साहिब सचखंड को जोड़ती है। सिखों की मांग पर 1995 में साप्ताहिक सचखंड एक्सप्रेस शुरू की गई, तब से इसमें लंगर लगता है।

बदलता रहता है मेनू

लंगर का मेनू रोज बदला जाता है। इसका खर्च गुरुद्वारों को मिलने वाले दान से निकलता है। आमतौर पर कढ़ी-चावल, छोले, दाल, खिचड़ी,की सब्जी, आलू-गोभी की सब्जी, साग-भाजी मिलती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 29 सालों में एक भी दिन ऐसा नहीं हुआ जब यहां पर खाना ना खिलाया गया हो। ये ट्रेन अगर लेट भी होती है तो सेवादार इंतजार में खड़े रहते हैं। रोज करीब 2000 लोगों के लिए लंगर तैयार किया जाता है।

क्या है इस ट्रेन का इतिहास?

ट्रेन को नांदेड़ और अमृतसर के बीच एक्सप्रेस सेवा के उद्देश्य से चलाया गया था। 1995 में ये हफ्ते में एक बार चलाया जाता था। इसके बाद इसमें थोड़ा बदलाव करके हफ्ते में दो बार चलाया गया। 1997-1998 के दौरान ये हफ्ते में 5 दिन चलने लगी। 2007 में इसका संचालन दैनिक तौर पर किया जाने लगा। इस ट्रेन में लंगर सभी को दिया जाता है। जानकारी के मुताबिक, इस लंगर की शुरुआत सिख व्यापारी ने की थी, जिसको बाद में गुरुद्वारे ने जारी रखा है।

ये भी पढ़ें: Paytm या PhonePe से हेल्थ बीमा करने से पहले जानें ये 3 बातें, वरना हो सकता है सस्ते के चक्कर में नुकसान!

Open in App Tags :
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो