होमखेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

SBI Report: भारत में हर साल उगाई जाती हैं इतनी फल-सब्जियां, पैदावार-मुद्रास्फीति पर भी खुलासे

SBI Report on Inflation: भारत में मुद्रास्फीति और फल-सब्जियों की पैदावार पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट सामने आई है। इसमें मुद्रास्फीति में गिरावट, बढ़ोतरी और इसके कारणों का जिक्र हैं। फल-सब्जियों की पैदावार के आंकड़े भी शामिल किए गए हैं।
01:13 PM Dec 15, 2024 IST | Khushbu Goyal
Fruits Vegetables
Advertisement

Fruits Vegetables Per Capita Availability: भारत में फलों और सब्जियों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता पिछले 10 की तुलना में काफी बढ़ी है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 साल की तुलना में साल 2024 में फलों की उपलब्धता में 7 किलोग्राम और सब्जियों की उपलब्धता में 12 किलोग्राम का इजाफा हुआ है।

Advertisement

भारत में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष लगभग 227 किलोग्राम फल और सब्जियां उगाई जाती हैं, जो प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 146 किलोग्राम की जरूरत की तुलना में काफी अधिक है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में फल और सब्जी के उत्पादन में वृद्धि देखी गई है, कई पूर्वोत्तर राज्यों में प्रति व्यक्ति उत्पादन में गिरावट भी दर्ज की गई है।

यह भी पढ़ें:Pushpa की तरह फायर है Mushroom की खेती, यकीन न हो तो इनकी कमाई देख लीजिये

तापमान में एक प्रतिशत की वृद्धि भी नुकसान करा सकती

Advertisement

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष लगभग 227 किलोग्राम फल और सब्जियां उगाई जाती हैं, लेकिन 30 से 35 प्रतिशत फल और सब्जियां जल्दी खराब होने वाले नेचर की होती हैं। वहीं कटाई, भंडारण, परिवहन और पैकेजिंग के समय भी फल-सब्जियां नष्ट हो जाती हैं। यह नुकसान फल-सब्जियों की खपत को प्रभावित करता है।

रिपोर्ट में हाल ही के वर्षों में कृषि उत्पादन पर मौसम की स्थितियों जैसे गर्मी और शीत लहर के नकारात्मक प्रभाव पर भी प्रकाश डाला गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अनुसार, फसल में दाना भरने की अवधि के समय तापमान में 30 डिग्री सेल्सियस से 1 डिग्री ज्यादा की वृद्धि होने से भी गेहूं की पैदावार में 3-4 प्रतिशत की कमी आ सकती है।

यह भी पढ़ें:2024 में Wild Fire साबित हुए ये 5 Penny Stocks, प्रॉफिट सुन घूम जाएगा सिर

एक महीने में खाद्य मुद्रास्फीति में काफी गिरावट आई

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर 2024 में घटकर 5.48 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने के 6 साल के सबसे हाई पॉइंट 6 प्रतिशत से कम है। इस गिरावट का एक प्रमुख कारण सब्जियों की कीमतों में तेजी से आई गिरावट थी, जो अक्टूबर में 42.2 प्रतिशत से नवंबर में 29.3 प्रतिशत तक गिर गई।

हालांकि, नवंबर में प्रोटीन मुद्रास्फीति में कुछ वृद्धि देखी गई, जिसने कुल मुद्रास्फीति में वृद्धि की, लेकिन रिपोर्ट यह भी बताती है कि खाद्य पदार्थों की कीमतों से प्रेरित होने वाली मुद्रास्फीति साल 2025 के वित्तीय वर्ष के लिए औसतन 4.8 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जिसमें ऊपर की ओर झुकाव होगा। ईंधन की कीमतों में नरमी के बावजूद खाद्य पदार्थों की कीमतें मुद्रास्फीति का मुख्य कारण बनी हुई हैं।

यह भी पढ़ें:Max Life Insurance का बदल गया है नाम, क्या आपको है खबर?

इस वजहों से राज्यों की मुद्रास्फीति में गिरावट आई

दिलचस्प बात यह है कि रिपोर्ट से पता चलता है कि भारतीय राज्यों में मुद्रास्फीति का स्तर 4 प्रतिशत के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। पिछले दशक में, कम आय वाले राज्यों की तुलना में मध्यम और उच्च आय वाले राज्यों में खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी से गिरावट देखी गई। इसका कारण रोजगार के अवसरों की तलाश में कम आय वाले राज्यों से उच्च आय वाले राज्यों में श्रमिकों का प्रवास करना है, जिसके परिणामस्वरूप मुद्रास्फीति में तेजी आती है।

गैर-कृषि मजदूरों की मजदूरी में वृद्धि होने से भी खाद्य मुद्रास्फीति पर न्यूनतम प्रभाव पड़ता है। गैर-कृषि मजदूरों के लिए औसत दैनिक मजदूरी दर और ग्रामीण मुद्रास्फीति में बहुत कम संबंध दिखा है, जो दर्शाता है कि मजदूरी वृद्धि खाद्य कीमतों में वृद्धि में योगदान नहीं देती है।

यह भी पढ़ें:Switzerland ने इंडिया पर फोड़ा TAX ‘बम’, MFN दर्जा किया खत्म, समझे इसके मायने

Open in App
Advertisement
Tags :
Business Newsinflation newsState Bank of India
Advertisement
Advertisement