अडानी ग्रुप मामले में हिंडनबर्ग को SEBI ने भेजा 46 पेज का नोटिस, अमेरिकी फर्म का आरोप- पर्दे के पीछे से हो रही मदद
SEBI Show Cause Notice To Hindenburg : अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की ओर से पिछले साल अडानी ग्रुप पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर अब SEBI भी कूद पड़ा है। हिंडनबर्ग का कहना है कि उन्हें भारतीय मार्केट रेगुलेटर SEBI की ओर से 27 जून को एक कारण बताओ नोटिस मिला है। इसमें अडानी ग्रुप पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को गलत और भ्रामक बताया गया है। साथ ही कहा गया है कि हिंडनबर्ग ने भारतीय नियमों का उल्लंघन किया है। नोटिस मिलने के बाद हिंडनबर्ग ने SEBI को घेरते हुए आरोप लगाया कि सेबी ने अडानी ग्रुप को संकट से निकालने में मदद की। हिंडनबर्ग ने यह रिपोर्ट पिछले साल जनवरी में जारी की थी।
क्या लिखा है नोटिस में
अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग ने इस नोटिस के बारे में अपने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा है। यह पोस्ट 1 जुलाई को की गई। हिंडनबर्ग ने कहा कि यह नोटिस 46 पेज का है। इस नोटिस में सेबी ने आरोप लगाया कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में ‘कुछ गलत बयानी/असत्य कथन’ थे जो पाठकों को गुमराह करने के लिए थे। इस नोटिस को लेकर हिंडनबर्ग ने सेबी को कटघरे में खड़ा किया और कहा कि सेबी ने अपनी जिम्मेदारी की उपेक्षा की है। अमेरिकी फर्म ने अडानी ग्रुप पर पर्दे के पीछे से मदद करने का आरोप लगाया।
The two most interesting parts, at least to me, of Hindenburg Research’s public response to Sebi’s show-cause notice:
1. Only one other (unnamed) investor involved in the structure used to short Adani outside India.
2. Kotak Bank created and oversaw the offshore structure. pic.twitter.com/rp9mbqqfDo— Andy Mukherjee (@andymukherjee70) July 2, 2024
हिंडनबर्ग ने सेबी पर लगाए अडानी ग्रुप को बचाने के आरोप
इस नोटिस के बाद हिंडनबर्ग ने भी अपना हमला तेज कर दिया। इस रिसर्च फर्म ने कहा कि रिपोर्ट आने के बाद सेबी ने अडानी ग्रुप को बचाना और संकट से निकालना शुरू कर दिया। हिंडनबर्ग ने सेबी पर ये आरोप लगाए:
- ऐसा लगता है कि सेबी फ्रॉड करने वालों से निवेशकों की रक्षा करने के बजाय फ्रॉड करने वालों की रक्षा कर रहा है।
- साथ ही हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि SEBI ने पर्दे के पीछे ब्रोकर्स पर अडानी के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन्स को क्लोज करने का दबाव डाला। इस कारण खरीदारी का दबाव बना और महत्वपूर्ण समय में अडानी ग्रुप के शेयरों को मदद मिली।
- हिंडनबर्ग ने यह भी कहा कि गौतम अदानी ने साल 2022 में दो बार सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच से मुलाकात की थी। हिंडनबर्ग ने कहा कि यह आत्मविश्वास शायद सेबी के साथ अदानी के संबंधों के कारण हो सकता है।
कोटक बैंक का भी नाम आया सामने
इस मामले में हिंडनबर्ग ने कोटक महिंद्रा बैंक का भी नाम लिया है। इस अमेरिकी फर्म ने कहा कि कोटक बैंक ने एक ऑफशोर फंड स्ट्रक्चर बनाया। इस स्ट्रक्चर का इस्तेमाल हिंडनबर्ग के इंवेस्टर पार्टनर ने अडानी ग्रुप के खिलाफ बेट लगाने के लिए किया। हिंडनबर्ग ने कहा कि उसने इंवेस्टर रिलेशनशिप के जरिए 41 लाख डॉलर (करीब 34 करोड़ रुपये) का रेवेन्यू कमाया और अडानी के अमेरिकी बॉन्ड पर अपनी शॉर्ट पोजीशन से केवल 31 हजार डॉलर (करीब 26 लाख रुपये) कमाए। हालांकि कंपनी ने इंवेस्टर का नाम नहीं बताया है।
Adani Update – Our Response To India’s Securities Regulator SEBIhttps://t.co/4IIF948v0j
— Hindenburg Research (@HindenburgRes) July 1, 2024
RTI फाइल करेगा हिंडनबर्ग
अमेरिकी फर्म ने कहा कि वह एक RTI (सूचना का अधिकार) एप्लीकेशन फाइल करेगा। इस एप्लीकेशन में सेबी के उन कर्मचारियों के नाम मांगे जाएंगे जो अदानी और हिंडनबर्ग मामलों पर काम कर रहे थे। साथ ही सेबी, अदानी और उसके विभिन्न प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक और कॉल का विवरण भी मांगा जाएगा। हिंडनबर्ग ने कहा कि हम सेबी की प्रतिक्रिया का इंतजार करेंगे कि क्या वह अपनी जांच पर बुनियादी पारदर्शिता प्रदान करेगा।
क्या लगे थे अडानी ग्रुप पर आरोप
हिंडनबर्ग ने पिछले साल जनवरी में एक रिसर्च प्रकाशित की थी। इसमें अडानी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग और शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगे थे। इन आरोपों के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। इस रिपोर्ट से पहले अडानी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर करीब 4 हजार रुपये पर था। इस रिपोर्ट के बाद यह शेयर करीब एक हजार रुपये पर आ गया था। हालांकि करीब एक महीने बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में रिकवरी होनी शुरू हो गई थी।
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