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सत्ता में तीसरी बार मोदी सरकार पर शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव क्यों? 5 कारण

Why Does The Stock Market Fluctuate : शेयर मार्केट में फिर से उतार-चढ़ाव का दौर शुरू हो गया है। ऐसे में निवेशकों के मन में चिंता है कि जब मार्केट में सब कुछ सही है और केंद्र में फिर से मोदी की सरकार आ गई है तो मार्केट में ऐसी स्थिति क्यों है? दरअसल, मार्केट के ऊपर-नीचे होने के कई कारण होते हैं। जानें, ऐसे ही 5 कारणों के बारे में:
06:50 PM Jun 11, 2024 IST | Rajesh Bharti
सत्ता में तीसरी बार मोदी सरकार पर शेयर मार्केट में उतार चढ़ाव क्यों  5 कारण
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Why Does The Stock Market Fluctuate : शेयर मार्केट में पिछले दो दिन से उतार-चढ़ाव जारी है। मंगलवार को सेंसेक्स कुछ अंक गिर गया। हालांकि यह गिरावट मामूली है लेकिन लोगों के दिल में एक डर सा बैठा हुआ है। कारण है कि पिछले 11 दिन शेयर मार्केट में बड़े उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं और रिकॉर्ड बने हैं। एग्जिट पोल से पहले उतार-चढ़ाव रहा। एग्जिट पोल से अगले दिन मार्केट रॉकेट बन गई थी। लोकसभा चुनाव के परिणाम वाले दिन मार्केट में जबरदस्त गिरावट आई। हालांकि इसके बाद मार्केट संभली और रॉकेट की रफ्तार से आगे बढ़ी। अब पिछले दो दिनों से मार्केट फिर से ऊपर-नीचे हो रही है। मंगलवार को सेंसेक्स 33.49 अंक गिर गया। हालांकि निफ्टी में बढ़त देखने को मिली। ऐसे में निवेशक और खासतौर से नए निवेशक इस असमंजस में हैं कि अब जब सब कुछ सही है तो मार्केट में यह उतार-चढ़ाव क्यों? दरअसल, मार्केट में अप-डाउन कई कारणों से होते हैं।

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1. इंटरनेशनल घटनाएं

दुनियाभर में घटने वाली कई चीजें भी शेयर मार्केट पर असर डालती हैं। अगर कहीं युद्ध शुरू होता है, खासकर खाड़ी देशों में तो मार्केट गिरने के आसार बढ़ जाते हैं। इस युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतें बढ़ जाती हैं जो शेयर मार्केट में हलचल पैदा कर देती हैं। वहीं अमेरिका या चीन जैसे विकसित देशों की अर्थव्यवस्था में गिरावट भी भारतीय शेयर मार्केट पर असर डालती है। साल 2008 में जब अमेरिका का लेहमन-ब्रदर्स बैंक दिवालिया हुआ था तो इसका गहरा असर शेयर मार्केट पर पड़ा था।

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2. महामारी का असर

दुनिया में अगर कोई ऐसी महामारी पैदा हो जाए जिसका असर बड़े स्तर पर हो तो भी शेयर मार्केट हिल जाती है। इसका उदाहरण कोरोना बीमारी से समझ सकते हैं। मार्च 2020 में जब देश में लॉकडाउन लगा था, उस समय शेयर बाजार करीब 4 हजार अंक गिर गया था।

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3. घरेलू राजनीतिक हलचल

शेयर मार्केट पर घरेलू राजनीतिक हलचल का भी गहरा असर पड़ता है। इसका ताजा उदाहरण 4 जून को आए लोकसभा चुनाव के रिजल्ट से देख सकते हैं। 1 जून को जब एग्जिट पोल आए थे तो उनमें बताया गया था कि बीजेपी 350 से 400 के बीच सीटें जीतेगी। इसके बाद 3 जून को शेयर मार्केट एक दिन के लिए रॉकेट बन गया था। 4 जून को जब रिजल्ट आए तो एग्जिट पोल फेल हो गए और बीजेपी को उतनी सीटें नहीं मिलीं। इसके बाद मार्केट में बहुत बड़ी गिरावट आ गई थी।

4. विदेशी राजनीतिक असर

ऐसा नहीं है कि शेयर मार्केट पर सिर्फ देश में पैदा हुई सियासी हलचल का ही असर होता है। बड़े और विकसित देशों में अगर कोई राजनीतिक हलचल होती है तो इसका भी असर शेयर मार्केट पर पड़ता है। अगर चीन में कोई राजनीतिक हलचल होती है तो इसका असर अपने देश के शेयर मार्केट पर भी दिखाई देगा।

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5. इनसाइडर ट्रेडिंग

शेयर मार्केट पर मार्केट के ही लोगों की बातें काफी असर डालती हैं। याद कीजिए साल 1992 में हुए हर्षद मेहता कांड का। हर्षत मेहता शेयर मार्केट का बड़ा खिलाड़ी था। उस पर इनसाइडर ट्रेडिंग करने के आरोप भी लगे थे। साथ ही शेयर मार्केट में और भी कई गड़बड़ियों के आरोप थे। जब ये बातें सामने आईं तो शेयर बाजार धड़ाम हो गया था।

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