Success Story : 10वीं पास कैब ड्राइवर ने 1500 रुपये से शुरू किया काम, आज 400 कारों का मालिक
Success Story : हिम्मत और मेहनत, दो ऐसे शब्द हैं जो किसी भी शख्स की जिंदगी को बदलने के लिए काफी हैं। कल क्या होगा, किसी हो नहीं पता। आज हिम्मत और मेहनत से आने वाले कल को बदला जा सकता है। मशहूर शायर अख्तर शीरानी की एक शायरी है:
इन्हीं गम की घटाओं से खुशी का चांद निकलेगा।
अंधेरी रात के पर्दे में दिन की रोशनी भी है।।
कहते हैं गरीबी की आलम जिंदगी जीना सिखा देता है। गरीबी के ऐसे ही दौर से सामना हुआ अशफाक चूनावाला का। स्थिति यह थी कि उन्हें एक दुकान में 1500 रुपये महीने की सैलरी पर नौकरी करनी पड़ी। वक्त बदला। अंधेरी रात का पर्दा हटा। आज अशफाक 400 कारों के मालिक हैं। वह कैब मुहैया कराने वाली कंपनी के साथ इन्हें चलाते हैं। इनका सालाना टर्न ओवर 36 करोड़ रुपये है।
भूख बड़ी चीज है
भूख बड़ी चीज है। फिर यह खाने की हो या सफलता की। मुंबई में रहने वाले अशफाक की आंखों में सफलता की भूख थी। हालांकि गरीबी रास्ते में बाधा बनी हुई थी, लेकिन इससे पार कैसे पाना है, यह अशफाक को पता था। बचपन में आर्थिक तंगी के कारण 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। परिवार को संभालने की जिम्मेदारी उन्हीं के ऊपर आ गई थी। साल 2004 में अशफाक ने 1500 रुपये महीने की सैलरी पर एक शॉप में काम किया।
कभी 1500 रुपये महीने की नौकरी करते थे अशफाक।
जब आया टर्निंग पॉइंट
दुकान से मिलने वाली सैलरी परिवार का खर्च उठाने के लिए काफी नहीं पड़ रही थी। उन्होंने एक के बाद एक कई कंपनियां बदलीं। हालात बहुत ज्यादा नहीं बदले। साल 2013 की बात है। एक दिन उनकी नजर राइड हेलिंग ऐप के विज्ञापन पर पड़ी। यह ऐप उसी दौरान लॉन्च हुई थी और कैब सर्विस मुहैया कराती थी। यह अशफाक की जिंदगी का टर्निंग पॉइंट होने जा रहा था। उन्होंने इस कंपनी में पार्ट टाइम ड्राइवर की जॉब शुरू कर दी। इस दौरान अशफाक दो जगह काम कर रहे थे। सुबह 7 बजे से 10 बजे तक कैब चलाते थे और फिर शाम 6 बजे तक जॉब करते थे। यहां से काम खत्म करने के बाद फिर से कैब चलाते थे।
बदल गई जिंदगी
दो जगह काम करना उनके लिए मुश्किल तो हो रहा था लेकिन उनके पास अच्छी खासी रकम आने लगी थी। वह दुकान और कैब, दोनों से करीब 40 हजार रुपये महीने कमा रहे थे। इसी दौरान उन्होंने एक कार लोन पर ले ली और उसे कैब सर्विस मुहैया कराने वाली कंपनी में लगा दिया। जब कमाई अच्छी होने लगी तो उनकी बहन ने भी मदद की। बहन ने अपने पास से एक कार फाइनेंस करवाई। दूसरी कार के लिए अशफाक ने ड्राइवर रखा। बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और कैब पर ही पूरा ध्यान लगा दिया।
देखते ही देखते खड़ा कर दिया कारों का काफिला
अशफाक ने दो से 5 और फिर से 5 से 400 कारों का काफिला खड़ा कर दिया। उन्होंने इन कारों पर ड्राइवर रखे, जिन्हें वह सैलरी देते हैं। कोरोना के समय उन्हें भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। काफी ड्राइवर साथ छोड़कर चले गए, लेकिन वह डटे रहे। कोरोना के बाद अशफाक ने फिर से ड्राइवर जुटाए और बिजनेस को रफ्तार बढ़ाई। आज अशफाक इन कारों से करीब 3 करोड़ रुपये महीने (36 करोड़ रुपये सालाना) कमाते हैं। वह Jibz India Systems pvt ltd कंपनी के फाउंडर और सीईओ हैं। इनकी यह कंपनी कैब सर्विस मुहैया कराने वाली कंपनियों के साथ मिलकर काम करती है।
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