Success Story : पत्नी ने छोड़ा, बेटे के साथ टॉयलेट में सोए, जेब में नहीं थी फूटी कौड़ी..आज 6000000000 रुपये के मालिक
Success Story Of Christopher Gardner : सफलता पाना इतना आसान नहीं होता, लेकिन एक बार ठान लो तो इतना मुश्किल भी नहीं है। हिंदी के मशहूर कवि दुष्यंत कुमार की चर्चित कविता 'ये जो शहतीर है...' की दो लाइन कुछ इस प्रकार हैं:
कैसे आकाश में सूराख़ नहीं हो सकता।
एक पत्थर तो तबीअ'त से उछालो यारो।।
ये दो लाइन उन लोगों पर सटीक बैठती हैं तो सफल होने के लिए दिन रात एक कर देते हैं। जो न दिन का चैन देखते हैं और न रात का सुकून। ऐसे लोगों के कदम तब तक नहीं रुकते, जब तक की वे सफल नहीं हो जाते। ऐसा ही कुछ किया था अमेरिका के रहने वाले क्रिस्टोफर गार्डनर (क्रिस गार्डनर) ने। एक समय गरीबी ऐसी थी कि पत्नी छोड़ कर चली गई। अपने 4-5 साल के बच्चे के साथ दर-दर की ठोकरें खानी पड़ीं। लेकिन उनके सिर पर सफल होने का भूत सवार था। उन्होंने अपना सपना पूरा भी किया। आज वह करीब 600 करोड़ रुपये के मालिक हैं।
बर्तन धोए और मरीजों की देखभाल करने जैसा काम किया
क्रिस का जन्म फरवरी 1954 को अमेरिका में हुआ था। बचपन बहुत अच्छा नहीं गुजरा। एक फ्रॉड केस में इनकी मां को जेल हो गई थी। वह अपनी बहन के साथ फोस्टर हाउस (एक तरह से अनाथालय) में रहे। बचपन में उन्होंने बर्तन धाेने और नर्सिंग होम में मरीजों के देखभाल करने जैसे काम किए।
18 साल की उम्र में हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अमेरिकी नेवी जॉइन की। हालांकि कुछ समय बाद वह वहां से आ गए। साल 1977 में उन्होंने शेरी डायसन से शादी की। शादी के तीन साल बाद उन्होंने पत्नी को छोड़ दिया अपनी पहले से प्रेग्नेंट गर्लफ्रेंड जैकी के साथ रहने लगे और उसी को पत्नी मान लिया। जनवरी 1981 में उन्हें बेटा हुआ। क्रिस्टोफर की कोई संतान न होने के कारण उन्होंने जैकी के बेटे को ही अपना बेटा मान लिया और उसका नाम क्रिस्टोफर जूनियर रखा।
अपने बेटे के साथ क्रिस्टोफर को बाथरूम में रात गुजारनी पड़ी थी।
कमाई बढ़ाने के लिए मेडिकल उपकरण बेचे
इस समय तक क्रिस्टोफर एक रिसर्च लैब में असिस्टेंट का काम करते थे। उन्हें वहां से 8000 डॉलर (करीब 6.68 लाख रुपये) सालाना मिलते थे। इतनी रकम परिवार चलाने के लिए काफी नहीं थी। करीब 4 साल बाद उन्होंने जॉब छोड़ दी और आमदनी बढ़ाने के लिए सेल्समैन की जॉब शुरू कर दी। इस दौरान वह मेडिकल उपकरण बेचने लगे।
जब एक मुलाकात बन गई अचीवमेंट
क्रिस्टोफर शुरू से ही बड़ा इंसान बनना चाहते थे, लेकिन उन्हें कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था। एक दिन उनके पास एक कॉल आई, जिसमें उन्हें अपने मेडिकल उपकरण को क्लाइंट को दिखाना था। यह एक सेल्स कॉल थी। जब वह वहां पहुंचे तो उनकी मुलाकात उस बिल्डिंग के बाहर खड़ी लाल रंग की फरारी के मालिक से हुई। उसका नाम बॉब ब्रिजेस था। बॉब से क्रिस्टोफर ने दो सवाल पूछे, पहला- तुम क्या करते हो? और तुमने यह गाड़ी कैसे ली? बॉब ने जवाब दिया कि वह स्टॉक ब्रोकर है और 80 हजार डॉलर (करीब 66.80 लाख रुपये) महीने कमाता है। बस, यहीं से क्रिस्टोफर से डिसाइड कर लिया कि वह भी स्टॉक ब्रोकर बनेंगे।
शुरू कर दी ट्रेनिंग
क्रिस्टोफर ने बॉब से फिर से मुलाकात की और मदद मांगी। क्रिस्टोफर भी स्टॉक ब्रोकर बनना चाहते थे। बॉब ने उन्हें वर्ल्ड ऑफ फाइनेंस के बारे में बताया और उनकी मुलाकात स्टॉक ब्रोकरेज फर्म के मैनेजर से करवाई। उन्होंने क्रिस्टोफर को एक ट्रेनिंग प्रोग्राम करने का ऑफर दिया। अगले दो महीने के लिए क्रिस्टोफर ने अपनी सारी सेल्स मीटिंग को रद्द कर दिया और ट्रेनिंग शुरू कर दी।
जब लगा झटका
इस दौरान क्रिस्टोफर की आर्थिक स्थिति लगातार खराब हो रही थी। गर्लफ्रेंड के साथ भी रिश्ते खराब होने लगे थे। पत्नी जैकी बेटे को लेकर चली गई थी। एक दिन पार्किंग का फाइन न चुका पाने के कारण क्रिस्टोफर को 10 दिन जेल में भी रहना पड़ा। ट्रेनिंग के बाद जब वह ऑफिस में जॉब के लिए पहुंचे तो पता चला कि जिस शख्स ने उन्हें जॉब दी थी, उसे एक हफ्ते पहले ही कंपनी ने निकाल दिया है। ऐसे में कोई अनुभव न होने, पढ़ाई न होने आदि के चलते उन्हें फ्री में काम करना पड़ा। इस दौरान उन्होंने मेडिकल उपकरण बेचने चालू रखे। वह किसी तरह 300 से 400 डॉलर (करीब 33 हजार रुपये) महीने कमा पा रहे थे। लेकिन इससे उनके घर का खर्च नहीं चल पा रहा था।
बेटे के साथ बाथरूम में सोना पड़ा
करीब चार महीने बाद जैकी वापस आईं और बेटे को क्रिस्टोफर के पास छोड़कर चली गईं। बेटे को साथ रखना क्रिस्टोफर के लिए काफी चुनौतीपूर्ण था। वह जहां रहते थे, वहां बच्चे को रहने की अनुमति नहीं थी। वह अपने बेटे के साथ कभी अनाथालय में तो कभी स्टेशन पर रहने लगे। कभी वह पार्क में सो जाते तो कभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट में। ऐसा करीब एक साल तक चला। एक बार उन्हें रेलवे स्टेशन के बाथरूम में भी सोना पड़ा था। उस रात वह उस बाथरूम में लॉक हो गए थे। काफी समय तक वह सूप पीकर अपना पेट भरते रहे। उन्हें जो भी कमाई होती थी, वह बेटे की पढ़ाई और उसके डे-केयर में खर्च हो जाती थी।
खड़ी कर दी करोड़ों रुपये की कंपनी
क्रिस्टोफर काफी मेहनत के साथ काम करते थे। वह अमेरिका स्टॉक ब्रोकरेज फर्म डीन विटर रेनॉल्ड का टॉप एम्प्लॉई बनना चाहते थे। वह सुबह सबसे पहले पहुंचते थे और देरी से बाहर आते थे। उनका लक्ष्य था कि वह रोजाना 200 क्लाइंट से बात करें। साल 1982 में जब क्रिस्टोफर ने अपने सारे एग्जाम पास कर लिए तो वह बीयर स्टिर्नस एंड कंपनी में फुट टाइम एम्प्लॉई बन गए। इसके बाद उनकी किस्मत बदलनी शुरू हो गई।
1987 में उन्होंने गार्डनर रिच एंड कंपनी नाम से फर्म बनाई। साल 2006 में उन्होंने इस कंपनी की छोटी सी हिस्सेदारी बेच दी और यह मल्टीमिलियन डॉलर की कंपनी बन गई। आज क्रिस्टोफर करीब 600 करोड़ रुपये के मालिक हैं। क्रिस्टोफर की इस कहानी पर साल 2006 में हॉलीवुड मूवी The Pursuit of Happyness बनी है। विल स्मिथ ने इसमें क्रिस्टोफर गार्डनर का किरदार निभाया है। इस मूवी को आप OTT के कई प्लेटफॉर्म पर देख सकते हैं।
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