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डॉलर के मुकाबले कमजोर रुपये का रुतबा कैसे बढ़ा? समझिये पूरा गणित

Real Power of Rupee: पिछले कुछ समय से डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी की खबरें सामने आ रही हैं, लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है जिसे समझना जरूरी है।
12:47 PM Dec 26, 2024 IST | News24 हिंदी
डॉलर के मुकाबले कमजोर रुपये का रुतबा कैसे बढ़ा  समझिये पूरा गणित

US Dollar vs Indian Rupee: अगर आप फिल्में देखते हैं, तो आपने शाहरुख खान की फिल्म बाजीगर का एक सुपरहिट डायलॉग जरूर सुना होगा, 'हारकर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं'। हमारे रुपये के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। डॉलर के मुकाबले कमजोर होकर भी भारतीय रुपये का रुतबा बढ़ा है। हाल ही में अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपया कमजोर होकर अपने अब तक के सबसे निचले स्तर 85 के पार पहुंच गया। इस खबर ने चिंता पैदा की, लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है।

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इस तरह बढ़ा है प्रभाव

हमारी करेंसी अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले कमजोर हुई है, लेकिन इसे रुपये में गिरावट से ज्यादा डॉलर में मजबूती के रूप में भी देखा जाना चाहिए। दूसरे शब्दों में कहें तो यहां से देखने में रुपया जितना कमजोर नजर आ रहा है, वह असल में उतना है नहीं। नवंबर में रुपये का रियल इफेक्टिव एक्सचेंज रेट (REER) सूचकांक रिकॉर्ड 108.14 पर पहुंच गया। इस तरह इसने मौजूदा कैलेंडर ईयर में करीब 4.5 प्रतिशत की मजबूती हासिल की है।

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यह भी समझना जरूरी

REER का बढ़ना हमारे रुपये के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। आरईईआर न केवल डॉलर के मुकाबले बल्कि अन्य वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले भी रुपये को मापता है। भारत केवल अमेरिका के साथ ही व्यापार नहीं करता, उसके अन्य देशों के साथ भी कारोबारी रिश्ते हैं। वह उनके साथ इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट में शामिल है। इसलिए रुपये की ताकत या कमजोरी को केवल अमेरिकी डॉलर से जोड़कर देखना सही नहीं है। वैश्विक मुद्राओं के साथ इसका एक्सचेंज रेट क्या है, यह भी महत्वपूर्ण है।

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अब लगातार आ रही तेजी

रियल इफेक्टिव एक्सचेंज रेट उन देशों की 40 करेंसी बास्केट के मुकाबले रुपये के प्रभाव को मापता है, जो भारत के वार्षिक निर्यात और आयात का लगभग 88 प्रतिशत हिस्सा हैं। आरईईआर भारत और इनमें से प्रत्येक व्यापारिक साझेदार के बीच मुद्रास्फीति के अंतर को भी एडजस्ट करता है। जनवरी 2022 में रुपये का रियल इफेक्टिव एक्सचेंज रेट 105.32 था। अप्रैल 2023 में यह गिरकर 99.03 हुआ, लेकिन उसके बाद से इसमें तेजी आई है। इस साल अक्टूबर में 107.20 और नवंबर में 108.14 तक चढ़ गया।

कैसे काम करता है EER?

EER को कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के समान सूचकांक द्वारा मापा जाता है। CPI एक निश्चित आधार अवधि के सापेक्ष किसी दिए गए महीने या वर्ष में कंज्यूमर्स द्वारा खरीदे गए सामान एवं सेवाओं के औसत मूल्य को मापने वाला इंडेक्स है। EER भारत के प्रमुख बिजनेस पार्टनर्स देशों की करेंसी की तुलना में रुपये के एक्सचेंज रेट के औसत वेटेज का एक इंडेक्स है। करेंसी का वेटेज भारत के कुल विदेशी व्यापार में अलग-अलग देशों की हिस्सेदारी से प्राप्त होता है, ठीक CPI की तरह।

इनकी तुलना में आई मजबूती

डॉलर और रुपये के बारे में यह समझना जरूरी है कि US डॉलर जितना मजबूत हुआ है, रुपया उतना कमजोर नहीं। 27 सितंबर से 24 दिसंबर के बीच डॉलर के मुकाबले रुपया 83.67 से गिरकर 85.19 पर आ गया है। जबकि इस अवधि के दौरान यूरो के मुकाबले रुपया 93.46 से 88.56, यूके पाउंड के मुकाबले 112.05 से 106.79 पर और जापानी येन के मुकाबले 0.5823 से 0.5425 हुआ है। यानी हमारे रुपये का प्रभाव बढ़ा है।

Dollar में मजबूती की वजह

दूसरे शब्दों में कहें तो रुपया उतना कमजोर नहीं हो रहा है, जितना डॉलर में सभी मुद्राओं के मुकाबले मजबूती आई है। डॉलर इसलिए मज़बूत हो रहा है, क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप ने यूनिवर्सल टैरिफ हाइक की चेतावनी दी है। वह चीन सहित कई देशों के सामान पर भारी-भरकम टैक्स लगाने की इच्छा व्यक्त कर चुके हैं।

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