'विकास के माध्यम से ही समाज में आएगा पॉजिटिव बदलाव', दीक्षांत समारोह में बोले छत्तीसगढ़ राज्यपाल रमेन डेका
Governor Ramen Deka: राज्यपाल डेका ने रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय रायपुर के तीसरे दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। इस कार्यक्रम में 1440 विद्यार्थियों को डिग्री, डिप्लोमा तथा अलग-अलग संकायों में पहला स्थान प्राप्त करने वाले 20 से ज्यादा विद्यार्थियों को चान्सलर गोल्ड मेडल प्रदान किया गया। इसके साथ ही प्रसिद्ध लोकगायक पद्मश्री प्रहलाद सिंह तिपानिया और प्रसिद्ध हास्य कवि सुरेन्द्र दुबे को डीलिट की मानद उपाधि प्रदान की गई। इनोवेशन, रिसर्स और विकास के माध्यम में ही हम समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं और गरीबी, बीमारी, बेरोजगारी सहित कई समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। ये उद्गार राज्यपाल रमेन डेका ने रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बातें कहीं।
राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह के अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि आज का दिन विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है। पालक, शिक्षकों, संस्था और खुद की मेहनत से वे आज इस मुकाम पर पहुंचे है। आज हमारी अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन तक ले जाने में हमारे युवा भी सहभागी है। डेका ने कहा कि समय बहुत महत्वपूर्ण है इसका सदुपयोग करें और आनंद लें। सपने देखें और उसे साकार करने के लिए मेहनत भी करें।
राज्यपाल श्री रमेन डेका आज श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय, रायपुर के तृतीय दीक्षांत समारोह में सम्मिलित हुए। इस समारोह में 20 से अधिक विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक एवं 1440 विद्यार्थियों को डिग्री/डिप्लोमा प्रदान किया गया। 1/7 pic.twitter.com/UqI23z4Jzc
— Governor Chhattisgarh (@GovernorCG) September 21, 2024
दुनिया में सबसे तेजी में बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा
डेका ने कहा कि आज भारत दुनिया में सबसे तेजी में बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है और भारत की छवि में उल्लेखनीय बदलाव आया है। यह धारणा परिवर्तन ऐसे समय में हो रहा है जब भारत दुनिया में सबसे युवा राष्ट्र के रूप में उभरा है। इस देश के युवा होने के नाते आप हमारी अर्थव्यवस्था और विकास के चालक बनने जा रहे हैं।
डेका ने कहा के इनोवेशन के क्षेत्र में भारत का योगदान रहा है। भारतीय गणितज्ञ भास्कराचार्य को मध्यकालीन भारत का सबसे महान गणितज्ञ माना जाता है। उन्होंने ही सबसे पहले पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा करने में लगने वाले समय की सही गणना की थी। भारतीयों ने दुनिया को शून्य की अवधारणा दी। हमने दुनिया को योग दिया, हमने दुनिया को आयुर्वेद दिया। महानतम वैज्ञानिकों में से एक, दार्शनिक और गणितज्ञ अल्वर्ट आइंस्टीन ने कहा था, ‘‘हम भारतीयों के बहुत आभारी हैं जिन्होंने हमें गिनती करना सिखाया, जिसके बिना कोई भी सार्थक वैज्ञानिक खोज नहीं की जा सकती थी। डेका ने कहा कि आज वैश्विकरण के इस दौर में युवाओं को स्टार्ट-अप के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे उद्यमी बने और रोजगार सृजन करें। डेका ने विद्यार्थियों से कहा कि अपने चरित्र, इनोवेशन और समाज के प्रति सेवाभाव के माध्यम से इस देश के अतीत के गौरव को पुनर्जीवित करें और समाज तथा मानवता के लाभ के लिए अपने ज्ञान का पूर्ण उपयोग करने का संकल्प लें।
समारोह के प्रारंभ में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसके सिंह ने स्वागत उद्बोधन दिया और विश्वविद्यालय का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। कुलाधिपति श्री रविशंकर जी महराज और टीआइएसएस मुबंई के कुलाधिपति प्रोफेसर डीपी सिंह ने भी अपना उद्बोधन दिया। प्रति कुलाधिपति हर्ष गौतम ने विद्यार्थियों को शपथ दिलाई। इस अवसर पर विश्वविद्यालय स्वशासी निकाय के सदस्य, प्रबंध मंडल के सदस्य, विभागाध्यक्ष, संकाय अध्यक्ष, शिक्षक, पालक और उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राएं मौजूद थे।
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