छत्तीसगढ़ में बनी इस टेक्नोलॉजी को विदेशी मेहमानों ने किया सलाम, CM विष्णुदेव साय ने भी की तारीफ
Chhattisgarh Water Purification Bio-Technology E-ball: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय रविवार को धमतरी जिले में आयोजित अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन में शामिल हुए। यहां सीएम विष्णुदेव साय ने सबसे पहले सम्मेलन की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने सम्मेलन में लगे प्रदर्शनी स्टॉल्स का भ्रमण शुरू किया। इस दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ में बने जल शुद्धिकरण की बायो टेक्नोलॉजी ई-बाल को देखा और उससे होने वाले काम की काफी तारीफ की। सीएम साय ने जल शुद्धिकरण की इस इनोवेटिव टेक्नोलॉजी को आज के समय की जरुरत बताया है।
विदेशी मेहमानों ने किया सलाम
सीएम विष्णुदेव साय के अलावा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में आए कई विदेशी वाटर स्पेशलिस्ट को भी छत्तीसगढ़ का बायो टेक्नोलॉजी ई-बाल खूब पसंद आया। उन्होंने इस टेक्नोलॉजी को बारीकी से समझा और इस पर काम करने में अपनी दिलचस्पी भी दिखाई। जल जगार महोत्सव में पानी के शुद्धिकरण के लिए इस टेक्नोलॉजी का लाइव परफॉर्मेंस किया गया था, जहां पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और अतिथियों ने इस टेक्नोलॉजी के बारे में काफी बारीक जाना और इसकी तारीफ की।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने ई बाल तकनीक को सराहा, विदेशी मेहमानों को खूब पसंद आया जल सुधार की ई-बाल तकनीक@ChhattisgarhCMO@DPRChhattisgarh@narendramodi@PMOIndia
https://t.co/OwVyqeNMvf via @Bol India
— Bol india (@Bolindia555) October 6, 2024
क्या है ई-बाल टेक्नोलॉजी?
जानकारी के अनुसार ई-बाल बैक्टीरिया और फंगस का मिक्सचर है, जिसे लाभदायक सूक्ष्मजीवों के साथ कैलिशयम कार्बोनेट के कैरियर के जरिए बनाया गया है। बायोटेक्नोलॉजी साइंटिस्ट डॉ प्रशान्त कुमार शर्मा ने 13 सालों की रिसर्च के बाद इसे बना कर तैयार किया है। ई-बाल 4.0 से लेकर 9.5 पीएच और 10 से लेकर 45 डिग्री सेल्शियस तापमान पर एक्टिव होकर काम करता है। ई-बाल के लाभदायक सूक्ष्मजीव नाली या तालाब के गंदे पानी में जाते ही वहां मौजूद ऑर्गेनिक अवशिष्ट से पोषण लेना शुरू कर देते हैं। इसके ये सूक्ष्मजीव तेजी से अपनी संख्या बढ़ाते हैं और पानी को साफ करने लगते है।
यह भी पढ़ें: ‘बस्तर में फिर से होगी सुख-शांति की वापसी’, दंतेवाड़ा में बोले छत्तीसगढ़ डिप्टी सीएम
इन शहरों में हो रहा ई-बाल का इस्तेमाल
एक ई-बाल करीब 100 से 150 मीटर लंबी नाली को साफ कर देती है औसतन एक एकड़ तालाब के पानी को शुद्ध करने के लिए 800 ई-बाल की जरुरत होती है। इसके सबसे ज्यादा खास बात यह है कि ई-बाल के इस्तेमाल से पानी में रह रहे जलीय जीवों पर इसका कोई भी नुकसान या साइड इफेक्ट नहीं होता है, इसके प्रयोग से पानी के पीएच मान, टीडीएस और बीओडी लेवल में तेजी से सुधार होता है। फिलहाल, छत्तीसगढ़ समेत महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, आंध्रप्रदेश, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, झारखंड, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई तालाबों में इसका सफल प्रयोग चल रहा है।