'दिल्ली में क्यों नहीं रुक रही हैवी व्हीकल की एंट्री?' सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिए ये निर्देश
Supreme Court Hearing On Air Pollution : दिल्ली एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है। SC ने कहा कि राजधानी में ग्रेप-4 की पाबंदियां लागू हैं, लेकिन फिर भी प्रदूषण की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। ट्रकों की एंट्री क्यों नहीं रुक पा रही है? अदालत ने दिल्ली सरकार और पुलिस से राजधानी की सभी एंट्री प्वाइंट्स की निगरानी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को वायु प्रदूषण पर सुनवाई हुई। इस सप्ताह की शुरुआत में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया था, जिसके चलते ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के चरण 4 को लागू किया गया था। इसके तहत ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और निर्माण कार्यों पर अस्थायी रूप से रोक दिया गया था।
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113 एंट्री प्वाइंट्स पर चेकपोस्ट हो: SC
SC ने माना कि दिल्ली सरकार और पुलिस राजधानी में हैवी व्हीकल की एंट्री को रोकने में विफल रही। अदालत ने दिल्ली के सभी एंट्री प्वाइंट्स में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज मांगी, ताकि ये पता चल सके कि वास्तव में भारी वाहनों को एंट्री दी गई थी या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि दिल्ली में तकरीबन 100 ऐसे एंट्री प्वाइंट्स हैं, जहां पर कोई चेकपोस्ट नहीं है। अदालत ने दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस से कहा कि वो सुनिश्चित करें कि सभी 113 एंट्री प्वाइंट्स पर चेकपोस्ट तैनात किया जाए।
13 वकील कोर्ट कमिश्नर नियुक्त : सुप्रीम कोर्ट
इस मामले की जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बार के 13 वकीलों को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया, जो सभी एंट्री प्वाइंट्स पर जाकर 25 नवंबर से पहले रिपोर्ट पेश करेंगे कि क्या दिल्ली के बाहर के भारी वाहनों और हल्के वाणिज्यिक वाहनों (LCV) को अनुमति दी जा रही है या नहीं।
25 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
अदालत ने एनसीआर राज्यों को ग्रेप स्टेज-4 की पाबंदियों को सख्ती से लागू करने के लिए टीमें गठित करने का निर्देश दिया और यह स्पष्ट किया कि अगले आदेश तक प्रतिबंध जारी रहेंगे। अब सोमवार को होने वाली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि ग्रेप-4 को हटाया जाए या नहीं।
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जानें बच्चों के अभिभावकों ने अदालत में क्या कहा?
अभिभावकों की ओर से वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि वो इस केस में गरीब पृष्ठभूमि से आने वाले परिजनों की पैरवी कर रहे हैं। ज्यादातर बच्चों के पिता ड्राइवर हैं। उनके घर पर ऐसी तकनीकी सुविधा उपलब्ध नहीं है कि वो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पढ़ाई कर सके। ऐसे में उन बच्चों को स्कूल जाने की इजाजत होनी चाहिए, जिनके अभिभावक इसके लिए तैयार हैं, ताकि बच्चों को पढ़ाई न छोड़ना पड़े। इस पर अदालत ने कहा कि सोमवार को 13 कमिश्नर की रिपोर्ट को चेक करेंगे और उस दिन फैसला लेंगे कि क्या स्टेज 4 से कम की पाबंदी को लागू किया जा सकता है और उनकी मांगों पर भी विचार करेंगे।