फिर तो दाऊद भी चुनाव लड़ेगा...जेल में कैद नेताओं की कैंपेनिंग पर हाईकोर्ट ने क्यों की यह टिप्पणी?
Delhi High Court Verdict on Jailed Politician Election Campaign: दिल्ली हाईकोर्ट ने जेल में कैद नेताओं के चुनाव प्रचार को लेकर दायर जनहित याचिका (PIL) खारिज कर दी है। लॉ के स्टूडेंट अमरजीत गुप्ता ने याचिका दायर करके मांग की थी कि लोकसभा चुनाव 2024 चल रहे हैं तो जेल में कैद नेताओं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चुनाव प्रचार करने की अनुमति दी जाए।
वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका को मौलिक सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए खारिज कर दिया। याचिका गत 16 मार्च 2024 को दायर की गई थी। फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने जहां याचिकाकर्ता को उसकी मांग के लिए फटकार लगाई, वहीं अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का जिक्र करते हुए विशेष टिप्पणी भी की, जिसे सुनकर हाईकोर्ट में मौजूद लोग भी चौंक गए।
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अपराधी अपनी राजनीतिक पार्टी बना लेंगे
जस्टिस ने कहा कि याचिकाकर्ता की मांग चौंकाने वाली है। वह चाहते हैं कि सजायाफ्ता, अपराधी किस्म के या वे नेता जिनके केस कोर्ट में विचाराधीन हैं, उन्हें चुनाव प्रचार की अनुमति दी जाए, लेकिन क्या वे जानते हैं कि अगर ऐसा किया गया तो अपराधी अपनी राजनीतिक पार्टी बना लेंगे। दाऊदी इब्राहिम भी चुनाव लड़ेगा। जेल में बैठकर अपना प्रचार करेगा। अगर ऐसा हुआ तो लोकतंत्र और संविधान तो भूल ही जाएं।
दूसरी ओर, हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता पर उसकी मांग के लिए क्यों न सजा दी जाए? क्यों न याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाया जाए? इसके जवाब में याचिकाकर्ता अमरजीत गुप्ता के वकील ने कहा कि वह एक स्टूडेंट है तो उसे छोड़ दिया जाए। उसके खिलाफ कोई एक्शन न लिया जाए। इसके जवाब में पीठ ने कहा कि वह अपने क्लाइंट को समझाएं कि संविधान के तहत क्या नियम हैं और लोकतंत्र क्या है?
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याचिका में क्या दावा किया गया था?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लॉ स्टूडेंट अमरजीत गुप्ता द्वारा याचिका दायर करके मांग की गई थी कि जेल में कैद उन नेताओं को वर्चुअल इलेक्शन कैंपेनिंग करने दी जाए जो दोषी करार नहीं दिए गए हैं। जिनके केस अभी कोर्ट में विचाराधीन हैं। याचक ने दलील दी कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद गिरफ्तार किया गया है। इससे आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है। हाईकोर्ट स्थिति पर संज्ञान ले और एक राष्ट्रीय पार्टी के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उसकी मांग पर विचार करे।
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