राजधानी में पटाखे बैन, फिर कहां से लाते हैं दिल्लीवाले, जमकर होती है आतिशबाजी
Firecracker Ban In Delhi : अगर आप पुरानी दिल्ली की गलियों में टहलते हैं तो आपको कुछ बंद दुकानें दिखाई देंगी, जो दिवाली के मौसम में चहल-पहल से भरी रहती थीं और पटाखे खरीदने के लिए भीड़ लगी रहती थी, लेकिन दिल्ली में पटाखों पर बैन के बाद इनमें से कई दुकानों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रण में रखने के लिए पटाखों पर बैन लगा है। अब बड़ा सवाल उठता है कि क्या लोगों ने पटाखा खरीदना छोड़ दिया है? आइए जानते हैं कि स्थानीय लोग क्या कहते हैं?
लक्ष्मी नगर के रहने वाले अजीत ने कहा कि शहर में कई ऐसे स्थान हैं, जहां खास समय पर कुछ दुकानें खुलती हैं- आमतौर पर सुबह-सुबह। लोगों को पहले से ही इसकी जानकारी रहती है और दूसरे इलाकों के लोग भी इन जगहों पर पटाखे खरीदने के लिए आते हैं। ये दुकानें दूसरी चीजें बेचने की आड़ में चल रही हैं और लगभग दोगुने या उससे भी अधिक कीमत पर पटाखे बेच रही हैं। उन्होंने कहा कि स्काई शॉट्स के एक पैकेट की कीमत 1,000 रुपये है, फुलझड़ियां 700 रुपये की हैं और 10,000 पीस वाली एक माला (लड़ी) 7,000 रुपये में मिलती है।
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2022 की तुलना में पिछले साल ज्यादा रहा नॉइल लेवल
पिछले साल दिवाली के दौरान शोर या नॉइस लेवल 53.7-84.5 डेसिबल था, जिसमें करोल बाग सबसे ज्यादा शोरगुल वाला इलाका था। नॉइस का नॉमल रेंज 46.4-69.5 डेसिबल है। पिछले साल 2022 की तुलना में ज्यादातर इलाकों में डेसिबल के स्तर में वृद्धि देखी गई थी। साथ ही वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का स्तर भी कुछ ही घंटों में बढ़ गया था।
जानें कहां से पटाखे खरीदते हैं लोग?
दिल्ली में प्रतिबंध लागू होने की वजह से कई लोग पटाखे खरीदने के लिए फरीदाबाद, गुरुग्राम और नोएडा जाते हैं तो कुछ सोहना और मेरठ तक चले जाते हैं। जैतपुर के एक व्यक्ति ने कहा कि वह अपने दोस्तों के साथ फरीदाबाद से पटाखा खरीदकर लाता है। पटाखे पर बैन के बाद भी उसे कभी किसी ने नहीं रोका। वास्तव में यह बिल्कुल भी प्रतिबंध जैसा नहीं लगता, क्योंकि लोग शाम और रात में पटाखे फोड़ते हैं। न सिर्फ दिवाली पर, बल्कि उससे पहले के दिनों में भी। कुछ सप्लायरों ने अपने घरों या दुकानों में पटाखे रखे हैं और व्हाट्सएप या टेलीग्राम ग्रुप के माध्यम से संभावित ग्राहकों तक पहुंच रहे हैं।
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बार्डर से लगे जिलों में पटाखों की होती है बिक्री
दिल्ली की सीमा से लगे जिलों में पटाखों की बिक्री में तेजी देखने को मिलती है। नोएडा सीमा के पास रहने वाले लोगों का कहना है कि पटाखों के ट्रांसपोर्टेशन को लेकर कोई जांच नहीं होती है। इसकी वजह से लोग आसानी से बार्डर पार से पटाखे खरीद लेते हैं। इसे लेकर कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने कहा कि वे इस चुनौती से निपटने के लिए काम कर रहे हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में कई टीमें तैनात हैं।