पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे का 90 वर्ष की उम्र में निधन, कई महत्वपूर्ण भूमिकाओं को निभाया
Muchkund Dubey: (डॉ. एम रहमतुल्लाह, नई दिल्ली) पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे का 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। वे एक प्रतिष्ठित राजनयिक और विद्वान माने जाते थे। जिन्होंने दिल्ली में अंतिम सांस ली। वे कई गंभीर बीमारियों का सामना कर रहे थे। 1933 में अखंड बिहार में जन्मे दुबे ने विदेश सेवा और शिक्षा में एक अद्वितीय यात्रा की शुरुआत की थी। उन्होंने 1957 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल होकर एक उत्कृष्ट करियर की शुरुआत की। जिन्होंने कई महत्वपूर्ण भूमिकाओं को निभाया। अपने राजनयिक करियर के दौरान दुबे ने भारत के उच्चायुक्त के रूप में बांग्लादेश और संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि के रूप में महत्वपूर्ण योगदान किया।
पटना विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में ली थी डिग्री
उनका अंतरराष्ट्रीय प्रभाव यूनेस्को के कार्यनिर्वाहक मंडल के सदस्य के रूप में दिखा था। शैक्षिक दृष्टिकोण से प्रेरित दुबे के पास पटना विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री थी। उन्होंने बाद में ऑक्सफोर्ड और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालयों में अर्थशास्त्र में अध्ययन किया था। उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से डीलिट का उपाधि भी हासिल की थी। उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, विकास सहयोग, खासकर दक्षिण एशियाई सहयोग और भारत में सामाजिक और आर्थिक विकास से संबंधित विभिन्न विषयों पर व्यापक अध्ययन किया था।
One of India’s most distinguished scholar diplomats, Professor Muchkund Dubey has passed away. An outstanding Foreign Secretary known for his fiery temper, he moved on to become the wise and sagely Professor at @sisjnu_official . A passionate believer in South Asian Integration… pic.twitter.com/Vlhguuwdbe
— Amitabh Mattoo (@amitabhmattoo) June 26, 2024
भारतीय विदेश सेवा से निवृत्त होने के बाद दुबे ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में एक प्रोफेसर के रूप में लगभग आठ वर्षों तक शिक्षा प्रदान की। उनके शिक्षण और शोध ने न केवल ज्ञान को आकार दिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों और विकास मुद्दों पर लिखी और संपादित कई पुस्तकों के माध्यम से साहित्य को भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। दुबे की पत्नी बसंती दुबे और बेटियां मेधा दुबे और मधु दुबे हर समय उनके साथ खड़ी रहीं। उनका अंतिम संस्कार 27 जून को दोपहर 4 बजे लोधी रोड के श्मशान घाट पर किया जाएगा। उनको राजनयिकता और शिक्षा में गहरा प्रभाव छोड़ने के लिए हमेशा याद किया जाएगा।