Kailash Gehlot के BJP में शामिल होने के क्या मायने? एक दिन पहले छोड़ी थी आप
Kailash Gehlot Joined BJP: दिल्ली की आतिशी सरकार में मंत्री रहे कैलाश गहलोत आज बीजेपी में शामिल हो गए। उन्हें केंद्रीय मंत्री मनोहरलाल खट्टर और दिल्ली के चुनाव प्रभारी बैजयंत पांडा ने पार्टी जाॅइन कराई। इस दौरान दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा भी मंच पर मौजूद थे।
बता दें कि उन्होंने एक दिन पहले ही आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दिया था। इस बीच अरविंद केजरीवाल से जब गहलोत के बीजेपी में शामिल होने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह उनकी मर्जी है, वह जहां भी जाएं। कैलाश गहलोत दिल्ली की नजफगढ़ सीट से दूसरी बार विधायक बने हैं। इससे पहले वे 10 साल तक हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर चुके हैं।
कैलाश गहलोत ने अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिखकर कहा कि यह दुख की बात है कि हम लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने की बजाय राजनीतिक एजेंडे के लिए लड़ रहे हैं। इससे दिल्ली के लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही है। मैंने अपनी राजनीतिक यात्रा दिल्ली के लोगों की सेवा करने की प्रतिबद्धता के साथ शुरू की थी। ऐसे में मेरे पास पार्टी से अलग होने के अलावा और कोई विकल्प शेष नहीं बचा है। ऐसे में कैलाश गहलोत के बीजेपी में शामिल होने के क्या मायने है? आइये जानते हैं।
1.आप के लिए कैलाश गहलोत का अलग होना बड़ा झटका माना जा रहा है। शराब घोटाले में पार्टी प्रमुख समेत कई मंत्रियों के जेल जाने से पार्टी में कैलाश गहलोत की पहचान स्वच्छ छवि वाले नेता की थी, लेकिन उन्होंने भी चुनाव से ऐन पहले पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
2.दिल्ली के बाहरी इलाके विशेष तौर पर हरियाणा से सटे इलाकों में जाटों की अच्छी खासी आबादी है। ऐसे में जाटों के स्वीकार्य नेता के तौर पर गहलोत पार्टी की बड़ी ताकत थे, लेकिन चुनाव से पहले उनका यूटर्न केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए बड़ा झटका है। हालांकि क्षेत्र में गुर्जर आबादी भी बड़ी संख्या में हैं लेकिन अधिकांश गुर्जर नेताओं के बीजेपी में होने से आप पार्टी को इसका फायदा नहीं मिलता।
ये भी पढ़ेंः रघुविंदर शौकीन AAP के लिए मजबूरी या जरूरी, दिल्ली कैबिनेट में होंगे शामिल, जानें पार्टी ने क्यों लिया फैसला?
3.अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद पार्टी के कई विधायक अब तक बगावत कर चुके हैं। इनमें पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम का नाम भी शामिल हैं। वे सितंबर 2022 में पार्टी छोड़ चुके हैं। वे भी सरकार में मंत्री थे। वहीं लोकसभा चुनाव से ऐन पहले मंत्री राजकुमार आनंद ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया था। इनके अलावा विधायक करतार सिंह तंवर भी पार्टी छोड़ चुके हैं। ऐसे में पार्टी को टूटने से बिखरने के लिए केजरीवाल स्वंय मैदान में हैं।
4.भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाकर सत्ता में आए केजरीवाल को शराब घोटाला मामले में लगभग 5 महीने जेल में बिताने पड़े थे। बीजेपी आप की इस नेगेटिव छवि का फायदा उठाना चाहती है, ऐसे में उसकी कोशिश है कि दूसरी पार्टी के नेताओं को शामिल कर यह मैसेज दिया जाए कि इस बार सरकार बीजेपी की बन रही है।
ये भी पढ़ेंः Kailash Gehlot के AAP छोड़ने के क्या मायने? इस्तीफा दिया तो BJP ने किया स्वागत