La Nina Effect: दिल्ली की सर्दी पर क्या होगा 'ला नीना' का असर? दम घोटेगा प्रदूषण या मिलेगी राहत?
La Nina Effect on Delhi Polluion 2024: दिसंबर का महीना शुरू हो चुका है। आमतौर पर दिसंबर के दौरान कड़ाके की ठंड पड़ने लगती है। दिसंबर में पहाड़ों पर बर्फबारी और मैदानी इलाकों में कोहरा पड़ना आम बात है। कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इस बार देश में कड़ाके की ठंड देखने को मिलेगी और इसकी वजह ला नीना इफेक्ट है। मगर क्या आप जानते हैं कि ला नीना इफेक्ट का असर न सिर्फ सर्दी बल्कि दिल्ली के प्रदूषण पर भी होने वाला है। आइए जानते हैं कैसे?
सर्दियों में बढ़ता है दिल्ली का प्रदूषण
मौसम विभाग के अनुसार सर्दियों के दौरान ला नीना के 55 प्रतिशत एक्टिव होने के आसार हैं, जिससे भारत में काफी ठंड पड़ने वाली है। दिसंबर, जनवरी और फरवरी में तापमान तेजी से कम होगा। वहीं सर्दियों के दौरान दिल्ली में प्रदूषण और धुंध की समस्या भी किसी से छिपी नहीं है। सर्दियों में राजधानी दिल्ली का AQI भी रफ्तार पकड़ लेता है और दिल्ली की हवा दिन-ब-दिन जहरीली होती जाती है। ऐसे में सवाल यह है कि अगर ला नीना की वजह से देश में ज्यादा ठंड पड़ी, तो क्या इससे दिल्ली की हवा और भी ज्यादा खराब हो जाएगी?
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ला नीना से मिलेगी राहत
CEEW (Council on Energy, Environment and Water) के अनुसार ला नीना दिल्ली की सर्दियों के लिए काफी अच्छा माना जा रहा है। बेशक ला नीना की वजह से तापमान में कमी आएगी। मगर इस दौरान प्रशांत महासागर से आने वाली ठंडी हवाएं भी उत्तर भारत में कहर बरसाएंगी। इन हवाओं का असर दिल्ली में भी होगा। प्रशांत महासागर से आने वाली तेज हवाएं दिल्ली में प्रदूषण के कणों को जमने से रोकेंगी और इसे बहाकर ले जाएंगी। इससे दिल्ली की हवा काफी हद तक साफ रहने की उम्मीद है।
बायोमास बर्निंग होगी बड़ी समस्या
सर्दियों के दौरान कई लोग अलाव जलाते हैं। आंकड़ों की मानें तो बायोमास बर्निंग की वजह से दिल्ली का प्रदूषण 25-30 डिग्री बढ़ जाता है। वहीं सर्दियों के दौरान CRRI मथुरा रोड, ITO और नेहरू नगर में सबसे ज्यादा बायोमास जलाया जाता है। ऐसे में प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के लिए दिल्ली सरकार को बायोमास बर्निंग पर नजर रखनी होगी। वहीं बेघर लोगों को छत देकर सरकार बायोमास बर्निंग की समस्या को कम कर सकती है।
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