फ्लैट से बेहतर तो झुग्गी थी...आखिर क्यों लोगों को रास नहीं आ रहीं स्लम के बदले ऊंची बिल्डिंंग
Slum Rehabilitation Scheme: बड़े शहरों में कई जगह पर ऐसे लोग दिख जाते हैं झुग्गियों में रहते हैं। ये झुग्गियां बड़ी बिल्डिंग्स के पास भी होती हैं तो कई बार खाली मैदानों में होती हैं। इस तरह से अपनी जिंदगी बिताने वाले लोगों के लिए सरकार एक स्कीम लेकर आई थी, जिसके तहत सरकार गरीबों को झुग्गियों से निकालकर पक्के मकान देती। यह परियोजना दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के 376 झुग्गीवासियों के पुनर्वास के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) - हाउसिंग-फॉर-ऑल के दिशानिर्देशों के अनुसार 2015 में शुरू की गई थी। इसका लक्ष्य 2022 तक भारतीय शहरों को स्लम मुक्त बनाना था।
इसी के तहत कालकाजी एक्सटेंशन फ्लैट इन-सीटू स्लम पुनर्विकास योजना भी आती है। यहां पर लोगों को सालों पहले फ्लैट अलॉट कर दिए गए थे। लेकिन यहां पर रहने वाले लोग आज भी अपनी झुग्गियों को ही याद करते हैं, उनका कहना है कि उनका इसमें दम घुटता है।
लिफ्ट की सुविधा नहीं
इन फ्लैटों में रहने वाले ज्यादातर लोगों की एक जैसी ही शिकायतें हैं। इनका कहना है कि जिस तरह की सुविधाओं की बात की गई थी उसमें कुछ भी नहीं मिला है। यहां की निवासी सुजीता का कहना है कि जब हम यहां आए थे तब लगा था कि हमारा अपने घर का सपना पूरा हो गया लेकिन यहां आने के बाद जीवन में और ज्यादा परेशानी आ गई है। वो कहती है सोचिए कि मैं तीन बच्चों की मां हूं और सातवीं मंजिल पर रहती हूं। दो साल से हर दिन, मुझे RO आउटलेट से बाल्टी भरने के लिए जाना पड़ता है। साथ में मेरे बच्चे होते हैं जिनको अपने साथ लेकर जाना पड़ता है।
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इसके अलावा पानी की किल्लत के चलते रोज सुबह यहां पर लड़ाई होती है। जिस तरह के हालात यहां पर हैं उसको देखते हुए कई लोगों ने अपना घर होने की सपना छोड़ दिया है। उनका कहना है कि जिस परेशानी में यो लोग रह रहे हैं उससे अच्छी हमारी झुग्गियां हैं। फ्लैट देने से पहले गैस, पानी का वादा किया गया था लेकिन यहां पर कुछ नहीं दिया जाता है। यहां तक की कचरा लेने के लिए भी कोई नहीं आता है।
झुग्गियों में था सुकून
झुग्गिवासियों का कहना है कि पहले ये सोचा था कि एक इज्जत की जिंदगी जीने का मौका मिल रहा है, लेकिन यहां पर कोई सेफ्टी नहीं है। 25 वर्ग मीटर का घर है, थोड़ी सी बारिश में सीवर ओवरफ्लो हो जाते हैं, सांस लेने में दिक्कत होती है। जिस तरह की बेसिक चीजें इन लोगों को इस फ्लैट में नहीं मिल पा रही हैं उससे एक ही सवाल मन में आता है कि इसका उद्देश्य झुग्गियों को मिटाना और झोपड़ियों में रहने वाले लोगों को पक्का आवास दिलान था, लेकिन दो साल के बाद यह योजना केवल खड़ी झुग्गी बस्ती बनकर रह गई है।