Swatantrya Veer Savarkar: Randeep Hooda के फैंस जरूर देखें, कहानी बोरिंग पर एक्टिंग अच्छी
नवीन सिंह भारद्वाज
Swatantrya Veer Savarkar Review: आज 22 मार्च 2024 को रणदीप हुड्डा की फिल्म 'वीर सावरकर' सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। इस फिल्म को लेकर लोगों में क्रेज बना हुआ था, क्योंकि फिल्म के लिए रणदीप की मेहनत साफ नजर आ रही है। इस फिल्म में दिखाया गया कि सावरकर ही सबसे बड़े हीरो हैं। जहां भगत सिंह से लेकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भी सावरकर ने सशस्त्र राजीनितिक क्रांति के लिए प्रेरित किया।
कहानी
फिल्म 'वीर सावरकर' की कहानी की बात करें तो ये शुरू होती है साल 1897 से, जहां पुणे में प्लेग जैसी महामारी फैली होती है। तो वहीं, चापेकर बंधुओं ( दामोदर हरि चापेकर, बालाकृष्ण हरि चापेकर और वासुदेव हरि चापेकर ) का स्वतंत्रता के बलिदान को भी दिखाया है। फिल्म की शुरुआत में दामोदर सावरकर की शादी दिखाई जाती है। बता दें कि सावरकर की शादी यमुनाबाई बनी (अंकिता लोखंडे) से होती है।
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फ्री इंडिया सोसाइटी
साल 1902 में दामोदर सावरकर अपने कॉलेज में अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी बनाते हैं। इसके बाद साल 1905 में बालगंगाधर तिलक की मदद से वो लंदन चले जाते है और वहां जाकर बैरिस्टर की पढ़ाई करते हैं। जहां पर मैडम कामा और मदनलाल धींगडरा (मृणाल दत्त) के साथ मिलकर फ्री इंडिया सोसाइटी की स्थापना करते हैं। वहीं, इसके एक साल बाद वो मोहनदास करमचंद गांधी से मिलते हैं और यहां दोनों भारत को आजाद तो कराना चाहते हैं, लेकिन दोनों की ही सोच आपस में मेल नहीं खाती। इतना ही नहीं बल्कि साल 1911 में विनायक दामोदर सावरकर को फ्री इंडिया सोसाइटी की वजह से काले पानी की सजा होती है। हालांकि इसके बाद जब वो जेल से बाहर आते हैं, तो ये फिल्म उनकी राजनीतिक यात्रा को दिखाती है।
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डायरेक्शन और राइटिंग
बता दें कि फिल्म 'वीर सावरकर' को रणदीप हुड्डा ने लिखा है और इसे डायरेक्ट भी उन्होंने ही किया है। इस फिल्म से रणदीप हुड्डा ने डायरेक्शन में डेब्यू कर लिया है। हां, इस फिल्म में रणदीप ने सबसे कमाल ये किया है कि कुछ ऐसी चीजें हैं, जिन्हें आप घर आकर सर्च करेंगे और ये बेहद खास है। जहां लिखने के मामले में रणदीप ने फिल्म को खींचा है, तो वहीं, इसके इमोशंस में भी उन्होंने जान डाली है। इतना ही नहीं बल्कि रणदीप ने फिल्म में महात्मा गांधी को ऐसे ग्रे शेड का दिखाया है, जो शायद पहले नहीं हुआ होगा।
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एक्टिंग
रणदीप हुड्डा ने विनायक दामोदर सावरकर के किरदार को बखूबी से निभाया है। साथ ही उनकी एक्टिंग बेहद कमाल की है। वहीं, यमुनाबाई सावरकर के किरदार में अंकिता लोखंडे ने भी अच्छा काम किया है। अंकिता लोखंडे के सीन भले ही फिल्म में कम थे पर उनका काम दिख रहा था। गणेश दामोदर सावरकर या बाबराव सावरकर के किरदार में अमित स्याल की एक्टिंग देखने लायक थी। वहीं, फिल्म के बाकी कलाकार ने भी ठीक ठाक काम किया है।
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क्यों देखें?
इतिहास की एक खूबी होती है कि इसे हर कोई अपने हिसाब से बताता और दिखाता है। ये जरूरी नहीं कि हम और आप उससे सहमत ही हों। अगर आप हिस्ट्री बफ हैं और दूसरा नरैटिव भी सुनने के शौकीन हैं, भले ही वो लंबा और बोरिंग क्लास जैसा ही हो... तो आप ये स्वतंत्र वीर सावरकर देख सकते हैं। फिल्म को 2 स्टार।
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