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जब शोमैन सुभाष घई ने 14 साल की उम्र में उठाया ये घातक कदम, चौक जाएंगे फैंस

Life Of Subhash Ghai : भारतीय फिल्मों के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर सुभाष घई ने कामयाबी हासिल करने के लिए अपनी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। उनकी जिंदगी में एक समय ऐसा आया था, जब शोमैन सुभाष घई ने बड़ा ही घातक कदम उठाया था
06:40 PM Jan 07, 2025 IST | Abhishek Mehrotra
जब शोमैन सुभाष घई ने 14 साल की उम्र में उठाया ये घातक कदम  चौक जाएंगे फैंस
Subhash Ghai

Life Of Subhash Ghai : सफल शख्सियतें भी किस तरह जीवन में बड़े उतार-चढ़ाव देखती हैं, इसी का उदाहरण है शोमैन सुभाष घई की जिंदगी। उनसे जुड़ी कई निजी बातों का खुलासा हाल ही में उन पर लिखी किताब कर्मा चाइल्ड में हुआ है।

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किताब की शुरुआत सुभाष घई द्वारा नीला थोथा (Dehydrated Copper Sulphate) खाकर जान देने की बात से ही होती है। इसके पीछे की कहानी कुछ यूं है कि एक बार सुभाष के अपने पिता के क्लीनिक से एक पैसे की चोरी थी और पिक्चर देखी, ये पता लगने के बाद उनके पिता आगबबूले हो गए और लकड़ी की छड़ी से उनकी मार लगी। पढ़ाई में कमजोर सुभाष अक्सर दोस्तों के साथ संगीत और नाटक की दुनिया में मशगूल रहते थे, ऐसे में उनके पिता से उनकी डांट लगती रहती थी। एक दिन वो गुस्सा होकर अपने किसी दोस्त के पास रहने चले गए। पर चार दिन बाद दोस्त के परिवार को दिल्ली से बाहर जाना था, ऐसे में सुभाष किसी किराना की दुकान में दिन में काम करते और रात को दुकान के बाहर पड़े लकड़ी के पट्टे पर सो जाते। पर फिर पिता ने उन्हें ढूंढ निकाला और वापस घर ले आए।

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जानें सुसाइड की क्यों की थी कोशिश?

14 साल की उम्र में अपने भाई-बहनों का ख्याल रखने वाले सुभाष जिंदगी से परेशान होकर एक दिन अपने पिता से पूछ बैठे कि आपने मुझे पैदा ही क्यों किया? ये सुनकर सुभाष के पिता का गुस्सा सातवें आसमां पर पहुंचा और उन्होंने उन्हें कसकर एक थप्पड़ मारा। कुपित होकर सुभाष ने नीले थोथे के एक पैकेट को एक कप पानी में मिलाया और पी गए। अगली सुबह उन्होंने खुद को अस्पताल के बिस्तर पर पाया और उनके पिता उनके सिरहाने बैठे हुए थे। नीले थोथे के जहर से उनके पेट में काफी दर्द हो रहा था और वो काफी कमजोर भी महसूस कर रहे थे। इसी घटना के बाद उन्होंने ठाना कि वो एक दिन कुछ बनकर दिखाएंगे।

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Child Life Of Subhash Ghai

Life Of Subhash Ghai

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सुभाष को दिल की बात मानने को कहती थीं मां

किताब में बताया गया है कि सुभाष जब दस साल के थे, तभी उनके पैरेंट्स का सप्रेशन हो गया था। उनकी मां उनको काफी लंबे खत लिखा करती थीं और हमेशा उनसे अपने दिल की बात को मानने की बात कहती थीं। हीरो मूवी से लेकर कालिचरण और विश्वनाथ की सफलता के सोपान पर पहुंचे सुभाष घई किस तरह अपनी मां को इस बात के लिए मनाते हैं कि उनके बीमार पिता अपनी दूसरी पत्नी के साथ उनके साथ रह सके, इसका विवरण बहुत ही भावात्मक है।

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