Article 370 Movie Review: आर्टिकल 370 के बारे में कितना जानते हैं? नहीं पता तो देखें फिल्म
Article 370 Movie Review: (By: Ashwani Kumar) 'आर्टिकल 370' (Article 370) 23 फरवरी यानी आज सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है। इस फिल्म की कहानी के जरिए मेकर्स ने हिंदुस्तान में सियासी मुद्दों और कश्मीर के आतंकवाद के साथ पाकिस्तान से जंग पर बात की है। 5 अगस्त साल 2019 के बाद कश्मीर के हालात कैसे बदले ये इस फिल्म में देखने को मिलने वाला है। जहां कश्मीर में कर्फ्यू का माहौल और बंद इंटरनेट के पीछे की कहानी डिटेल में बुनी गई है। इस मूवी में आपको फिल्मी अंदाज में देश की राजनीति दिखाई गई है। 2 बार नेशनल अवॉर्ड जीत चुके आदित्य सुहास जाम्भाले (Aditya Suhas Jambhale) ने इस फिल्म को डायरेक्ट किया है। तो वहीं, आदित्य धर (Aditya Dhar) जो राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हैं उन्होंने इस फिल्म की राइटिंग और इसे प्रोड्यूस करने की कमान संभाली है।
दो किरदारों के इर्द-गिर्द घूमती है कहानी
इस कहानी की शुरुआत में ही दर्शकों के सामने डिस्क्लेमर पेश कर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि सच्ची घटनाओं पर आधारित इस कहानी को फिल्मी लिबर्टी के साथ पेश किया जा रहा है। हालांकि, फिल्म में क्लासिफाइड डिटेल्स हैं जो कि सेंसर बोर्ड से बिना किसी परेशानी पास हो गई। इतना ही नहीं देश के प्रधानमंत्री ने हाल ही में अपनी एक रैली में फिल्म आर्टिकल 370 का जिक्र किया है और बताया है कि इस फिल्म में दर्शकों को असली फैक्ट्स देखने को मिलेंगे। जिसके बाद इसके फैक्ट्स को लेकर किसी तरह के सवाल नहीं उठाना चाहिए। बता दें, 'आर्टिकल 370' की कहानी दो किरदारों पर फोकस करती है। पहला जूनी हक्सर और दूसरा पीएमओ सेक्रेटरी राजेश्वरी।
सेंसिटिव चीजों को बारीकी से दर्शाया गया
जूनी को पहले कश्मीर के इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट में काम करते हुए दिखाया गया है हालांकि बाद में उनकी पोस्टिंग किसी वजह से दिल्ली में हो जाती है। इसके बाद PM ऑफिस- जूनी को नेशनल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी को लीड करने का मौका देता है। इस फिल्म में 2 खास चीजें हैं। पहला तो सभी इंफॉर्मेशन आपको डिटेल्स में देखने को मिलेंगी। दूसरा ऑडियंस आखिर तक इसमें अपना इंटरेस्ट लूज नहीं करेगी क्योंकि कहानी को बड़े ही दिलचस्प तरीके से दिखाया गया है। ऐसे में आपका फोकस अंत तक बना रहेगा। इस फिल्म में कई सेंसिटिव चीजें भी हैं जैसे साल 2016 में सिक्योरिटी फोर्सेज कैसे बुरहान वानी को मारती है। इसके बाद कैसे हालात हाथ से निकलते हैं वो भी फिल्म में मौजूद है।
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फिल्म की खूबियां
कश्मीर की बुनियाद कैसे रखी कई, कैसे राजनीतिक गलतियां हुईं और दो पावरफुल पॉलिटिकल फैमिली जो हवाला नेटवर्क के जरिए टेरर फंडिंग चलाती थी उन सबकी कहानी आसानी से इस फिल्म में समझाई गई है। हिज्बुल कमांडर रियाज नायकू की सुरक्षा बल संग हुई भिड़ंत भी इस कहानी का हिस्सा है। सभी सेंसिटिव मुद्दों को बारीकी से दिखाया गया है। कश्मीर की लोकेशन का भी इस्तेमाल बेहतर तरीके से किया गया है। साथ ही सिनेमैटोग्राफी और एक्शन सीक्वेंस में भी फिल्म बाजी मार रही है। बैकग्राउंड स्कोर भी परफेक्ट है। यामी गौतम (Yami Gautam) फिल्म में जान फूंक रही हैं। वो जूनी के किरदार में इमोशनल और इंटेंस सिचुएशन में उभरकर सामने आ रही हैं। प्रियामणि की बॉडी लैंग्वेज भी फिल्म में कमाल लग रही है। पीएम मोदी के किरदार में एक्टर अरुण गोविल भी बढ़िया लग रहे हैं। अमित शाह के किरदार में किरण करमाकर ने बेहतरीन परफॉरमेंस दी है। अगर आपकी भी दिलचस्पी राजनीति में है तो ये फिल्म आपको मिस नहीं करनी चाहिए।
इस फिल्म को 3.5 स्टार।