Bhakshak Director on Kolkata Rape Case: कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में हाल ही में एक महिला डॉक्टर के साथ हुए रेप और मर्डर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। ये घटना एक बार फिर साबित करती है कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर हमारे समाज में बहुत कुछ बदलने की जरूरत है। इस घटना पर बॉलीवुड की कई हस्तियों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और इंसाफ की मांग की है। इसी बीच भूमि पेडनेकर की फिल्म 'भक्षक' के निर्देशक पुलकित सिंह ने इस मामले पर कुछ ऐसा कह दिया जिससे कि अब सोशल मीडिया पर हंगामा हो गया। जी हां डायरेक्टर ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक पोस्ट शेयर किया है। उनके इस पोस्ट ने समाज की कड़वी सच्चाई को उजागर किया है और लोगों को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर भी कर दिया है।
पुलकित सिंह ने जारी किया पोस्ट
पुलकित सिंह ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर कोलकाता के डॉक्टर रेप-मर्डर केस पर एक फोटो और लंबा नोट शेयर किया है। इस फोटो में एक सफेद हाथ को एक काले हाथ ने पकड़ रखा है, जो एक बड़ा मैसेज दे रहा है। पुलकित ने अपनी पोस्ट में लिखा, "भक्षक फिल्म के आखिर में भूमि पेडनेकर ने एक बात कही थी जो महज संवाद नहीं था। ये सच था, मेरा और आपका। आज उसी संवाद को कोलकाता में हुए रेप केस से जोड़ कर वापस लिख रहा हूं और उम्मीद करता हूं कि एक दिन हम शून्य जैसे ना बैठें। उस दिन हम वाकई आजाद हो जाएंगे।"
समाज की उदासीनता पर सवाल
पुलकित ने अपने पोस्ट में ये भी लिखा कि कोलकाता में हुई घटना को लेकर समाज की प्रतिक्रिया वो ज्यादा समय के लिए नहीं है। उन्होंने लिखा, “क्या फर्क पड़ता है? आज कोलकाता में हुआ है, कल कहीं और होगा। दो दिन गुस्सा रहेगा, शायद कुछ लोगों को बुरा भी लगे। ट्विटर और फेसबुक पर अपनी संवेदना जाहिर कर लेंगे, वो भी हैशटैग के साथ। कुछ संवेदनाएं राजनीतिक होंगी और कुछ शायद तब जागे जब किसी अपने के साथ कुछ हो जाए। लेकिन सच्चाई यही है कि हमारी सोशल मीडिया पर जिंदगी में अहसास शून्य हो चुके हैं।”
मीडिया की भूमिका और सच्चाई
पुलकित ने मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि मीडिया केवल वही दिखाता है जिससे टीआरपी मिलती है। टीआरपी बटोरने के लिए मीडिया कुछ पहलुओं को हाइलाइट करता है लेकिन सच्चाई को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।
दुख और संवेदनशीलता की कमी
पोस्ट के आखिर में पुलकित ने समाज से एक महत्वपूर्ण सवाल पूछा, उन्होंने पूछा "क्या आप दूसरों के दुख पर दुखी होना भूल गए हैं? क्या आपकी गिनती इंसानों में अब भी होती है या आप भी भक्षक बन चुके हैं?" पुलकित की इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर खूब चर्चा बटोरी है। उनकी बातें ये दर्शाती हैं कि समाज में बदलाव लाने के लिए सिर्फ संवेदनाओं का दिखावा नहीं बल्कि वास्तविक और स्थायी कदम उठाने की जरूरत है।