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Ulajh Movie Review: अपनी ही कहानी में उलझी जाह्नवी कपूर की फिल्म, ढीला स्क्रीनप्ले फिर कैसे छा गईं एक्ट्रेस?

Janhvi Kapoor Movie Ulajh Review: बॉलीवुड एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर की फिल्म 'उलझ' आज बड़े पर्दे पर रिलीज हो गई है। फिल्म की कहानी को अगर एक शब्द में बयां करना हो तो वो होगा 'उलझ'। कैसी है फिल्म की कहानी और किरदारों की एक्टिंग, चलिए जानते हैं।
12:12 PM Aug 02, 2024 IST | Himanshu Soni
ulajh movie review  अपनी ही कहानी में उलझी जाह्नवी कपूर की फिल्म  ढीला स्क्रीनप्ले फिर कैसे छा गईं एक्ट्रेस
Janhvi Kapoor Movie Ulajh Review

Janhvi Kapoor Movie Ulajh Review: जाह्नवी कपूर, गुलशन देवैया स्टाटर फिल्म 'उलझ' ने आज सिनेमाघरों में दस्तक दे दी है। फिल्म में जाह्नवी फॉरेन अफेयर्स की डिप्लोमैट के किरदार में नजर आ रही हैं। पहली बार जाह्नवी किसी ऐसे रोल में नजर आई हैं जहां उनके लिए करने के लिए काफी कुछ था। फिल्म में इमोशन्स का रोलर कोस्टर देखने को मिलता है। आइए इस रिपोर्ट में आपको बताते हैं आखिर कैसी है फिल्म की कहानी और फिल्म को कितने स्टार्स मिलते हैं।

कहानी

फिल्म की कहानी की शुरुआत होती है सुहाना भाटिया यानी कि जाह्नवी कपूर से जिसका लाइफ में सिर्फ एक मोटिव है वो है अपने परिवार की लेगेसी को आगे ले जाना और अपने पिता को गर्व महसूस कराना। सुहाना एक ऐसे परिवार से आती हैं जिसने अपनी पूरी जिंदगी देश के नाम की है। सुहाना भी कुछ वैसा ही करना चाहती हैं इसलिए उसकी जिंदगी का बस एक ही लक्ष्य है वो है फॉरेन अफेयर्स की ऑफिसर बनना।

भारत के फेमस डिप्लोमैट वनराज भाटिया की बेटी के किरदार में सुहाना भाटिया भी अपने काम और देश से बहुत प्यार करती हैं। उनके दादा यूएन में इंडिया की तरफ से रिप्रेजेंटिव रह चुके हैं इसलिए इसमें कोई शक नहीं कि सुहाना स्ट्रॉन्ग पॉलिटिकल परिवार से आती हैं। अपने काम और शार्प माइंड के चलते सुहाना छोटी उम्र में डिप्टी हाई कमिश्नर बन जाती हैं लेकिन बावजूद इसके उनके पिता को कुछ खास खुशी नहीं होती। वो चाहते हैं कि सुहाना इतना बड़ा पद मिलने के बाद कोई बेवकूफी ना करे लेकिन सुहाना का खुद पर आत्मविश्वास और काबिलियत उनके पिता के डर पर हावी हो जाता है। फिर वहां से शुरू होता है सुहाना का लंदन में सुहाना सफर या फिर यूं कहें कि यही से शुरू होती हैं सुहाना के जीवन में सारी मुश्किलें।

बड़ी पोस्ट मिलने के बाद सुहाना का ट्रांसफर लंदन में हो जाता है और वहां उन्हें पर्सनल ड्राइवर मिलता है। सुहाना का ड्राइवर सलीम खुद को हैदराबाद से बताता है और कहता है कि वो उनका ख्याल रखेगा। हर छोटी से बड़ी मुसीबत में वो सुहाना को मदद करने का वादा करता है। एक समय के बाद फिल्म ही कहानी बहुत ही प्रेडिक्टेबल बन जाती है। जब सुहाना के चेहरे पर थोड़ा सा भी डर दिखता है को सलीम उसे तुरंत मदद करने का ऑफर देता है। यहीं से लगता है कि दाल में कुछ काला तो जरूर है।

ये सोचकर आपका दिमाग खराब हो सकता है कि लदंन में इंडियन एंबेसी की डिप्लोमैट सुहाना भाटिया जो दिमाग से इतनी शार्प है वो वहां मिले एक शख्स जो अपना नाम नकुल बताता है उसे अपना दिल कैसे दे बैठती है। एक अनजान देश में जहां सुहाना किसी को नहीं जानती वो एक शख्स से प्यार कर बैठती हैं। फिर उसके साथ घूमना-फिरना और रात बिताना। बस यही काम एक डिप्लोमैट तो नहीं करेगा कि बिना किसी बैकग्राउंड वेरिफिकेशन के वो किसी के इतना करीब चला जाए। इसके बाद नकुल उसे ब्लैकमेल करने लगता है और अपने करियर को दांव पर लगा देख सुहाना एक के बाद एक गलतियां करती ही रह जाती हैं और बुरी तरह से दूसरों के बिछाए जाल में फंसकर रह जाती हैं। इसके बाद सुहाना कैसे उस जाल से खुद को बाहर निकालती हैं ये जानने के लिए आपको फिल्म देखने जाना होगा।

डायरेक्शन

फिल्म का निर्देशन किया है सुधांशु सरिया ने जिन्होंने साल 2023 में आई फिल्म 'सना' का भी निर्देशन किया था। फिल्म का फर्स्ट हाफ तो आपके सिर के ऊपर से ही चला जाएगा। समझ ही नहीं आएगा कि फिल्म में आखिर चल क्या रहा है। किरदार इतने उलझे हुए लगेंगे कि ऐसा लगेगा कि फिल्म जल्दी से खत्म हो और आप थिएटर से बाहर निकल पाएं। फिल्म की शुरुआत ही इतनी बोरिंग होती है कि लगता है कि आगे फिल्म को ना ही देखा जाए। हालांकि डायरेक्टर ने सेकंड हाफ में फिल्म को अच्छे से दिखाया है। दर्शकों को थिएटर में बांधे रखना का काम फिल्म के कुछ आखिरी सीन्स करते हैं। जहां एक के बाद रहस्यों का खुलासा होता है और फिल्म का असली मोटिव पता चलता है। फिल्म के आखिर में डायरेक्टर ने ये भी हिंट दे दिया है कि फिल्म का सेकंड पार्ट भी बन सकता है।

फिल्म के डायरेक्टर हो या फिर एक्टर्स, सभी मिलकर क्या करना चाह रहे हैं वो पता ही नहीं चल पाता। स्क्रीनप्ले इतना ढीला दिखाया गया है कि फिल्म देखकर चक्कर आने लगते हैं। समझ ही नहीं आता कि एक्टर्स क्या निभाना चाह रहे हैं, पर्दे पर क्या दिख रहा है, कहानी क्या बताना चाह रही है, सब कुछ फिल्म के नाम की ही तरह बहुत उलझा-उलझा सा ही नजर आता है।

एक्टिंग

फिल्म में अभिनय की बात करें तो कुछ हद तक किरदारों ने फिल्म के साथ इंसाफ किया है। जाह्नवी कपूर हो या गुलशन देवैया सभी ने अपनी दमदार एक्टिंग से फिल्म की ढीली कहानी में दम भरने की कोशिश जरूर की है। कुछ-कुछ जगहों पर जाह्नवी कपूर ने कमाल की एक्टिंग की है। दूसरे स्टारकिड्स से हटकर एक्ट्रेस ने खुद को एक मजबूत अभिनेत्री के तौर पर साबित करने की कोशिश की है। वहीं फिल्म में जाह्नवी संग रोमांस से लेकर विलेनगिरी तक, गुलशन ने लाजवाब तरह से अपने रोल को निभाया है। उनके अलावा मियांग चैंग, रोशन मैथ्यू, आदिल हुसैन भी अपना-अपना बेस्ट परफॉर्मेंस देते हुए नजर आ रहे हैं।

फैसला

फिल्म में स्पाई थ्रिलर के नाम पर कन्फ्यूजन के अलावा आपको कुछ देखने को नहीं मिलेगा। हालांकि सस्पेंस अगर आपको पसंद है तो फिर ये फिल्म आपको ज्यादा निराश नहीं करेगी। फिल्म की कहानी को डिकोड कर लेंगे तो आपका अनुभव ठीक-ठाक ही रहेगा। बस ज्यादा दिमाग नहीं लगाना है क्योंकि फिल्म ऐसा आपको करने ही नहीं देगी। फिल्म की कहानी इतनी उलझी हुई नजर आती है कि दर्शकों को वक्त ही नहीं मिल पाएगा कि वो ज्यादा कुछ सोच पाएं। ओवरऑल फिल्म ज्यादा अच्छा तो नहीं लेकिन एक डिसेंट अनुभव आपको जरूर देगी। उलझ को मिलते हैं 5 में से 3 स्टार।

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