Kanguva Movie Review: Disha Patani को एक्टिंग क्लास की जरूरत, रोमांस-कॉमेडी सब फेल... कॉस्ट्यूम ड्रामा बनकर रह गई फिल्म
Kanguva Movie Review: (By- Ashwani Kumar) सुपरस्टार सूर्या की मोस्ट अवेटेड फिल्म 'कंगुवा' आज थिएटर्स में रिलीज हो गई है। इस फिल्म का फैंस दो कारणों से बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। एक तो ये सूर्या की फिल्म है और दूसरा ढाई साल बाद वो लीड रोल में नजर आ रहे हैं। फिल्म का पोस्टर देखकर ही फैंस इसे देखने के लिए जोश में आ गए थे। डायरेक्टर शिवा ने फिल्म को दिलचस्प बनाने के लिए इसे 2 टाइम फ्रेम में सेट किया है। पहला प्री-हिस्टोरिक यानी साल 1070 की कहानी दिखाई जाती है और फिर साल 2024 में उसे फिट बिठाया जाता है।
क्या है फिल्म 'कंगुवा' की कहानी?
अगर आप भी ये फिल्म देखने जा रहे हैं तो पहले ही बता दें आपकी उम्मीदों पर पानी फिर सकता है। 'कंगुवा' की कहानी 2 घंटे 24 मिनट और 48 सेकंड की है। फिल्म में क्या होता है ये भी जान लेते हैं। फिल्म में रशिया की बायो मेडिकल लैब दिखाई गई है, जहां बच्चों पर एक्सपेरिमेंट किए रहे हैं। उनके ब्रेन पावर को सुधारकर उन्हें सुपरपॉवर्स दी जाएंगी। मगर एक बच्चा जिसका नाम Zeta है वो भाग जाता है और गोवा चला जाता है। यहां वो बाउंटी हंटर यानी फ्रांसिस से मिलता है। फ्रांसिस अपनी गर्लफ्रेंड एंजेला और दोस्त संग बाउंटी हंटिंग का काम करता है। यहां से एक्शन शुरू होता है। फ्रांसिस और Zeta में एक कनेक्शन है और बाउंटी हंटर बच्चे को बचाने में लग जाते हैं।
क्लाइमेक्स में जमाया 'कंगुवा 2' के लिए माहौल
इसके बाद 1070 की कहानी शुरू होती है। जहां रोमन योद्धा 5 आइलैंड्स को जीतने निकले हैं। योद्धा और राजकुमार कंगुवा पेरुमात्ची नाम के आइलैंड को रूल करता है। अपने कबीले के लोगों की रक्षा के लिए कंगुआ रोमन्स और दूसरे ट्राइब्स से भी भीड़ जाता है। उसकी लड़ाई अथिरा ट्राइब के सरदार उथिरन से है। कंगुआ पोरूआ नाम के बच्चे को रोमन्स से बचाने के लिए जी जान लगा देता है। इस बच्चे को उसका बाप उसे कुछ सोने के सिक्के पाने के लालच में बेच रहा है। ये कहानी 1 हजार साल बाद भी चलती रहती है। वहीं, क्लाइमेक्स में कार्थी का कैमियो है जो 'कंगुवा 2' के लिए माहौल बना रहा है।
फिल्म में दिखीं ढेरों खामियां
आपको बता दें, 'कंगुवा' के फर्स्ट हॉफ में दिशा पाटनी का बिकिनी सीन है। हालांकि, सूर्या के साथ उनकी रोमांटिक केमिस्ट्री क्यों दिखाई गई है? इस सवाल का जवाब तो डायरेक्टर को भी नहीं पता। योगी बाबू की कॉमेडी फिल्म में पूरी तरह फेल हो गई है। गोवा के सीक्वेंस को तो फिल्म से डिलीट ही कर देना चाहिए। 1070 की स्टोरी, लुक्स और सूर्या के कैरेक्टर पर यूं तो काफी काम किया गया है, लेकिन दूसरे कैरेक्टर्स के बैकग्राउंड और सीन्स पर काम करना डायरेक्टर भूल गए। उन्होंने उथिरन का कैरेक्टर भी ढंग से नहीं गढ़ा। कंगुवा और उधिरन के बीच का वॉर सीक्वेंस बस एक कॉस्ट्यूम ड्रामा बनकर रह गया।
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दिशा पाटनी की एक्टिंग एक दम बकवास
स्केल पर तो काम कर लिया, लेकिन VFX नकली से लगे। लाउड बैकग्राउंड म्यूजिक आपको इरिटेट कर सकता है। फ्रांसिस और कंगुवा के किरदार में सूर्या ने जो मेहनत की है वो दिखाई दे रही है, लेकिन कहानी इम्च्योर है। फिल्म देखकर ऐसा लगता है कि दिशा पाटनी को एक्टिंग कोर्स कर लेना चाहिए। योगी बाबू का भी फिल्म में गलत इस्तेमाल किया गया है और बॉबी देओल को फिल्मों साइन करने से पहले सोचना चाहिए। 'कंगुवा' के पहले पार्ट ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। भारी बजट के साथ पैन इंडिया फिल्म बनाने की इच्छा में साउथ मेकर्स को ब्रेक लेकर कहानी कसने की जरूरत है।
कंगुवा को 2 स्टार।