KBC 16 में ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित बिहारी रिक्शा वाला बना लखपति, बताया कैसे अस्पताल से हॉट सीट पर पहुंचा
Paras Mani On KBC 16: कौन बनेगा करोड़पति 16 (KBC 16) में बिहार की प्रतिभा ने एक बार फिर से सबका दिल जीत लिया है। मुजफ्फरपुर के मालीघाट के रहने वाले पारसमणि ने अपनी मेहनत और लगन से गेम शो की हॉट सीट पर जगह बनाई और 12 लाख 50 हजार रुपये जीतकर लखपति बने। इस दौरान बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन भी पारसमणि की प्रतिभा से प्रभावित हुए और उनके जज्बे की तारीफ की। पारसमणि ने कैसे ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ाई की और केबीसी जैसे बड़े शो की हॉट सीट पर जा पहुंचे, उन्होंने न्यूज 24 से खास बातचीत करते हुए बताया।
कई सालों की मेहनत रंग लाई
पारसमणि की ये सफलता उनके 20 सालों की मेहनत का नतीजा है। उन्होंने बताया कि उनका सपना हमेशा से 'कौन बनेगा करोड़पति' में भाग लेने का था और वो इसके लिए लंबे समय से कोशिश कर रहे थे। इस बार जब उन्हें हॉट सीट पर बैठने का मौका मिला, तो ये उनके लिए एक बड़ी सफलता थी। कई सवालों का सही जवाब देने के बाद, महात्मा गांधी से जुड़े एक सवाल में उलझकर उन्होंने खेल छोड़ दिया लेकिन 12 लाख 50 हजार रुपये की राशि जीतकर उन्होंने सभी को प्रभावित किया।
ई-रिक्शा ड्राइवर की कहानी
पारसमणि पहले मुजफ्फरपुर में एक मोबाइल रिचार्ज की दुकान चलाते थे। कोरोना काल के दौरान उनकी दुकान बंद हो गई, जिसके बाद उन्होंने एक ई-रिक्शा लिया और उसी से अपने परिवार का पालन-पोषण करने लगे। इस ई-रिक्शा से वो प्रतिदिन 500 से 700 रुपये कमाते हैं और परिवार के खर्चे चलाते हैं।
अमिताभ बच्चन का खास वादा
पारसमणि की कहानी यहीं समाप्त नहीं होती। साल 2008 में पारसमणि को ब्रेन ट्यूमर हो गया था जिसके बाद वो इलाज के लिए कही जगह भटके। उनका ट्यूमर पूरी तरह से तो निकल नहीं पाया लेकिन इलाज तभी से ही चल रहा है। शो के दौरान ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे पारसमणि को अमिताभ बच्चन ने बड़ी राहत दी। अमिताभ बच्चन ने पारसमणि के इलाज का पूरा खर्च उठाने का वचन दिया और मुंबई के लीलावती अस्पताल में उनके इलाज की व्यवस्था की। पारसमणि ने कहा कि अमिताभ बच्चन ने न सिर्फ उनकी प्रतिभा की सराहना की, बल्कि उनकी बीमारी को लेकर भी संवेदनशीलता दिखाई और इलाज का खर्च उठाने का वादा किया।
सपनों की ऊँचाई तक पहुंचना
पारसमणि के जीवन की ये सफलता कहानी एक प्रेरणा है कि मेहनत और समर्पण से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उनका सफर ये साबित करता है कि असामान्य परिस्थितियों के बावजूद भी सपनों को साकार किया जा सकता है। पारसमणि की KBC की यात्रा ने न सिर्फ उन्हें लखपति बनाया, बल्कि उनके जज्बे और मेहनत को भी सही मायनों में सम्मानित किया।
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