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'तार बिजली से पतले हमारे पिया' गाने वालीं Sharda Sinha के गाने के खिलाफ थीं सास, फिर इस शख्स के चलते बनीं लोक गायिका

Sharda Sinha Life Struggle: बिहार की लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। आइए आपको बताते हैं गायिका की जिंदगी और उनके संघर्ष से जुड़े कुछ किस्से।
06:16 PM Nov 05, 2024 IST | Himanshu Soni
शारदा सिन्हा
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Sharda Sinha Life Struggle: भोजपुरी और मैथिली लोक संगीत की दुनिया में अपने अनमोल योगदान के लिए फेमस शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। वह दिल्ली के एम्स में भर्ती थीं। गायिका ब्लड कैंसर से जूझ रही थीं। हाल ही में उनकी तबीयत बिगड़ी, जिसके बाद उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया। उनकी हालत पहले तो स्थिर थी, लेकिन अचानक उनकी स्थिति फिर से गंभीर हो गई। फिर उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था।

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बिहार के हुलास गांव में जन्मीं शारदा सिन्हा

शारदा सिन्हा का जीवन सिर्फ संगीत की सफलता की कहानी ही नहीं है, बल्कि उनकी जिदंगी से जुड़े संघर्षों की भी कहानी है। बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में जन्मीं शारदा सिन्हा का बचपन से ही संगीत की ओर रुझान था। वो किशोरावस्था में ही घंटों संगीत रियाज करती थीं और एक साधारण परिवार से आने के बावजूद उन्होंने कभी अपने सपनों को नहीं छोड़ा। शादी के बाद भी जब उन्हें ससुराल वालों से खास सपोर्ट नहीं मिला तो शारदा ने हार मानने के बजाय अपना संघर्ष जारी रखा।

ससुर ने किया शारदा सिन्हा को सपोर्ट

शारदा सिन्हा की सफलता के पीछे उनके ससुर का अहम योगदान रहा है। द लल्लनटॉप के साथ एक इंटरव्यू में शारदा ने बताया कि शादी के बाद उनके परिवार ने गायकी को लेकर विरोध किया था। जब उन्होंने गाने का फैसला लिया, तो उनकी सास ने कई दिनों तक खाना तक नहीं खाया। उनके ससुर ने उनका समर्थन किया, क्योंकि उन्हें कीर्तन का शौक था और वो चाहते थे कि शारदा ठाकुरबाड़ी में भजन गाएं। इस पर उनकी सास नाराज हो गईं लेकिन शारदा को उनके ससुर से साथ मिला।

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शारदा ने बताया कि जब उन्होंने भजन गाया और लोगों की तारीफें मिलीं, तब जाकर उनकी सास का गुस्सा कम हुआ। इसके अलावा शारदा सिन्हा ने हमेशा अपने पति का समर्थन पाया, जिसने उनके गायन करियर को आगे बढ़ने में मदद की। शारदा ने भोजपुरी और मैथिली समेत बाकी लोक भाषाओं में गाने के साथ-साथ मणिपुरी नृत्य में भी शिक्षा ली। उन्हें कई सम्मान मिल चुके हैं, जिनमें पद्मश्री और पद्मभूषण शामिल हैं।

शारदा के गानों के बिना त्योहार नहीं होता पूरा

शारदा सिन्हा की गायकी में खासतौर पर छठ पूजा के गीतों का अहम योगदान रहा है। उनकी मधुर आवाज की वजह से उन्हें ‘बिहार की कोयल’ भी कहा जाता है। छठ पर्व के दौरान उनके गीत सुनने का जो आनंद मिलता है, वो लोगों की धार्मिक आस्थाओं से जुड़ा हुआ है। शारदा सिन्हा की आवाज में गाए गए गीत बिहार और उत्तर प्रदेश के हर त्योहार का हिस्सा बन चुके हैं और उनकी गायकी के बिना कोई भी शादी या त्योहार अधूरा सा लगता है।

संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के कारण उन्हें कई सम्मान भी मिले हैं। साल 1991 में उन्हें पद्मश्री और 2018 में पद्मभूषण से नवाजा गया। इसके अलावा उन्होंने बॉलीवुड में भी कई सुपरहिट गाने दिए, जिनमें ‘कहे तो से सजना’ और ‘तार बिजली’ जैसे गाने शामिल हैं।

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