फिल्म इंडस्ट्री में यौन शोषण: मर्द की तरह खड़ा होना सीखें…शोभा डे की मोहनलाल को चुनौती
Shobhaa De On Hema Committee Report: केरल फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न को लेकर आई हेमा कमेटी की रिपोर्ट में काफी चौंकाने वाली बातें सामने आईं। कई एक्ट्रेस ने इंडस्ट्री में होने वाले बुरे बर्ताव और सेक्शुअल हैरेसमेंट की घटनाओं पर चुप्पी तोड़ी। कई ऐसी एक्ट्रेस और महिलाएं भी सामने आईं जिन्होंने डायरेक्टर्स और एक्टर्स पर आरोप लगाते हुए बताया कि किस तरह आवाज उठाने पर उन्हें फिल्मों से साइडलाइन कर दिया जाता था। अब इस अभियान में फेमस राइटर शोभा डे की एंट्री हो चुकी है। उन्होंने इस मुद्दे पर तल्ख टिप्पणी की। साथ ही मलयालम फिल्मों के एक्टर, प्रोड्यूसर मोहनलाल की चुप्पी पर सवाल खड़े किए। इंडस्ट्री में चल रहे मीटू अभियान पर जिस तरह मोहनलाल खामोश हैं, उसको शोभा डे ने कायराना बताया और उनके एसोसिएशन ऑफ मलयालम फिल्म एक्टर के प्रमुख पद से इस्तीफा देने की मांग की।
शोभा डे ने मोहनलाल को दी चुनौती
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राइटर शोभा डे ने इंडस्ट्री में हो रहे यौन उत्पीड़न पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए मोहनलाल को चुनौती दी। उन्होंने कहा कि 'मोहनलाल जी आपको जरूरत है कि मर्द की तरह खड़े होइए। अपनी टीम के लोगों से कहिए कि वो जिम्मेदारी लें। जो पीड़ित लोग हैं, उन्हें न्याय दिलाइए।' शोभा डे ने आगे कहा कि 'मुझे लगता है कि इस मामले में सबसे ज्यादा दुख की बात ये है कि जस्टिस हेमा की रिपोर्ट पिछले 5 साल से पड़ी हुई है। इस मामले में अभी तक कुछ नहीं किया जा रहा है।'
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नेपोटिज्म को भी दोषी ठहराया
शोभा डे ने आगे कहा कि 'साल 2017 में किडनैपिंग और रेप का मामला सामने आया था। अब मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के हालात पर लोगों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। दिक्कत इस बात की है कि ये सिर्फ यहां नहीं हर जगह है। बॉलीवुड हो या फिर बंगाली सिनेमा इंडस्ट्री हर तरफ यौन उत्पीड़न जैसे मामले देखने को मिलते हैं। मुझे लगता है कि कर्नाटक भी इससे अछूता नहीं होगा।'अपनी बातचीत के दौरान शोभा डे ने इंडस्ट्री में नेपोटिज्म को दोषी ठहराते हुए इसे मीटू अभियान के लिए जिम्मेदार ठहराया।
प्रभावशाली लोगों पर उठाए सवाल
महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर बात करते हुए शोभा डे ने आगे कहा कि 'इंडस्ट्री में कई प्रभावशाली लोग होते हैं लेकिन मेरा मानना है कि अच्छा नेतृत्व वही होता है जिसमें लोग सुरक्षित महसूस कर सकें। दुख की बात है कि यहां महिलाएं हिंसा का शिकार हो रही हैं। फिल्मों के बदले उनसे सेक्स की डिमांड की जाती है। हैरानी होती है कि यहां महिलाओं को सेट पर टॉयलेट तक नहीं मुहैया कराए जाते हैं। ये सब जानने के बाद भी सही कदम नहीं उठाया जाता। महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया जाता।'
गौरतलब है कि जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट के आने के बाद से मलयालम इंडस्ट्री की महिलाओं के हालात सामने आने लगे हैं। इसके बाद से ही एक्ट्रेस इंडस्ट्री में होने वाले यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठा रही हैं।