Jadunathjee Maharaj के साथ ऐसा क्या हुआ? जिससे 'महाराज' को लेना पड़ा कोर्ट का सहारा
Why Jadunathjee Maharaj Filed Case: कहानी है साल 1862 की यानी आज से तकरीबन 162 साल पहले की। अपने ईश्वर के लिए हर इंसान के मन में अलग आस्था, विश्वास और प्रेम का भाव होता है, लेकिन जब सच्चाई सामने हो और हम उसे देखकर भी अनदेखा कर दें, तो जाहिर है कि ये अंधविश्वास है, जिसे हम देखना ही नहीं चाहते। हालिया रिलीज फिल्म 'महाराज' भी 162 साल पुरानी इसी कहानी को दिखा रही है। हालांकि जिन लोगों ने अभी तक इस फिल्म को नहीं देखा, तो उनके मन में ये सवाल जरूर होगा कि आखिर ऐसी क्या कहानी है, जो एक धर्म रक्षक को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। आखिर क्यों 'महाराज' ने कानून का सहारा लिया? अगर आपके मन में भी ये सवाल हैं, तो आइए आपको बताते हैं...
Jadunathjee Maharaj के साथ क्या हुआ?
दरअसल, 162 साल पहले जदुनाथजी महाराज ने धर्म की रक्षा का जिम्मा लिया था, लेकिन वो इसके रक्षक नहीं बल्कि भक्षक बनकर सामने आए और उन्होंने अपनी वासना को शांत करने के लिए धर्म की आड़ में महिलाओं का शोषण किया। हालांकि उन्होंने कभी किसी महिला के साथ जबरदस्ती नहीं की, लेकिन लोगों पर उन्होंने इस कदर अंधविश्वास की पट्टी बांध दी कि लोग खुशी-खुशी 'चरण सेवा' जैसे कुप्रथा पर विश्वास करने लगे। धीरे-धीरे ये बढ़ता गया और ना जाने कितनी महिलाओं की बलि चढ़ गई।
'करसनदास' ने लिया लड़ने का फैसला
जब ये सब महान समाज सुधारक 'करसनदास' ने देखा तो उनसे ये बिल्कुल नहीं पचा और उन्होंने इसे खत्म करने का बीड़ा उठा लिया। करसनदास ने जदुनाथजी महाराज की सच्चाई को दुनिया के सामने लाने की ठानी और उन्होंने लोगों को सच का आईना दिखाया। करसनदास ने लोगों को बताया कि धर्म भगवान बनने का नहीं अच्छा इंसान बनने का माध्यम है। ईश्वर तक पहुंचने के लिए किसी माध्यम की जरूरत नहीं होती और जो जदुनाथजी महाराज ने किया है वो शोषण है।
Jadunathjee Maharaj ने क्यों लिया कानून का सहारा?
बात जब जदुनाथजी महाराज के आत्म-सम्मान पर पाई और उनके अंहकार को ठेस लगी, तो उन्होंने कानूनी हथकंडे अपनाने शुरू किए। कानून का सहारा लेकर वो ना सिर्फ खुद को सही साबित करना चाहते थे बल्कि करसनदास की आवाज को भी गिराना चाहते थे, लेकिन कहते हैं ना कि जब सच हुंकार भरता है, तब कोई कितना भी शोर मचाए, सच सुनाई दे ही जाता है। करसनदास को सबक सिखाने के लिए जदुनाथजी महाराज ने कानून का सहारा लिया और उनपर 50 हजार रुपये की मानहानि का केस दायर किया, लेकिन करसन पर इन सब चीजों का कोई असर नहीं हुआ और उन्होंने सच्चाई की लड़ाई लड़ी।
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