अपने पीछे कितनी संपत्ति छोड़ गए Zakir Hussain? पद्म विभूषण जैसे पुरस्कारों से थे सम्मानित
Zakir Hussain Net worth: मौसिकी की दुनिया में जिनकी तबले की आवाज ने एक खास पहचान बनाई, वो उस्ताद जाकिर हुसैन अब हमारे बीच नहीं रहे। पीटीआई की खबर के मुताबिक 73 साल की आयु में उनका निधन हो गया और भारतीय समयानुसार सोमवार सुबह उन्होंने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में अंतिम सांस ली। उस्ताद जाकिर हुसैन को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी तबियत गंभीर थी और उन्हें ब्लड प्रेशर की समस्या का सामना करना पड़ रहा था। इसके अलावा फेफड़ों में फाइब्रोसिस भी उनकी गंभीर हालत की बड़ी वजह थी।
जाकिर हुसैन के बारे में
उस्ताद जाकिर हुसैन, महान तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा खां के बेटे थे और उन्होंने अपने पिता से ही तबले की शिक्षा ली। उनकी संगीत यात्रा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि केवल 11 साल की उम्र में उन्होंने अमेरिका में अपना पहला कॉन्सर्ट दिया था। लगभग 62 वर्षों तक उनका और तबले का रिश्ता कायम रहा। इस लंबी यात्रा के दौरान, उस्ताद हुसैन ने तीन ग्रैमी अवॉर्ड्स जीते और उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया। उनके योगदान से तबले को अंतरराष्ट्रीय मंच पर विशेष पहचान मिली और उनकी कला ने संगीत जगत को एक नई दिशा दी।
Zakir Hussain, 73, has died in San Francisco hospital, his family confirms.
READ: https://t.co/5NZ5BWnSQN
(File Photo) #ZakirHussain pic.twitter.com/kpw5D0wHg9
— Press Trust of India (@PTI_News) December 16, 2024
संगीत में योगदान और सम्मान
जाकिर हुसैन ने अपनी अद्वितीय तबला वादन शैली के जरिए न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई। अपने पिता और महान तबला वादक अल्लाह रक्खा से प्रेरणा लेकर उन्होंने उनके मार्ग पर चलते हुए संगीत की दुनिया में अपार सफलता हासिल की। उनकी कला और योगदान को देखते हुए उन्हें भारत सरकार द्वारा 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित सम्मान से नवाजा गया।
View this post on Instagram
अपनी संगीत के सफर के दौरान, जाकिर हुसैन ने पांच ग्रैमी पुरस्कार जीते। इनमें से तीन पुरस्कार उन्हें 2024 में 66वें ग्रैमी अवॉर्ड्स में मिले, जो उनके संगीत के प्रति समर्पण और वैश्विक पहचान का प्रमाण हैं। इसके अलावा उन्होंने 12 फिल्मों में संगीत रचना और प्रदर्शन भी किया, जिससे उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पेश किया और उसे एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया।