Explainer: इमरान खान की पार्टी ने क्यों खो दिया अपना सिंबल बैट? क्या पाकिस्तान चुनाव में पड़ेगा असर?
Why Imran Khan's Party Lost Its Symbol Bat In Hindi: पाकिस्तान में आगामी 8 फरवरी को चुनाव होने हैं और उससे ठीक पहले यहां की सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तगड़ा झटका दिया है। दरअसल उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) से उसका आइकॉनिक चुनाव चिह्न 'बैट' छीन लिया गया है।
It's done.
The Supreme Court has taken the Bat away from the PTI...
The Supreme Court of Pakistan overruled the decision of the Peshawar High Court...
Qazi Faiz Isa: You will be remembered in history
— Wajahat S. Khan (@WajSKhan) January 13, 2024
चीफ जस्टिस काजी फैज ईसा ने फैसला सुनाते हुए दावा किया था कि पीटीआई ने पार्टी के अंदर चुनाव नहीं करवाए थे। पाकिस्तान के राष्ट्रीय चुनाव में हिस्सा लेने के लिए राजनीतिक दलों के लिए इन चुनावों का आयोजन करना अनिवार्य होता है। इसी कारण से यहां के चुनाव आयोग ने दिसंबर में भी ऐसा ही प्रतिबंध लगाया था।
सेना को जिम्मेदार बता रही पीटीआई
चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ पीटीआई ने सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर दस्तक दी थी लेकिन यहां से भी उसे केवल निराशा ही हाथ लगी। 8 फरवरी को होने वाले चुनाव से ऐन पहले सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने इमरान खान की पार्टी को बड़ा झटका दिया है। वहीं, पीटीआई ने इसके लिए देश की सेना को जिम्मेदार बताया है।
पीटीआई का कहना है कि सेना उसे चुनावी दौड़ से बाहर करने की कोशिश कर रही है। हालांकि, पाकिस्तान की सेना ने इस आरोप को खारिज किया है। इमरान खान खुद इस समय जेल में हैं और पार्टी के पास चुनाव चिह्न नहीं रह गया है। पार्टी के सैकड़ों उम्मीदवारों को निर्दलीय सिंबल लिस्ट के अलावा अलग-अलग सिंबल दिए गए हैं।
पार्टी के प्रदर्शन पर क्या असर पड़ेगा
प्रत्याशियों के पास अलग-अलग चुनाव चिह्न होने से मतदाताओं में भ्रम की स्थिति बनेगी। इसके साथ ही पार्टी का खर्च बढ़ेगा क्योंकि उसे हर सदस्य के सिंबल के हिसाब से बैनर, पोस्टर जैसा अलग-अलग कैंपेन मटीरियल तैयार करवाना होगा। ये सब देखें तो लगता है कि बिना सिंबल के इमरान की पार्टी चुनाव में भगवान भरोसे ही रहेगी।
फिलहाल के लिए पीटीआई ने चुनाव आयोग के साथ अपना रजिस्टर्ड स्टेटस भी खो दिया है। इसका मतलब है कि उसके उम्मीदवार राजनीतिक दलों को दी जाने वाली आरक्षित सीटों पर चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। उल्लेखनीय है कि 342 सीटों वाली पाकिस्तान की राष्ट्रीय असेंबली में महिलाओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए कुल 70 सीटें आरक्षित हैं।
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