गुजरात की एक और अचीवमेंट, सांस्कृतिक विरासत ‘घरचोला’ को भारत सरकार से मिला ये स्पेशल टैग
GI Tag To Gharchola: गुजरात अपने विविध और उत्कृष्ट हस्तशिल्प के लिए जाना जाता है। पिछले कुछ सालों में गुजरात राज्य को कुल 26 जीआई टैग मिले हैं, जिनमें से 22 जीआई टैग हैंडीक्राफ्ट सेक्टर के लिए मिले हैं।
अब भारत सरकार ने गुजरात की एक और सांस्कृतिक विरासत हस्तशिल्प घरचोला को जीआई टैग दे दिया है और इसके साथ ही गुजरात को मिले जीआई टैग की कुल संख्या 27 हो गई है, जबकि हस्तशिल्प क्षेत्र में यह 23वां जीआई टैग है। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के नेतृत्व में गरवी गुर्जरी की यह एक और सफलता है।
गुजरात के गौरव "घरचोला हस्तशिल्प" को हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित "जीआई एंड बियॉन्ड - विरासत से विकास तक" कार्यक्रम के दौरान भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय के हथकरघा विकास आयुक्त द्वारा प्रतिष्ठित भौगोलिक संकेत (GI) टैग से सम्मानित किया गया है। गरवी गुर्जरी के प्रयासों से संभव हो पाई है।
घरचोला को जीआई की मान्यता अपनी कलात्मक विरासत को रिजर्व करने के लिए गुजरात के समर्पण को दिखाती है। यह जीआई टैग गुजरात के घरचोला हस्तशिल्प की समृद्ध विरासत और जटिल शिल्प कौशल को परिभाषित करता है और वैश्विक मंच पर घरचोला कला के अद्वितीय सांस्कृतिक खजाने को मजबूत करेगा।
जिला-एक उत्पाद योजना
मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के मार्गदर्शन में शुरू की गई एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना से जीआई प्रोडक्ट्स को व्यापक बढ़ावा मिला है। मुख्यमंत्री के इस विजन की सराहना करते हुए कॉटेज एंड विलेज इंडस्ट्रीज कमिश्नर ऑफिस इन जीआई टैग दिलाने के लिए सराहनीय काम कर रहा है।
गुजरात के घरचोला हिंदू और जैन समाज में शादी जैसे फॉर्मल ऑकेशनल पर पहने जाते हैं। ट्रेडिशनली घरचोला लाल या मैरून और हरे या पीले जैसे रंगों में बनाए जाते थे, जिन्हें हिंदुओं में शुभ रंग मानते हैं।
आज गुजरात के बुनकर आधुनिक समय में घरचोला साड़ी बनाने में अपने डिजाइन के साथ-साथ टेक्नीक को अपडेट कर रहे हैं। वे ज्यादा आकर्षक साड़ियां बनाने का कौशल विकसित कर रहे हैं, जिसके कारण मार्केट में घर पर बनी साड़ियों की मांग में भी काफी सुधार हुआ है। निगम के गरवी गुर्जरी बिक्री केन्द्रों पर घरचोला साड़ियां खूब बिक रही हैं।
जीआई टैग न केवल शिल्प की प्रामाणिकता और विशिष्टता को रेखांकित करता है, बल्कि इसे वर्ल्ड लेवल पर बढ़ावा देने के लिए एक मूल्यवान मार्केटिंग टूल भी प्रदान करता है। जीआई टैग उपभोक्ताओं को संबंधित उत्पाद की उत्पत्ति का आश्वासन देता है और उन्हें विश्वास दिलाता है कि वे वास्तविक और जिला-विशिष्ट हस्तशिल्प खरीद रहे हैं। यह स्थानीय कारीगरों के कौशल और परंपराओं का प्रतीक है।
घरचोला साड़ी के अलावा, पिछले साल सूरत की लुप्तप्राय कला "सादेली", बनासकांठा की "सूफ" कढ़ाई, भरूच जिले के "सुजनी" शिल्प के साथ-साथ "सौदागिरी प्रिंट" और "मटानी पचेड़ी" शिल्प को भी जीआई टैग दिए गए हैं। हस्तशिल्प सेतु योजना के तहत अहमदाबाद कुटीर और ग्रामोद्योग कार्यालय के आयुक्त के अथक प्रयास इन शिल्पों की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने में सहायक रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने जी-20 और वाइब्रेंट गुजरात जैसे अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लेने वाले गणमान्य व्यक्तियों को ये जीआई टैग उत्पाद उपहार में दिए हैं, जिससे इन प्रोडक्ट्स को वैश्विक पहचान मिली है। जीआई टैग प्राप्त करने के अलावा, गरवी गुर्जरी जीआई-प्रमाणित प्रोडक्ट्स को ज्यादा से ज्यादा बाजार पहुंच प्रदान करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
बाजार के अवसरों का विस्तार करके, निगम का लक्ष्य कारीगरों के आर्थिक अवसरों को बढ़ाना और समकालीन जीवन शैली में गुजरात के पारंपरिक शिल्प के व्यापक उपयोग को प्रोत्साहित करना है।
ये भी पढ़ें- Gujarat सरकार की इस योजना में महिलाओं को मिलेगी सब्सिडी, बनेंगी आत्मनिर्भर