गुजरात के इस किसान ने जैविक खेती से की डबल कमाई, खर्चा किया आधा; जानिए कैसे?
Gujarat Progressive Farmer Success Story: गुजरात औद्योग क्षेत्र के साथ-साथ कृषि के क्षेत्र में भी लगातार आगे बढ़ रहा है। कृषि के क्षेत्र में भी गुजरात के ज्यादातर किसान रासायनिक खेती को छोड़ प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं। इससे उनकी कमाई दोगुनी हो गई है और उनका खर्चा आधा हो गया है। ऐसे ही एक प्रगतिशील किसान मुकेशभाई देवजीभाई पटेल की कहानी आज हम आपको बताने वाले है, जिन्होंने रासायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती को अपनाया और अपना मुनाफा बढ़ाया।
Can site-specific nutrient management improve the productivity and resource use efficiency of climate-resilient finger millet in calcareous soils in India?
DOI: https://t.co/3lDkeduatn pic.twitter.com/S2WROVF0b6
— Dr.Rajendra Prasad Central Agricultural University (@Rpcau_pusa) August 21, 2024
जैविक खेती को अपनाया
साबरकांठा जिले के इदर तालुक के नवा रेवास के रहने वाले किसान मुकेशभाई देवजीभाई पटेल बताते है कि वह पहले रासायनिक खेती करते थे, तब सालाना मुनाफा 3.20 लाख रुपये था। लेकिन अब वह जैविक खेती कर रहे हैं और अब सालाना मुनाफा 6.55 लाख रुपये है। देवजीभाई पटेल ने बताया कि वह 4 एकड़ की जमीन पर जैविक खेती कर रहे हैं और सालाना 6.55 लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं। देवजीभाई पटेल ने बताया कि उन्होंने साल 2016 में जैविक खेती की शुरुआत की। उन्हें इसके बारे में जैविक खेती प्रशिक्षण शिविर में पता चला था।
यह भी पढ़ें: गुजरात में युवाओं को मिला सुनहरा मौका, इस पद के लिए जल्द करें आवेदन, सरकार देगी ये सुविधा
खर्चा आधा, कमाई डबल
देवजीभाई पटेल ने कहा कि उन्हें इस शिविर में रासायनिक खेती से होने वाले नुकसान के बारे में पता चला। उन्हें मालूम हुआ कि रासायनिक खेती से मिट्टी के सूक्ष्म जीव और कार्बनिक कार्बन कम हो जाता हैं, जिससे मिट्टी संकुचित हो जाती है। इससे जमीन की जल अवशोषण क्षमता कम हो जाती है। खेती की खाद और दवाइयां महंगी हैं, बीमारियां ज्यादा हैं। देवजीभाई पटेल ने बताया कि रासायनिक खेती में वे कपास, गेहूं, मूंगफली, आलू जैसी फसलें उगाते थे। लेकिन जैविक खेती शुरू होने के बाद से लागत कम हो गई है। वहीं उत्पादन और मुनाफा बढ़ गया। कृषि उपज की कीमतें ऊंची होती जा रही हैं और सबसे खास बात यह है कि पानी की कमी होती जा रही है। जैविक खेती में मिट्टी में केंचुओं की वृद्धि से मिट्टी उपजाऊ बनती है और जल भंडारण क्षमता बढ़ती है।