135 लोगों की हत्या के आरोपी का राजकोट में सम्मान, लोगों ने लड्डुओं से तौला; जानें मामला
Rajkot News: (ठाकुर भूपेंद्र सिंह, राजकोट) गुजरात के राजकोट में ओरेवा ग्रुप के प्रमोटर और 2022 मोरबी पुल हादसे के मामले में मुख्य आरोपी जयसुख पटेल का सम्मान किया गया। हादसे में 135 लोगों की मौत हुई थी। पटेल को उनकी मौत के लिए जिम्मेदार माना गया था। जिसके बाद उनको पुलिस ने अरेस्ट किया था। कड़वा पाटीदार केदवणी मंडल द्वारा उनका पाटीदार समाज के जरिए सम्मान किया गया है। वैसे तो मोरबी में उनकी एंट्री पर बैन है, लेकिन कार्यक्रम के लिए तीन दिन की कोर्ट से अनुमति के बाद उनको इजाजत दी गई। जयसुख पटेल को मोदक तुला (लड्डुओं से तौला) से सम्मानित किया गया। बाद में इन लड्डुओं को 60 हजार लिफाफों में पैक कर लोगों में बांटा गया।
समारोह में कई नेता पहुंचे
पुल ढहने के बाद पहली बार जयसुख पटेल किसी सामाजिक कार्यक्रम में दिखे। गुरुवार रात को उन्होंने राजकोट जिले में प्रवेश किया था। पाटीदार समुदाय के तीन दिवसीय समारोह का आयोजन मोरबी-राजकोट हाईवे पर टंकारा तालुका के पास लज्जई गांव में किया गया। समारोह में कई नेताओं, उद्योगपतियों और सामुदायिक नेताओं ने भाग लिया। इस दौरान देवी उमिया मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव भी आयोजित हुआ। वहीं, अन्य सामुदायिक बुनियादी ढांचों का उद्घाटन भी किया गया।
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से जयसुख पटेल को मार्च में जमानत दी गई थी। न्यायालय ने कहा था कि इस दौरान ट्रायल कोर्ट की निर्धारित शर्तों का पालन करना है। मोरबी सत्र न्यायालय ने उनके मोरबी जिले में एंट्री करने पर रोक लगाई थी। हालांकि पेशी के दौरान इससे छूट दी गई है। सूत्रों के अनुसार अब पटेल ने पांच दिन के लिए मोरबी में प्रवेश की अनुमति मांगी थी। लेकिन कोर्ट ने समारोह के लिए 3 दिन की ही अनुमति दी थी। वहीं, दूसरे पक्ष ने इसका विरोध किया था।
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Jaysukh Patel, the main accused in the deadly Morbi bridge collapse that claimed 135 lives, was controversially honored with a 'Modak Tula' at a public event.@NewIndianXpress @santwana99 @Shahid_Faridi_ pic.twitter.com/Qd4rYDPTYS— Dilip Singh Kshatriya (@Kshatriyadilip) November 16, 2024
दो साल पहले गिरा था पुल
दूसरे पक्ष ने कहा था कि उनका समारोह में उपस्थित होना जरूरी नहीं है। बता दें कि मोरबी पुल 30 अक्टूबर 2022 को गिरा था। जिसमें 135 लोगों की मौत हुई थी। इस पुल की मरम्मत की जिम्मेदारी पटेल की कंपनी के पास थी। पुल अंग्रेजों के समय में बनाया गया था। तीन महीने तक फरार रहने के बाद पटेल ने 31 जनवरी 2023 को सरेंडर कर दिया था।
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