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कौन हैं निर्भर ठाकर, 15 साल की उम्र में इंजीनियरिंग, 9 महीने में पास की ये क्लास

कम समय में अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए संबंधित अथॉरिटी से विशेष अनुमति लेनी पड़ती है। इस केस में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश समिति (एसीपीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) से मंजूरी ली गई थी।
08:59 PM Apr 23, 2024 IST | Amit Kasana
कौन हैं निर्भर ठाकर  15 साल की उम्र में इंजीनियरिंग  9 महीने में पास की ये क्लास
निर्भय ठाकर

Nirbhay Thacker: अमूमन 12वीं पास करते-करते बच्चे की उम्र 18 पहुंच जाती है। लेकिन गुजरात में एक होनहार छात्र ऐसा है जिसने 15 साल की उम्र में ही इंजीनियरिंग कर ली और महज 9 महीने में ही उसने 8वीं से 12वीं तक क्लास की थी। निर्भय के पिता खुद पेशे से इंजीरियर हैं और मां डॉक्टर हैं।

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गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से की पढ़ाई

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार निर्भय संभवत: देश के सबसे यंग इंजीनियर की डिग्री लेने वाले हैं। जानकारी के अनुसार निर्भय ठाकर गुजरात के भुज के रहने वाले हैं। साल 2002 में उनका जन्म हुआ था। उन्होंने गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (जीटीयू) से बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई) की डिग्री ली है।

3 महीने में 11वीं और 12वीं क्लास की 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार निर्भय बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज हैं। वह अपनी क्लास में अन्य बच्चों से आगे रहते थे। यही वजह है कि उन्होंने साल 2015-16 में 8वीं से 10वीं कक्षा पास कर ली थी। इसके बाद उसने 11वीं और 12वीं क्लास सिर्फ 3 महीने में कर ली थी। परिजनों के अनुसार निर्भय बचपन से ही और बच्चों से अलग है।

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यह उपलब्धि भी की हासिल

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम (मेन्स) भी दिया था। जिसमें उन्होंने 75/360 अंक हासिल किए थे। गौरतलब है कि निर्भय ने इंटरनेशनल जनरल सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (आईजीसीएसई) से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की है। बता दें आईजीसीएसई ऐसे बच्चों को कम समय में अपनी स्कूली शिक्षा पूरा करने का मौका देता है।

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निर्भय ने ली विशेष अनुमति

जानकारी के अनुसार निर्भय ने कम समय में अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए संबंधित अथॉरिटी से विशेष अनुमति ली थी। ऐसे केस में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश समिति (एसीपीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) से मंजूरी लेनी पड़ती है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार निर्भय ने दोनों जगह से परमिशन ली थी। जिसके बाद से ही उन्हें इंजीरियरिंग में दाखिल मिला था।

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