अनंत अंबानी के वंतारा में तीन हाथियों को मिलेगा नया जीवन! कार्गो एयरक्राफ्ट से पहुंचेंगे जामनगर
Anant Ambani News: गुजरात के जामनगर स्थित दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित वन्यजीव बचाव केंद्र वंतारा जल्द ही तीन अफ्रीकी जंगली हाथियों का स्वागत करेगा। इनमें दो मादा हैं और एक नर हाथी है। इनकी उम्र 28 और 29 साल है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी द्वारा स्थापित वंतारा से ट्यूनिशिया के एक निजी चिड़ियाघर ने संपर्क किया था। ये चिड़ियाघर अपने कम संसाधनों में हाथियों के जटिल भोजन, आवास और मेडिकल जरूरतों को पूरा कर पाने में संघर्ष कर रहा था।
तीन अफ्रीकी हाथी- अच्युतम, कानी और मीना को लगभग चार साल की उम्र में बुर्किना फासो से ट्यूनीशिया के एक चिड़ियाघर फ्रिगुइया पार्क भेज दिया गया था। इस पार्क में हाथी दर्शकों और पर्यटकों का मनोरंजन करते हुए तमाशा बने हुए थे। लेकिन अब इन हाथियों को वंतारा में एक नया घर मिलने वाला है। वंतारा प्रशासन ने वन्य जीव और वनस्पतियों की लुप्त प्राय प्रजातियों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार कन्वेंशन CITES की आवश्यकताओं सहित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कानूनी दायित्वों को पूरा कर लिया है। तीनों हाथियों को जल्द ही एक चार्टर्ड कार्गो विमान के माध्यम से भारत ले जाया जाएगा।
'हाथियों के लिए जंगल में लौटना संभव नहीं था'
फ्रिगुइया पार्क में तीनों हाथी लोगों के आकर्षण का केंद्र थे, लेकिन चिड़ियाघर के पास संसाधन कम थे और वित्तीय बाधाओं ने चिड़ियाघर को प्रभावित करना शुरू कर दिया। इस कारण से चिड़ियाघर प्रशासन ने तीनों अफ्रीकी हाथियों को रिटायर करने और खर्चों की भरपाई करने का निर्णय लिया।
चिड़ियाघर ने यह भी माना कि कई वर्षों की कैद और मानव देखभाल पर निर्भर होने के चलते हाथियों के लिए जंगल में वापस लौटना संभव नहीं था। ऐसे में एक ऐसी जगह की तलाश शुरू हुई जहां हाथियों को शांतिपूर्ण और पूर्ण सेवानिवृत्ति का सबसे अच्छा मौका मिले। एक ऐसी सुविधा, जो उनकी सभी जरूरतों को पूरा करे और उन्हें केयर दे सके जिसके वे हकदार हैं। अंत में बात वंतारा पर खत्म हुई जिसे एक आदर्श स्थान के रूप में पहचाना गया।
ट्यूनीशिया से चार्टर्ड प्लेन के जरिए हाथी भारत लाए जाएंगे।
मेडिकल समस्याओं से ग्रस्त हैं हाथी
फ्रिगुइया पार्क में रहे ये हाथी मेडिकल चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। वन्य जीव चिकित्सकों की जांच में पाया गया कि अच्युतम का एक दांत टूटा हुआ है। उसके दाढ़ में संक्रमण है। ऐसे में पीड़ित हाथी को मेडिकल केयर और सर्जरी की आवश्यकता होती है, जबकि कानी के नाखूनों में दरार के लक्षण दिखाई देते हैं। जो संभवतः लंबे समय तक कठोर फर्श के संपर्क में रहने के कारण होता है।
ट्यूनिशियाई पार्क में हाथी एक छोटे भूक्षेत्र में स्थित कंक्रीट के घर में रहते हैं, जिसमें हवा की व्यवस्था भी बेहतर नहीं है। जाहिर तौर पर हाथियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के संवर्धन के लिए यह आवश्यक जरूरतों को पूरा नहीं करता है। यहां हाथियों को खाने के लिए सूखी घास मिलती है और पीने के लिए साफ पानी की व्यवस्था भी सीमित है।
मध्य और पश्चिमी अफ्रीका में मिलते हैं ये हाथी
अफ्रीकी जंगली हाथियों का वैज्ञानिक नाम लोक्सोडोंटा साइक्लोटिस है। ये मध्य और पश्चिमी अफ्रीका के घने उष्णकटिबंधीय जंगलों के मूल निवासी हैं। हालांकि ट्यूनीशिया में इस प्रजाति की कोई जंगली आबादी मौजूद नहीं है। अपने प्राकृतिक आवास में ये अफ्रीकी हाथी घने जंगलों में रहते हैं, विभिन्न प्रकार के पत्तों से अपना पेट भरते हैं और मिट्टी में लोटते हैं। इन हाथियों की स्किन के लिए मिट्टी काफी फायदेमंद होती है।
वंतारा में है एकदम प्राकृतिक माहौल
जामनगर स्थित वंतारा में अफ्रीकी हाथियों के लिए अनुकूल माहौल है। वहां एकदम नैचुरल सुविधाएं विकसित की गई हैं। इससे अच्युतम, कानी और मीना को ऐसा वातावण मिलेगा, जो उनके प्राकृतिक आवास से मिलता जुलता होगा। साथ ही अफ्रीकी हाथियों के शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण के लिए विशेष देखभाल प्रदान करेगा, जो अच्युतम, कानी और मीना को करुणा से भरा जीवन जीने के लिए नया अवसर प्रदान करेगा। बता दें कि जंगली अफ्रीकी हाथियों की औसत उम्र 60 से 70 साल होती है।