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शिव मंदिर के ऊपर बनी है अजमेर शरीफ दरगाह! किस किताब के आधार पर कोर्ट ने स्वीकार की याचिका?

Ajmer Sharif Dargah Dispute: एक तरफ यूपी के संभल में जामा मस्जिद को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। दूसरी ओर राजस्थान में भी एक दरगाह को लेकर विवाद शुरू हो गया है। हिंदू सेना का दावा है कि यहां शिव मंदिर था। दावे में एक किताब का हवाला दिया गया है।
03:16 PM Nov 28, 2024 IST | Parmod chaudhary
शिव मंदिर के ऊपर बनी है अजमेर शरीफ दरगाह  किस किताब के आधार पर कोर्ट ने स्वीकार की याचिका

Rajasthan News: उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान शुरू हुआ विवाद अभी थमा नहीं था। अब राजस्थान में अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर चौंकाने वाला दावा हिंदू सेना ने किया है। जिस पर विवाद शुरू हो गया है। हिंदू सेना का दावा है कि दरगाह शिव मंदिर के ऊपर बनाई गई है। स्थानीय अदालत ने भी इसको लेकर याचिका स्वीकार कर ली है। कोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए 20 दिसंबर की तारीख तय की है। सभी पक्षों को भी नोटिस जारी कर दिया गया है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने मामले में याचिका दाखिल की है। उन्होंने मुंसिफ कोर्ट में 1911 में लिखी एक किताब में किए दावों को आधार बनाया है। इस किताब का नाम अजमेर: हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव (Ajmer: Historical and Descriptive) है। किताब को अंग्रेजी भाषा में हरबिलास सारदा ने लिखा था।

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168 पन्नों की है किताब

168 पन्नों की किताब में 93 नंबर पेज पर 'दरगाह ख्वाजा मोहिनुद्दीन चिश्ती' नाम का अलग अध्याय है। जिसमें ख्वाजा की जीवनी और दरगाह का ब्योरा दिया गया है। पेज पर लिखा है कि बुलंद दरवाजे के उत्तरी गेट में तीन मंजिला छतरी हिंदू इमारत के हिस्से से बनी है। इस छतरी की बनावट हिंदू इमारत जैसी ही है। उसकी सतह पर खूबसूरत नक्कासी की गई है। चूने और रंग से इसे सजाया गया है। अगले पेज पर लिखा है कि छतरी में जिस बुलआ लाल रंग के पत्थर का प्रयोग किया गया है, वह किसी जैन मंदिर का है। इस मंदिर को गिरा दिया गया था।

यह भी पढ़ें:अजमेर दरगाह मामले में इस दिन होगी अगली सुनवाई, हिंदू सेना का दावा-यहां था शिव मंदिर

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पेज 96 पर लिखा है कि बुलंद दरवाजे और भीतरी आंगन के नीचे पुराने हिंदू मंदिर जैसे तहखाने हैं। कई कमरे आज भी पुराने जैसे हैं। जिनको देखकर लगता है कि दरगाह का निर्माण हिंदू मंदिर की जगह किया गया हो। नीचे जो मंदिर मिले हैं, उनमें से एक में भगवान शिव की मूर्ति है। दरगाह के बनने से पहले एक ब्राह्मण परिवार यहां रोजाना चंदन रखकर जाता था। इस किताब में लिखी इन्हीं बातों को आधार बनाकर याचिका दाखिल की गई है।

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मुस्लिम पक्ष ने नकारे दावे

विष्णु गुप्ता के वकील योगेश सिरोजा के अनुसार दरगाह में शिव मंदिर होने की बातें पता लगी हैं। यहां पूजा भी होती थी। सितंबर में उन्होंने याचिका दायर की थी। जिसके बाद अब अल्पसंख्यक मंत्रालय, अजमेर दरगाह कमेटी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के दिल्ली कार्यालय को नोटिस जारी हुए हैं। उनकी मांग है कि दरगाह को शिव मंदिर घोषित किया जाए। दरगाह का पंजीकरण है तो इसे रद्द किया जाए। उन लोगों को पूजा का अधिकार दिया जाए। वहीं, सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के दीवान सैय्यद नसीरुद्दीन ने इसे गलत करार दिया है। उनका दावा है कि मस्जिद 850 साल पुरानी है। 100 साल पुरानी किताब से इस दावे को कैसे खारिज किया जा सकता है?

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