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HOT सीट महम... बलराज कुंडू बने दीपक हुड्डा और बलराम दांगी के लिए बड़ी चुनौती; जानें जाट बहुल सीट का हाल

Haryana Assembly Election 2024: रोहतक जिले की महम सीट पर कांटे का मुकाबला तीन दलों के बीच देखने को मिल रहा है। कांग्रेस ने इस बार पूर्व मंत्री आनंद सिंह दांगी के बेटे बलराम पर दांव खेला है। मौजूदा विधायक बलराज कुंडू भी कमजोर नहीं दिख रहे हैं। आइए जानते हैं इस सीट का हाल।
03:49 PM Sep 24, 2024 IST | Parmod chaudhary
दीपक हुड्डा, बलराम दांगी, बलराज कुंडू।
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Haryana Assembly Election: रोहतक जिले की महम विधानसभा सीट पर इस बार कांटे की टक्कर है। 28 फरवरी 1990 को 'महम कांड' के कारण यह इलाका देशभर में सुर्खियों में रहा था। तब पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला और आनंद सिंह दांगी के बीच टक्कर हुई थी। आज तक यहां से जाट विधायक ही जीते हैं। जाट बहुल सीट पर इस बार कांग्रेस ने पूर्व मंत्री आनंद सिंह दांगी के बेटे बलराम दांगी पर दांव खेला है। बलराम दांगी सबसे युवा चेहरा हैं। वहीं, भाजपा ने इस बार जाट चेहरे और खिलाड़ी दीपक हुड्डा को मैदान में उतारा है।

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दीपक हुड्डा भारतीय कबड्डी टीम के पूर्व कप्तान रह चुके हैं। जिन्होंने बॉक्सर स्वीटी बूरा से विवाह रचाया है। महम के कई गांवों में खेलों का आयोजन करवाने में उनकी अहम भूमिका रही है। दीपक हुड्डा को टिकट मिलने के बाद राधा अहलावत बागी होकर चुनाव लड़ रही हैं। उनको जितने वोट मिलेंगे, उतना फायदा कांग्रेस को होगा। राधा खुद को पंचायती उम्मीदवार बता रही हैं।

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आप ने किसान को दिया टिकट

वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) ने यहां से विकास नेहरा को टिकट दिया है। विकास किसान हैं, जो 2022 में आप में शामिल हुए। महम चौबीसी भी उनका समर्थन कर रही है। वे पहली बार लड़ रहे हैं। महम सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के युवा प्रत्याशियों के लिए मौजूदा विधायक बलराज कुंडू चुनौती बन रहे हैं। जो हरियाणा जनसेवक पार्टी (HJP) का गठन कर चुके हैं। पिछली बार उन्होंने बीजेपी से टिकट मांगा था। लेकिन मिला शमशेर खरकड़ा को। जिसके बाद कुंडू आजाद लड़े और जीते भी। उन्होंने चार बार के विधायक आनंद सिंह दांगी को पराजित कर दिया था। कुंडू ने यहां कई फ्री बसें चला रखी हैं। जो बेटियों को उनके कॉलेज तक छोड़ने का काम करती हैं।

देवीलाल यहां से जीतकर बने सीएम

वहीं, इलाके में उनकी निरंतर सक्रियता के कारण लोगों के बीच अच्छी पकड़ भी है। महम 1962 में हलका बना था। पहली बार रामधारी सिंह जीते, जो हरियाणा लोक समिति पार्टी से थे। हरियाणा अलग होने के बाद यहां 1967 में पहली बार चुनाव हुए। तब तक महल जनरल सीट बन चुकी थी। निर्दलीय महासिंह एमएलए बने। 1982 में देवीलाल ने यहां से चुनाव लड़ा। तब यह सीट देशभर में प्रसिद्ध हो गई थी।

1985 में देवीलाल ने राजीव-लोंगोवाल समझौते के खिलाफ विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद उपचुनाव में उन्होंने कांग्रेस के राज सिंह दलाल को शिकस्त दी। 1987 में देवीलाल फिर महम से जीते और सीएम बने। तब महम पूरे देश में प्रसिद्ध सीट बन गई थी। इस सीट से विधायक बने आनंद सिंह दांगी और महासिंह मंत्री भी रह चुके हैं।

40 फीसदी वोटर जाट

महम सीट पर सबसे अधिक 40 फीसदी वोट जाटों के हैं। इस सीट पर 25-28 फीसदी वोट दलितों, 10-12 फीसदी ब्राह्मणों, 4 फीसदी पंजाबी और 11 फीसदी OBC समुदाय के हैं। कुल 198656 वोटर हैं। हलके के गांव बहलबा, मोखरा, निंदाणा, मदीना, सैमाण, खरैंटी, लाखनमाजरा, फरमाना, बहुअकबरपुर, भैणी सुरजन, गद्दीखेड़ी, डोभ, गिरावड़, अलायब और सीसर खास जाटों के बड़े गांव हैं। इस बार यहां से किसकी जीत होगी? यह देखने वाली बात होगी।

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