इन सीटों पर रहा निर्दलीयों का दबदबा, पार्टियों से उतरे दिग्गजों को मिली शिकस्त
Haryana Assembly Election: हरियाणा में 6 सितंबर से चुनावी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 90 सीटों के लिए 5 अक्टूबर को वोटिंग होगी। 8 अक्टूबर को नतीजों का ऐलान किया जाएगा। हरियाणा में कई सीटें ऐसी हैं, जहां निर्दलीयों का दबदबा रहा है। 2019 के चुनाव की बात करें तो 7 सीटों पर निर्दलीय जीते थे। कई निर्दलीय अब कांग्रेस और भाजपा में शामिल हो चुके हैं। जिनको टिकट भी मिल चुके हैं। ऐसी सीटों के बारे में जानते हैं, जहां निर्दलीयों का दबदबा रहा है।
हथीन: यह सीट पलवल जिले में आती है। जहां से 4 बार निर्दलीय जीत चुके हैं। 1968 में निर्दलीय हेमराज जीते। देबी सिंह तेवतिया हारे। 1972 में यहां से रामजी लाल जीते, कांग्रेस के हेमराज हारे। 2005 में यहां से आजाद कैंडिडेट हर्ष कुमार जीते। कांग्रेस के जलेब खान की हार हुई। लेकिन अगले चुनाव 2009 में जलेब खान ने हर्ष को निर्दलीय पटकनी दे दी।
पूंडरी से लगातार 6 बार जीते आजाद
पुंडरी: कैथल जिले की इस विधानसभा सीट पर 2019 में निर्दलीय विधायक रणधीर सिंह गोलन जीतकर आए थे। इस सीट पर लगातार 6 बार आजाद उम्मीदवार जीते हैं। कुल 7 बार निर्दलीय जीत चुके हैं। 1968 के चुनाव में पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के तारा सिंह को आजाद उम्मीदवार ईश्वर सिंह ने हराया था। 1996 में निर्दलीय नरेंद्र शर्मा ने कांग्रेस के ईश्वर सिंह को शिकस्त दी थी।
2000 में यहां निर्दलीय तेजवीर और नरिंदर सिंह के बीच फाइट हुई थी। जिसमें तेजवीर जीते। 2004 में निर्दलीय दिनेश कौशिक ने कांग्रेस से उतरे नरिंदर सिंह को हराया था। अगले चुनाव में कांग्रेस से लड़े दिनेश कौशिक को निर्दलीय सुल्तान ने हराया था। 2014 में फिर दिनेश कौशिक जीते। भाजपा के रणधीर गोलन हारे। पिछले चुनाव में निर्दलीय रणधीर गोलन ने कांग्रेस के सतबीर भाणा को हराया।
नूंह से 5 बार जीते निर्दलीय
नूंह: नूंह जिले की सीट पर पहली बार 1967 में आजाद उम्मीदवार रहीन खान जीते थे। जिन्होंने कांग्रेस के केके अहमद को हराया। 1972 में फिर निर्दलीय रहीम जीते। कांग्रेस के खुरहेद अहमद हारे थे। 1982 में रहीम खान के कांग्रेस के सरदार खान को हराया। इसके बाद आजाद कैंडिडेट हसन मोहम्मद 1989 में जीते। 2005 में यहां से फिर निर्दलीय प्रत्याशी जीते। हबीब-उर-रहमान ने आफताब अहमद को हराया। इस सीट से 5 बार आजाद उम्मीदवार जीते हैं।
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नीलोखेड़ी: करनाल की यह सीट एससी के लिए रिजर्व है। यहां से धर्मपाल गोंदर पिछली बार आजाद जीते थे। अब तक यहां से 5 निर्दलीय जीत चुके हैं। 1968 में पहली बार चंदा सिंह जीते थे। रामस्वरूप गिरि को हार का सामना करना पड़ा था। 1982 में आजाद उम्मीदवार के तौर पर चंदा सिंह फिर जीते। कांग्रेस के शिवराम हारे थे। इसके बाद लगातार दो बार 1987 और 1991 में जय सिंह राणा जीते। उन्होंने पहले लोकदल के देवी सिंह और फिर जनता पार्टी के ईश्वर सिंह को हराया। गोंदर अब कांग्रेस में आ चुके हैं। जिनका मुकाबला भाजपा के भगवान दास कबीरपंथी से होगा।
पिछले बार जीतकर आए ये आजाद विधायक
2019 चुनाव में 7 विधायक निर्दलीय जीते थे। महम से बलराज कुंडू, पुंडरी से रणधीर गोलन, बादशाहपुर से राकेश दौलताबाद, रानियां से रणजीत सिंह, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर, पृथला से नयन पाल रावत और दादरी से सोमवीर सांगवान जीते थे।
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