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हरियाणा में BJP की नई रणनीति, जाटों को पाले में लाने के लिए कर सकती है ये बड़ा काम

BJP May Alliance with Local Parties: हरियाणा में जाट वोटर्स को दरकिनार कर कोई पार्टी शासन नहीं कर पाई है। बीजेपी ऐसा करने का दावा करती है लेकिन अब उसकी भी सांसे फूलने लगी हैं। कुल मिलाकर पार्टी गैर जाट के भरोसे सरकार बनाने की कवायद करती रही लेकिन उसे पता ही नहीं चला कि कब उसके पांवों के नीचे से सत्ता खिसक गई।
11:18 AM Jul 01, 2024 IST | Rakesh Choudhary
हरियाणा में bjp की नई रणनीति  जाटों को पाले में लाने के लिए कर सकती है ये बड़ा काम
हरियाणा विधानसभा चुनाव

Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में इस साल के आखिर तक विधानसभा चुनाव होने हैं। इसको लेकर सियासी दलों में उठापटक का दौर जारी है। लगातार बयानबाजियां हो रही हैंं। बीजेपी, कांग्रेस, जेजेपी और इनेलो अलग-अलग चुनाव लड़ने का दावा कर रहे हैं। बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले सीएम बदलकर 10 साल में बनी एंटी इंनकमबेंसी को कम करने की कोशिश की है। हालांकि लोकसभा चुनाव के नतीजे बीजेपी के पक्ष में नहीं रहे। पिछले दो चुनावों में प्रदेश में क्लीन स्वीप करने वाली बीजेपी इस बार 5 सीटों पर सिमट गई। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि इस बार के चुनाव में बीजेपी के लिए सरकार बचा पाना सबसे मुश्किल नजर आ रहा है।

कांग्रेस इस बार एक अलग ही जोश में नजर आ रही है। राहुल गांधी के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद कार्यकर्ताओं में जोश है। इसके अलावा पार्टी सत्ता में वापसी की पुरजोर कोशिश कर रही है। वह जाट और मुसलमान वोटर्स की मदद से लोकसभा में 5 सीटें ले आई। अगर लोकसभा की सीटों को नतीजों में बदले तो पाएंगे कि विधानसभा की 90 में से 44 सीटों पर कांग्रेस आगे है। अगर यहीं वोट स्विंग विधानसभा में रहा तो हंग असेंबली भी हो सकती है। ऐसे में क्षेत्रीय पार्टियां किंगमेकर बन जाएगी। जैसा कि 2019 में देखने को मिला। जब बहुमत से चुकी बीजेपी ने जेजेपी के सहयोग से सरकार बनाई थी।

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बीजेपी की रणनीति

लोकसभा चुनाव में कम सीटें आने के बाद बीजेपी को धक्का लगा। पीएम मोदी बीजेपी को 300 पार बता रहे थे लेकिन एनडीए 300 का आंकड़ा नहीं जुटा पाया। विपक्ष की संविधान बदलने की नीति को प्रचारित करना बीजेपी को भारी पड़ गया। हालांकि हार के कारण कई हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी तैयारी में जुट गई है। विधानसभा चुनाव 2019 और लोकसभा चुनाव 2024 में जाट वोटर्स के छिटकने का नतीजा पार्टी भुगत रही है। ऐसे में अब पार्टी एक बार फिर जाट वोटर्स को साधने में जुट गई है। जाटों की बड़ी नाराजगी अग्निवीर योजना और एमएसपी गारंटी है। इन दोनों मुद्दों के आगे वे जाट आरक्षण को भी भूल चुके हैं। बीजेपी ने बैठे बैठाए शांत जाटों को 2 नए मुद्दे दे दिए।

40 सीटों पर जाट वोटर्स प्रभावी

हरियाणा में जाटों की आबादी 27 प्रतिशत है। इसलिए हरियाणा में जाटों को साधकर ही कोई पार्टी सरकार बना सकती है। प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों में से 40 पर जाट वोटर्स प्रभावी है। जाट किस कदर प्रदेश की राजनीति पर हावी है इसकी एक मिसाल यह है कि 33 साल प्रदेश की कुर्सी जाटों के हाथ में रही है। बीजेपी ने गैर जाट सीएम बनाया तो कुछ जाटों को नाराजगी हुई लेकिन बीजेपी की अलग नीति और विकासवादी सोच के चलते जाटों ने इसे इग्नोर कर दिया।

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क्षेत्रीय पार्टियों से कर सकती है गठबंधन

ऐसे में अब पार्टी स्थानीय क्षेत्रीय पार्टियों को साधने में जुटी है। जानकारी के अनुसार पार्टी बहुमत से कम सीटें मिलने की स्थिति में इनेलो या जेजेपी से संपर्क कर सकती है। जेजेपी से बीजेपी का रिश्ता लोकसभा चुनाव में सीटों पर सहमति नहीं बनने के कारण टूटा था। ऐसे में दोनों दलों के बीच कोई विशेष नाराजगी नहीं थी। हालांकि जाट वोटों का बंटवारा भी बीजेपी को फायदा पहुंचा सकता है। लेकिन अगर जेजेपी और इनेलो को उनका वोट नहीं मिलता है तो कांग्रेस को इसका फायदा मिल सकता है।

मोदी 3.0 ने लिए बड़े फैसले

मोदी सरकार 3.0 की शपथ के बाद से ही ताबड़तोड़ फैसले कर रही है। किसानों के लिए किसान सम्मान निधि योजना की किस्त 9 करोड़ किसानों के खातों में हस्तांतरित हो चुकी है। इसके अलावा 22 महत्वपूर्ण फसलों पर एमएसपी में बढ़ोतरी की गई है। इसके अलावा अग्निवीर योजना की समीक्षा के लिए भी कमेटी गठित की गई है तो कुल मिलाकर बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल की कोशिशें की हैं। ऐसे में अब देखना होगा कि गैर जाट वोटर्स को साधने वाली बीजेपी जाटों की सिंपैथी कैसे हासिल करती है।

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