Nayab Singh Saini हरियाणा में कैसे बने गेमचेंजर? 10 पॉइंट्स में समझिए
Haryana Assembly Election Result: भाजपा हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। तीसरी बार कांग्रेस को सत्ता से बाहर रखने में सीएम नायब सिंह सैनी की रणनीतियां कारगर रहीं। कांग्रेस को अति उत्साह भारी पड़ गया। बीजेपी और नायब सिंह सैनी की 10 स्ट्रेटेजी के बारे में बात करते हैं, जिनकी वजह से पूरा गेम चेंज हो गया।
साढ़े नौ साल सीएम रहे मनोहर लाल के खिलाफ हरियाणा में एंटी इनकंबेंसी का माहौल बनने लगा था। जिसके बाद बीजेपी ने सीएम बदल दिया। नायब सिंह सैनी को चुनाव से लगभग 200 दिन पहले कमान सौंपी गई। वे सत्ता विरोधी लहर पर काबू पाने में सफल रहे।
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नायब सैनी की अग्निवीर नीति भी कारगर रही। हरियाणा में कांग्रेस ने अग्निवीर स्कीम को मुद्दा बनाया। सैनी ने अग्निवीरों को रोजगार देने की बात कही। ग्रामीण इलाकों में योजना कारगर रही। जिसके बाद वोटर्स बीजेपी से नहीं छिटके।
नायब सैनी को सीएम बनाने के पीछे बीजेपी की मंशा OBC वोटरों को एकजुट करने की थी। नायब सिंह सैनी ने गैर जाट वोटों का ध्रुवीकरण नहीं होने दिया। जिसके बल पर तीसरी बार जीत मिली।
किसानों का मुद्दा बीजेपी समय रहते संभाल गई। किसानों को लुभाने के लिए सीएम नायब सिंह सैनी ने 24 फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदने की घोषणा की। यह रणनीति कारगर रही और बीजेपी को किसानों के गुस्से का सामना नहीं करना पड़ा।
नायब सैनी को बीजेपी ने चेहरा घोषित किया। उन्होंने विपक्ष का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया। जिससे पार्टी और वर्करों का मनोबल बढ़ा। प्रचार को लेकर भी बीजेपी तेज रही। वहीं, कांग्रेस गुटबाजी और सीएम फेस को लेकर आपस में उलझती रही। जिसका फायदा बीजेपी को मिला।
हरियाणा को केंद्रीय नेतृत्व ने हल्के में नहीं लिया। पीएम मोदी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लगातार हरियाणा के दौरे कर माहौल बनाए रखा। बीजेपी के और नेता भी प्रचार के लिए आए। इससे लगातार बीजेपी के पक्ष में माहौल बना रहा।
टिकट बंटवारे के बाद बगावत हुई। इसके बाद भी बीजेपी ने संयम नहीं खोया। अपने नेताओं की बयानबाजी पर नकेल कसी। सीएम ने खुद नाराज नेताओं से बात की। अपने संगठन को खुद हैंडल करते रहे। चुनाव पर लगातार फोकस के कारण वोटर्स पर असर बना रहा।
पार्टी ने एग्जिट पोल को लगातार नकारा। कांग्रेस का घेराव किया। सीएम ने लगातार अपनी सरकार को लोगों के बीच मजबूत बताया। जहां बगावत का असर था, वहां अपने काम को आगे रख वोटर्स को छिटकने नहीं दिया। जमीनी स्तर पर लगातार कार्यकर्ताओं की हौसलाअफजाई की। जिससे माहौल पक्ष में बना रहा।
सीएम की त्वरित निर्णय लेने और जनता के प्रति जवाबदेही दिखाने की सरकार की नीतियों से भी वोटर्स प्रभावित हुए। भ्रष्टाचार विरोधी नीतियों और नौकरियों में पारदर्शिता का मुद्दा सरकार के पक्ष में काम कर गया।
सैनी ने सभी प्रकार की राजनीतिक चुनौतियों का डटकर मुकाबला किया। खुद पूरे चुनाव को मैनेज किया। कहीं कोई गलत बात या बयान सामने नहीं आया। उनकी रणनीतियों के आगे न केवल छोटे दल निपट गए, बल्कि उनका वोटबैंक भी बीजेपी में शिफ्ट करवाने में कामयाब रहे। सैनी की साफ छवि भी बीजेपी के लिए कारगर रही।
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