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कंगना रनौत के बयान ने जिंदा किया किसान आंदोलन! देवेंद्र बबली समेत BJP प्रत्याशियों के विरोध की Inside Story

Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव में फिर से किसानों का विरोध दिखने लगा है। बीजेपी प्रत्याशियों का किसान संगठन विरोध कर रहे हैं। सीएम नायब सिंह सैनी के रोड शो को भी किसान संगठन बाधित कर चुके हैं। टोहाना में देवेंद्र बबली का विरोध हो चुका है। इसके पीछे की कहानी को जानते हैं।
07:21 PM Sep 26, 2024 IST | Parmod chaudhary
टोहाना की गलियों में ऐसे पोस्टर लगे हैं।
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Haryana Assembly Elections: एक बार फिर हरियाणा विधानसभा चुनाव में लोकसभा चुनाव जैसी स्थिति देखने को मिल रही है। बीजेपी प्रत्याशियों के खिलाफ किसान संगठन मुखर हो चुके हैं। इसके पीछे हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट से सांसद कंगना रनौत के बयान को वजह माना जा रहा है। बुधवार को टोहाना में बीजेपी प्रत्याशी देवेंद्र बबली का विरोध हुआ। किसान संगठन के लोग उनके ट्रैक्टर पर भी चढ़ गए। कुछ दिन पहले सीएम नायब सिंह सैनी के रोड शो का किसान संगठनों ने घेराव किया था। वहीं, उकलाना से बीजेपी प्रत्याशी पूर्व मंत्री अनूप धानक से भी किसान संगठन से जुड़े लोग सवाल पूछते दिखे थे। कुल मिलाकर हरियाणा में फिर से लोकसभा चुनाव वाली स्थिति विधानसभा चुनाव में देखने को मिल रही है। इसकी वजह क्या है? इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

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कंगना रनौत ने 3 कृषि कानूनों को लेकर बयान दिया था। जिसके बाद एकदम से किसान संगठनों ने प्रतिक्रिया दी। जिसके बाद बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने उनके बयान से किनारा कर लिया था। भाटिया ने कहा था कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है। पार्टी की सोच ऐसी नहीं है। इसके बाद किसानों का गुस्सा फूट पड़ा था। किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ का कहना है कि कंगना फिजूल की बातें करती हैं, जो उनका पुराना रिकॉर्ड रहा है। इसका नतीजा इस चुनाव में भुगतना पड़ेगा।

पूर्व सीएम मनोहर लाल भी कर चुके टिप्पणी

बता दें कि किसान फिलहाल भी शंभू बॉर्डर पर डटे हैं। जिनके ऊपर केंद्रीय मंत्री और हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल टिप्पणी कर चुके हैं। किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस ले चुकी है। लेकिन फिर भी बीजेपी की सांसद उनको लागू करने का बयान देती है। नीतिगत मामलों पर बयान देना निजी नहीं हो सकता। कंगना के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

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रोहतक से कांग्रेस के सांसद दीपेंद्र हुड्डा भी इस पर निशाना साध चुके हैं। उन्होंने कहा कि BJP की तानाशाही के विरोध में MSP के लिए किसानों ने शहादत दी। अब फिर बयानबाजी हो रही है। अगर हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनी तो इन कानूनों को लागू करने वाली कोई ताकत नहीं रहेगी।

दावा-किसान 35 सीटों पर निर्णायक

भारतीय किसान यूनियन की मानें तो दिल्ली की सीमाओं पर किसान 378 दिन बैठे रहे थे। दावा है कि इस दौरान 750 किसानों की मौत हुई। हरियाणा के जींद जिले के सबसे अधिक 17 किसान बताए जा रहे हैं। अब किसानों ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाल रखा है। किसानों का दावा है कि प्रदेश की 90 में से 35 सीटों पर वे निर्णायक हैं। हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होगी। 8 अक्टूबर को नतीजे आएंगे। देखने वाली बात होगी कि किसानों का विरोध कितना कारगर रहेगा? कंगना रनौत और मनोहर लाल की बयानबाजी वाकई भारी पड़ेगी, यह नतीजों के बाद ही पता लगेगा।

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