इस सीट पर एक ही परिवार का रहा दबदबा; पत्नी, बेटा और बहू को मिली जीत, अब पोता विधायक
Haryana Assembly Elections: हरियाणा में एक अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने हैं। 4 अक्टूबर को नतीजे घोषित होंगे। हिसार जिले की आदमपुर विधानसभा सीट का इतिहास बेहद रोचक है। यहां से चौ. भजनलाल और उनका परिवार ही जीतता रहा है। हरियाणा में अब तक 13 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। लेकिन आदमपुर के लोगों ने 17 बार (4 उपचुनाव) विधायक चुने हैं। आदमपुर में पहली बार हरियाणा बनने के बाद 1967 में विधानसभा चुनाव हुए थे। इस सीट पर चौ. भजनलाल के परिवार का ही दबदबा रहा है। भजनलाल खुद इस सीट से 9 बार विधायक चुने गए। वे 7 बार कांग्रेस, एक बार जनता पार्टी के टिकट पर जीते। इसके बाद खुद की पार्टी हजकां बनाई।
चार बार कुलदीप को मिली जीत
उसके टिकट पर भी एक बार जीतकर विधानसभा पहुंचे। उनके बाद में विरासत बेटे कुलदीप बिश्नोई ने संभाली। जो यहां से 4 बार जीतकर विधानसभा पहुंचे। वे 3 बार कांग्रेस और एक बार हजकां से विधायक बने। भजनलाल की पत्नी जसमा देवी भी आदमपुर से एक बार विधायक रहीं। वहीं, कुलदीप बिश्नोई की पत्नी रेणुका बिश्नोई भी यहां से चुनाव जीतकर विधानसभा जा चुकी हैं। मौजूदा समय में कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई भाजपा के टिकट पर यहां से विधायक हैं। गौरतलब है कि कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस छोड़ने के बाद यहां से रिजाइन कर दिया था। भाजपा में जाने के बाद उनके बेटे को टिकट मिला था।
जब देवीलाल सरकार का हुआ तख्तापलट
यह सीट भजनलाल परिवार का गढ़ मानी जाती है। 1979 में भजनलाल देवीलाल सरकार में डेयरी मंत्री थे। तब उन्होंने तख्तापलट कर खुद सरकार बना ली थी। बताया जाता है कि सरकार गिरने की आशंका चौ. देवीलाल को थी। जिसके बाद उन्होंने 42 विधायकों को अपने किलेनुमा फार्म हाउस तेजाखेड़ा में ठहराया था। विधायकों के आने-जाने पर भी रोक लगा दी थी। इसके बाद भी भजनलाल सरकार गिराने में कामयाब हो गए थे।
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भजनलाल ने इस सीट से 9 बार (1 उपचुनाव) चुनाव लड़ा। सभी में जीत हासिल की। भजनलाल पहली बार 1968 में विधायक बने। इसके बाद 1972, 1982, 1991, 1996, 2000, 2005 में कांग्रेस के टिकट पर जीते। 1977 का चुनाव जनता पार्टी के टिकट पर जीते। 2008 में हजकां के टिकट पर उपचुनाव में जीत हासिल की। 1982 के चुनाव में कांग्रेस को 36 सीटों पर जीत मिली थी। जबकि भारतीय राष्ट्रीय लोकदल ने भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था। जिसे 37 सीटें मिली थीं।
न्योता मिला देवीलाल को, सीएम बने भजनलाल
राज्यपाल ने चौ. देवीलाल को 22 मई 1982 को सरकार बनाने का न्योता दिया था। लेकिन निर्दलीयों की मदद से भजनलाल ने 52 विधायकों को पाले में कर लिया। जिसके बाद वे दूसरी बार सीएम बने। इसके बाद भजनलाल को राजनीति का पीएचडी कहा जाने लगा था। 1977 में जनता पार्टी को 75 सीटें मिली थीं। देवीलाल सीएम जरूर बने। लेकिन कुछ दिन बाद ही विधायक तोड़कर उन्हीं के मंत्री भजनलाल ने बाजी पलट दी थी।
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