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'पानी और राजधानी...'; हरियाणा के वो बड़े मुद्दे, जो 58 साल बाद भी नहीं सुलझे

Haryana Assembly Elections 2024: एक नवंबर 1966 को बना हरियाणा 58 साल का हो चुका है। लेकिन आज भी कई ऐसे मुद्दे हैं, जो अनसुलझे हैं। ये मुद्दे चुनाव के समय उठते हैं। इसके बाद इनको फिर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। इन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
06:46 PM Aug 28, 2024 IST | Parmod chaudhary
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Haryana Assembly Elections: पंजाब से अलग हुए हरियाणा को 58 साल हो चुके हैं। लेकिन कई ऐसे मुद्दे हैं, जो राजनीतिक महत्वकांक्षाओं के चलते आज तक अनसुलझे हैं। पंजाब-हरियाणा के बीच एसवाईएल नहर और हाई कोर्ट अलग बनाने का विवाद लंबे समय से है। लेकिन अभी तक हल नहीं निकल पाया है। दोनों के बीच राजधानी चंडीगढ़ को लेकर भी वर्चस्व की लड़ाई है। पंजाब विधानसभा में कई बार चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपे जाने का प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। इन विवादों का हल होने की कोई नजदीकी संभावना नहीं दिख रही है। लेकिन एक अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में ये मुद्दे फिर से जीवंत हो गए हैं।

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1953 में चंडीगढ़ को बनाया गया था राजधानी

चंडीगढ़ के प्रशासक के पद पर हरियाणा के राज्यपाल की नियुक्ति न होना भी बड़ा मुद्दा है। बता दें कि आजादी से पहले पंजाब की राजधानी लाहौर थी। लेकिन बंटवारे के बाद जवाहर लाल नेहरू ने मार्च 1948 में चंडीगढ़ को राजधानी बनाने के लिए चुना। 7 अक्टबूर 1953 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसका औपचारिक उद्घाटन किया। 1966 में हरियाणा जब अलग हुआ तो चंडीगढ़ को पंजाब-हरियाणा की संयुक्त राजधानी बना दिया गया। तभी से विवाद जारी है।

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पंजाब को चंडीगढ़ के संसाधनों का 60 फीसदी हिस्सा मिला, जबकि हरियाणा को 40 फीसदी। सरकार ने इसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया था। तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने कहा था कि चंडीगढ़ कुछ ही समय संयुक्त राजधानी रहेगी। हरियाणा को अपनी राजधानी विकसित करने के लिए 5 साल का समय दिया गया था। केंद्र ने 10 करोड़ का अनुदान भी दिया था। जिसके तहत चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपा जाना था। लेकिन बात सिरे नहीं चढ़ सकी।

बंसीलाल ने किया था राजीव-लोंगोवाल समझौते का विरोध

1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौते के तहत चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपा जाना था। लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल ने इसका विरोध किया। जिसके बाद इस मामले को 26 जनवरी 1986 को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। शहर को आधा-आधा बांटने की बात भी हुई। लेकिन मामला सिरे नहीं चढ़ा। भाषायी आधार पर हरियाणा अबोहर और फाजिल्का के 109 गांवों पर अपना हक जताता है। डेराबस्सी और लालड़ू पर भी दावा करता है। लेकिन विवाद आज भी बरकरार है। एसवाईएल से हरियाणा को पानी दिए जाने की कवायद कई बार शुरू हुई है। मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया। लेकिन कोई हल नहीं निकला।

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Haryana Assembly Elections 2024
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