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हरियाणा में अल्पमत में BJP सरकार, फिर भी सितंबर तक CM बने रहेंगे नायब सैनी, जानें क्यों?

Haryana Political Crisis: हरियाणा में सीएम नायब सिंह सैनी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे है तीन निर्दलीय विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है।
06:49 PM May 07, 2024 IST | Rakesh Choudhary
हरियाणा में अल्पमत में bjp सरकार  फिर भी सितंबर तक cm बने रहेंगे नायब सैनी  जानें क्यों
सीएम नायब सिंह सैनी

Haryana Political Crisis: लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण के मतदान के बीच भाजपा को हरियाणा में बड़ा झटका लगा है। भाजपा सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे 3 निर्दलीय विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। समर्थन वापस लेने वाले तीन विधायकों में सोमबीर सांगवान, धर्मपाल गोंदर और रणधीर गोलेन शामिल हैं। तीनों विधायकों ने कहा कि वे कांग्रेस को समर्थन देने को तैयार हैं।

तीनों विधायकों ने हरियाणा के रोहतक में आयोजित प्रेस वार्ता में समर्थन वापसी की घोषणा की। प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर ने कहा कि हम सैनी सरकार से समर्थन वापस ले रहे हैं। हम कांग्रेस को अपना समर्थन दे रहे हैं। हमनें किसानों और अन्य मुद्दों को देखते हुए यह निर्णय लिया है। इस दौरान हरियाणा के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा भी मौजूद रहे।

कांग्रेस को जनता से मतलब नहीं- सीएम सैनी

वहीं प्रेस वार्ता में हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष उदयभान ने कहा कि तीनों निर्दलीय विधायकों ने भाजपा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है और कांग्रेस को अपना समर्थन देे दिया है। ऐसे में 90 सदस्यीय विधानसभा में अभी 88 विधायक है, जिसमे में से भाजपा के 40 विधायक हैं। इससे पहले जेजेपी विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था और अब निर्दलीय विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया है। ऐसे में सरकार अल्पमत में आ गई है। इस सरकार को एक मिनट भी सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है। सीएम नायब सिंह सैनी को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।

वहीं सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा कि मुझे यह जानकारी मिली है। शायद कांग्रेस कुछ लोगों की इच्छाओं को पूरा करने में लगी हुई है। अब कांग्रेस को जनता की इच्छाओं से कोई लेना-देना नहीं है।

भाजपा सरकार को अभी खतरा नहीं

बता दें कि 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में अभी 88 विधायक हैं। इसमें भाजपा के 40 विधायक हैं। वहीं उसे तीन और विधायकों का समर्थन हासिल है। ऐसे में बहुमत को देखते हुए सरकार के पास एक विधायक कम है। वहीं विपक्ष के पास 45 विधायक हैं। संविधान विशेषज्ञों की मानें तो भाजपा सरकार को अभी खतरा नहीं है क्योंकि विपक्ष अभी बहुमत परीक्षण की मांग नहीं कर सकता। क्योंकि 12 मार्च को सैनी ने सीएम पद की शपथ ली थी। नियमों के अनुसार दो बहुमत परीक्षण के बीच 6 महीने का अंतर जरूरी है। ऐसे में विपक्ष सितंबर से पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकता। प्रदेश में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं।

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