4 साल में 15वीं पैरोल... हरियाणा चुनाव से ठीक पहले रिहा होगा राम रहीम! कांग्रेस ने जताया ये 'डर'
डेरा सच्चा सौदा का मुखिया और दुष्कर्म का दोषी गुरमीत राम रहीम सिंह एक बार फिर जेल से बाहर आने के लिए तैयार है। भारतीय निर्वाचन आयोग की ओर से उसकी पैरोल को अनुमति मिल गई है। वह 5 अक्टूबर को होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जेल से बाहर आएगा। बता दें कि पिछले 9 महीनों में यह उसकी तीसरी अस्थाई रिहाई होगी और 4 साल पहले दोषी करार दिए जाने के बाद से 15वीं बार जेल से बाहर आएगा। उसकी रिहाई को लेकर कांग्रेस पार्टी ने डर जताया है।
This is Gurmeet Ramrahim, Modi's special tout. He rapes women and makes his followers impotent through operations.
He murders honest journalists who expose his wrongdoings.
The CBI court sentenced him to 20 years of imprisonment.
Yet, this man spends more time outside the jail… pic.twitter.com/gcjv2lQWnL
— ਐੱਸ ਸੁਰਿੰਦਰ (@KhalsaVision) October 1, 2024
इन शर्तों पर दी गई राम रहीम को पैरोल
हरियाणा और पंजाब में अच्छी पकड़ रखने वाले राम रहीम की पिछली रिहाइयां भी विभिन्न चुनावों के आस-पास ही रही हैं। इस बार अपनी पैरोल के दौरान राम रहीम को कई प्रतिबंधों का पालन करना पड़ेगा। जेल से बाहर रहने के दौरान वह हरियाणा में प्रवेश नहीं कर सकेगा। इसके साथ ही उसके सामने शर्त रखी गई है कि वह चुनाव संबंधी किसी भी गतिविधि का हिस्सा नहीं बनेगा, चाहे वह निजी तौर पर हो या सोशल मीडिया के जरिए। इसे लेकर हरियाणा सरकार जल्द आदेश जारी कर सकती है।
#WATCH | Chandigarh: On parole application by Dera Sacha Sauda chief Gurmeet Ram Rahim Singh, Haryana Congress Spokesperson Kewal Dhingra says, "Our Legal Cell wrote a letter that there is an issue of date and time of the parole to Ram Rahim. He is being granted bail… pic.twitter.com/HVLkcYYfnB
— ANI (@ANI) October 1, 2024
कांग्रेस ने निर्वाचन आयुक्त को लिखा पत्र
वहीं, हरियाणा कांग्रेस ने राम रहीम की पैरोल को लेकर डर जताते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त को एक पत्र लिखा है। कांग्रेस ने अपने पत्र में आयुक्त से कहा है कि चुनाव के समय में उसकी रिहाई आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। पार्टी का कहना है कि वह चुनाव को प्रभावित कर सकता है। इसके साथ ही एक दिवंगत पत्रकार के बेटे ने भी इसे लेकर कहा है कि रहीम को पैरोल देना लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन है। इस पत्रकार की हत्या में राम रहीम और तीन अन्य को दोषी ठहराया गया था।