Nayab Saini ही फिर हरियाणा के CM क्यों? ये हैं 6 बड़े कारण
Nayab Singh Saini Elected Leader Legislative Party: हरियाणा में नायब सिंह सैनी गुरुवार 17 अक्टूबर को दूसरी बार हरियाणा के सीएम पद की शपथ लेंगे। आज पंचकूला स्थित पार्टी कार्यालय में केंद्रीय पर्यवेक्षक अमित शाह और मोहन यादव की मौजूदगी में हुई बैठक में सैनी को सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुना गया। मीटिंग में पूर्व गृह मंत्री अनिल विज और कृष्ण बेदी नायब सिंह के नाम का प्रस्ताव रखा। इस ऐलान के बाद नायब सिंह सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राजभवन पहुंचे और वहां पर 51 विधायकों के समर्थन वाला पत्र उन्हें सौंपा। ऐसे में आइये जानते हैं विधायक दल की बैठक नायब सिंह के नाम पर मुहर कैसे लगी?
1.मुहर लगनी पहले से तय थी
हरियाणा में 10 साल की सत्ता विरोधी लहर के बावजूद बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनना किसी चमत्कार से कम नहीं है। इसके लिए विश्लेषक सीएम सैनी के कामकाज की तारीफ भी करते हैं। चुनाव में कांग्रेस ने क्या गलतियां की, ये तो बीते जमाने की बात हो गई, लेकिन बीजेपी ने अपनी क्षमता और ताकत के आधार पर चुनाव लड़ा और विजय हुई। ऐसे में नायब सिंह के नाम पर मुहर लगनी पहले से तय थी।
2.सीएम सैनी के चेहरे पर लड़ा चुनाव
चुनाव से पहले बीजेपी आलाकमान ने घोषणा कर दी थी कि चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर नहीं, बल्कि नायब सिंह सैनी के चेहरे पर लड़ा जाएगा। इस फैसले के पीछे आलाकमान की सोच जो चाहे रही हो, लेकिन चुनाव जीतने के बाद वह इससे पीछे नहीं हट सकती थी।
3.पार्टी की जीत सुनिश्चित की
पूरे चुनाव के दौरान नायब सिंह बीजेपी की ओर से प्रचार की अगुवाई कर रहे थे। बड़े-बड़े चेहरे अपनी सल्तनत बचाने में व्यस्त थे, मगर नायब सिंह सभी विधानसभा क्षेत्रों के दौरे कर कार्यकर्ताओं को समझा रहे थे कि जो हुआ उसे भूल जाओ, एक बार फिर हरियाणा में भाजपा की सरकार बनवानी है। उनकी इस अपील का असर हुआ। कार्यकर्ता और काडर मैदान में उतरा तो पार्टी की जीत सुनिश्चित हुई।
4.नायब सिंह बीजेपी में आने से पहले संघ में काफी सक्रिय थे। चुनाव में उनको संघ का भरपूर सहयोग मिला। संघ ने चुनाव से 6 महीने सक्रियता दिखाकर पार्टी के लिए माहौल तैयार करना शुरू कर दिया था।
5.सीएम के दावेदार ऐसे निपटे
चुनाव से पहले अनिज विज, कुलदीप बिश्नोई और राव इंद्रजीत सिंह सीएम की कुर्सी को लेकर दावा ठोंक रहे थे, लेकिन केंद्रीय आलाकमान की सख्ती के आगे किसी की एक नहीं चली। अनिल विज ने आज सुबह अपना नाम सीएम के दावेदारों से अलग कर दिया। वहीं कुलदीप बिश्नोई तो भव्य बिश्नोई की हार के बाद से ही कोपभवन में हैं। अब बचे राव इंद्रजीत सिंह, जिन्हें फिलहाल अपना राजनीतिक भविष्य सिर्फ बीजेपी में ही नजर आता है। केंद्र में मंत्री पद के साथ-साथ बेटी आरती राव भी पहली बार विधायक बन गई हैं। इन सभी दावेदारों के शांत होने से एक संदेश बिल्कुल क्लियर है, बीजेपी में वही होता है जो आलाकमान चाहता है।
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6.सौम्य, विनम्रता ने कर दिया खेला
मनोहर लाल खट्टर की छवि बेहद सौम्य और विनम्रता वाली नहीं थी। पिछले 9 साल के कार्यकाल में उन्हें कई बार जनता से उलझता हुआ देखा गया था। इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान भी वे रैलियों में लोगों से उलझ जाते थे। कहा जाता है कि खट्टर के सीएम रहते आम आदमी के लिए सीएम आवास के दरवाजे बंदे रहते थे, लेकिन लोकसभा चुनाव से ऐन पहले सीएम बने नायब सिंह ने उस परसेप्शन को चेंज किया। ऐसे में बाजी उनके हाथ ही लगी।
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