Blood Pressure के मरीजों के लिए राहत भरी खबर, दो दवाओं की एक डोज करेगी कंट्रोल
Blood Pressure New Study: हाई बीपी तब होता है जब आपकी धमनी की दीवारों पर खून का दबाव लगातार तेजी से पड़ता है। यह समय के साथ आपकी आर्टरिज को नुकसान पहुंचाता है जिससे दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इस सामान्य स्थिति को हाइपरटेंशन भी कहते हैं। यह एक ऐसी गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम है, जो हर उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। एम्स की एक नई स्टडी में बीपी के मरीजों को नया तोहफा मिला है। दरअसल, एम्स रिसर्च टीम ने दो दवाओं के संयोजन का एक सिंगल डोज तैयार किया है, जिससे बीपी कंट्रोल किया जा सकता है। आइए रिसर्च के बारे में जानते हैं सब कुछ।
रिसर्च में बड़ा खुलासा
यह रिसर्च एम्स और इंपीरियल कॉलेज लंदन, दोनों ने ही की थी, जिसमें अनकंट्रोल बीपी को नियंत्रित करने के लिए दो-दो दवाओं के कॉम्बिनेशन से एक तीसरी दवा का निर्माण किया गया है। यह दवा काफी प्रभावशाली भी है और 70% तक मरीजों के ऊपर परिक्षण में सफल भी साबित हुई है। साथ ही, यह बताया गया कि पहले की दवाएं, ऐसे और भी ज्यादा असरदार हो गई हैं। भारत में लगभग 30% तक लोगों को बीपी की समस्या है, ऐसे में यह नई स्टडी इन लोगों के लिए एक बेहतर उपाय है।
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
एम्स के कार्डियोलॉजिस्ट एक्सपर्ट डॉक्टर अंबुज राय बताते हैं कि भारत में बीमारियां लोगों को अचानक घेरती हैं और लापरवाहियों के चलते बचाव या राहत पाने में समय लगता है। बीपी हाई होने से हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक जैसे घातक स्थितियां आपके सामने आ सकती हैं। हालांकि, पहले भी कॉम्बिनेशन दवाओं का इस्तेमाल मरीजों पर किया गया है लेकिन यह सभी उतने कारगर नहीं रहे हैं, जितना कि यह नया डोज रहा है। इससे पहले अफ्रीकन कॉम्बिनेशन वाली डोज की मदद से इलाज किया जाता था। इस नई दवा की मदद से सिंगल पिल भी 70% लोगों का बीपी कंट्रोल रहने लगा है।
कौन-कौन सी दवाओं पर हुई स्टडी?
इस स्टडी की शुरुआत दो दवाओं के कॉम्बिनेशन के तीन अलग-अलग बैच थे। इनमें एक डोज थी एमलोडिपाइन+पेरिंड्रोपिल, दूसरी- एमलोडिपाइन+इंडापामाइड और तीसरा बैच इंडापामाइड+पेरिंड्रोपिल का था। हालांकि, तीनों में सफल कौन सी हुई है, इस बात का खुलासा नहीं किया गया है।
किन पर हुई स्टडी?
भारत के लगभग 35 क्षेत्रों में 1,981 लोगों पर यह स्टडी की गई थी। इन इलाकों में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लोग शामिल थे। साथ ही, इन लोगों की उम्र 39 से 70 वर्ष के बीच थी। अगर साइड-इफेक्ट्स की बात करें, तो मात्र 3% लोगों में इसके दुष्परिणाम देखे गए हैं।
हाई बीपी के शुरुआती संकेत
हालांकि, इसे साइलेंट किलर माना जाता है लेकिन कुछ संकेत हैं, जिन्हें आप समझ सकते हैं।
- सिरदर्द होना।
- धुंधला दिखाई देना।
- चक्कर आना।
- सीने में दर्द रहना।
- सांस लेने में परेशानी होना।
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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।