महिलाओं में इस सेक्स हार्मोन के बढ़ने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा! जानें 5 कारण और बचाव के तरीके
Breast Cancer And Estrogen Level In Women: अगर आपका वजन ज्यादा है, तो ब्रेस्ट कैसर का खतरा आपके लिए बढ़ जाता है। इसकी बड़ी वजह है कि शरीर में मौजूद वसा एस्ट्रोजन उत्पादन को बढ़ा देती है, जिससे पूरे शरीर में जरूरत से ज्यादा एस्ट्रोजन का संचार होता है। ब्रेस्ट कैंसर होने की एक बड़ी वजह बदलती लाइफस्टाइल है।
अब लड़कियों में पीरियड्स की शुरुआत जल्दी होने लगी है, इसके साथ ही यह कम भी हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं का एस्ट्रोजन एक्सपोजर बढ़ रहा है। इस हार्मोन को कैंसर के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इसके अलावा, एक्सरसाइज न होना और मोटापा भी महिलाओं में होने वाले हार्मोनल चेंज के साथ होता है।
इसके साथ ही, क्रॉनिक स्ट्रेस भी आज की दुनिया में महामारी का रूप ले चुका है और यह भी परेशानी बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ता। एक और बदलाव जो आज के दौर में तेजी से बढ़ा है, वह है प्रजनन के मामले में बदलती पसंद, इसका मतलब है कि अब युवतियां कई कारणों से गर्भधारण में देरी करती हैं और प्रेगनेंसी की फ्रीक्वेंसी भी घट गई है, जिसके चलते एस्ट्रोजन एक्सपोजर लंबे समय तक बना रहता है। साथ ही, ब्रेस्टफीडिंग की कम ड्यूरेशन के चलते भी इस हार्मोन के सुरक्षा कवच का पूरा फायदा नहीं मिल पाता है।
एस्ट्रोजन पर असर करती हैं ये कुछ अन्य चीजें
पर्यावरण (Environment)
पर्यावरण भी अब कई दृष्टि से खतरनाक भूमिका निभा रहा है। अनहेल्दी डाइट, जिसमें प्रोसेस्ड फूड आइटम्स की भरमार होती है लेकिन फल और सब्जियां काफी कम शामिल होती है, शरीर की लिए काफी असंतुलित होती है। इसी तरह, पानी में भी कितनी ही तरह के टॉक्सिन और प्रदूषक तत्व मिले होते हैं, जिनमें से कई तो कैंसर फैक्टर भी होते हैं। यहां तक कि वायु प्रदूषण और उसका एक खास तत्व स्मॉग कई स्तरों पर एस्ट्रोजन को प्रभावित करता है।
मेनोपॉज (Menopause)
मेनोपॉज के बाद की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर सबसे आम है। जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, उनके ब्रेस्ट में फैटी सेल्स एरोमाटेज नामक एंजाइम का अधिक से अधिक मात्रा में उत्पादन करने लगती है। इसका नतीजा, उम्र के साथ महिलाओं के ब्रेस्ट में मौजूद एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ता है। एक बार स्थापित होने के बाद, ट्यूमर बढ़ने में मदद करने के लिए एस्ट्रोजन के लेवल को बढ़ाने का काम करता है और इम्यून सेल्स एस्ट्रोजन निर्माण को बढ़ावा देती है।
पीरियड जल्दी या देर से होना (Early Or Late Periods)
जल्दी पीरियड्स आना (11 साल की उम्र से पहले) या जीवन के आखिर तक (55 साल की उम्र के बाद) ना गुजरना भी ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है, क्योंकि इन दोनों फैक्टर के कारण बॉडी में एस्ट्रोजन का प्रोडक्शन ज्यादा होने लगता है, जो ब्रेस्ट कैंसर की वजह बन सकता है।
पारिवारिक इतिहास (Family History)
भारत में, जेनेटिक पहलू भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जबकि पहले इसके बारे में ऐसी राय नहीं थी। BRCA जीन्स में म्यूटेशन का नाता जेनेटिक्स ब्रेस्ट कैंसर से होता है और यह भारतीय महिलाओं में अधिक देखा गया है।
यानी भारतीय महिलाओं को न सिर्फ कैंसर का खतरा ज्यादा है बल्कि आक्रामक ट्रिपल नेगेटिव सबटाइप का खतरा भी है जो कि युवतियों को ज्यादा शिकार बनाता है। परिवार में अगर किसी को हो चुका है, तो आपकी बॉडी भी उसी तरह रिएक्ट करने लगती है।
इन 5 बातों का रखें ध्यान
- महिलाओं को साल में एक बार मैमोग्राम कराना जरूरी है।
- आपको कुछ महसूस होता है या दिखता है, तो अपनी स्क्रीनिंग का इंतजार न करें। तुरंत डॉक्टर से सलाह करें।
- फिजिकल एक्सरसाइज, पोषण से भरपूर डाइट और स्ट्रेस मैनेजमेंट के जरिए हेल्दी लाइफस्टाइल को बढ़ावा देकर बीमारी से बचाव हो सकता है।
- कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स खाने से बचें।
- स्मोकिंग और शराब का सेवन करने से बचें।
ज्यादा एस्ट्रोजन के प्रोडक्शन से कैसे बचें
- जितनी जल्दी आप अपना वजन कम करेंगे, उतनी ही जल्दी आप ज्यादा एस्ट्रोजन का एक्सपोजर खो देंगे।
- शराब का सेवन लिमिट में करें। अमेरिकन कैंसर इंस्टीट्यूट फॉर कैंसर रिसर्च के अनुसार, डेली अल्कोहलिक बेवरेज पीने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम से कम 5% बढ़ जाता है। डेली दो से तीन पेय आपके जोखिम को 20% तक बढ़ा देते हैं।
- रेगुलर एक्सरसाइज कैंसर के खतरे को कम करता है। एडल्ट हर हफ्ते कम से कम रोजाना 40 मिनट की एक्सरसाइज जरूर करें।
- हेल्दी फूड खाएं, इससे आपकी इम्यूनिटी स्ट्रांग रहेगी, तो कैंसर के जोखिम को काफी कम कर देगी।
ये भी पढ़ें- 3 समस्याएं होती हैं डायबिटीज का इशारा, स्किन के इन संकेतों को न करें इग्नोर
Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले डॉक्टर की राय अवश्य ले लें। News24 की ओर से कोई जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।