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छोटी उम्र में क्यों बढ़ रहा कैंसर? क्या वैज्ञानिकों ने सुलझा लिया रहस्य

Cancer Risk In Youth: कैंसर बढ़ती गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है, जिसकी वजह से हर साल लाखों लोगों की मौत होती है। भले ही नई मेडिकल फैसिलिटी के चलते कैंसर का इलाज अब आसान बन चुका है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि युवाओं में बहुत तेजी से कैंसर क्यों फैल रहा है..
11:35 AM Apr 09, 2024 IST | Deepti Sharma
Image Credit: Freepik
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Cancer Risk In Youth: क्या वैज्ञानिकों ने युवाओं में कैंसर का रहस्य सुलझा लिया है? कम उम्र में युवा क्यों कैंसर की चपेट में आ रहे हैं। एक समय कैंसर को बुढ़ापे की बीमारी मानते थे, लेकिन आज के टाइम ये युवाओं में तेजी से फैल रहा है। लगातार युवाओं को कैंसर अपना शिकार बना रहा है और ज्यादातर कैंसर के मामले 50 से कम उम्र के लोगों में बढ़ रहे हैं।

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कई एक्सपर्ट का मानना है कि उन्होंने उन शारीरिक बदलावों का पता लगा लिया है जो 50 साल से कम उम्र में कैंसर की दर को छू रहे हैं। हेल्दी लोगों में कैंसर का डायग्नोसिस क्यों किया जा रहा है? पिछले 20 सालों में 50 से कम उम्र के लोगों में इस बीमारी के मामलों में 30% की वृद्धि हुई है। जैसा कि 42 साल की राजकुमारी केट मिडलटन सहित हाई प्रोफाइल रोगियों में कैंसर के मामले देखे जा रहे हैं। 42 वर्षीय केट मिडलटन ने पिछले महीने बहादुरी से खुलासा किया कि पेट की सर्जरी के बाद उन्हें भी कैंसर हो गया।

ऑस्ट्रेलिया में प्रति 100,000 लोगों पर 135 की दर के साथ दुनिया में शुरुआती कैंसर के निदान की संख्या सबसे ज्यादा देखी गई है। इसके अलावा न्यूजीलैंड में प्रति 100,000 लोगों पर 50 से कम उम्र के 119 मामलों के साथ यह दर दूसरी सबसे ज्यादा है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स 

सेंट लुइस में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के एक्सपर्ट्स द्वारा किए गए एक नई स्टडी में पाया गया कि हाई कैंसर दर वाली पीढ़ियों के शरीर में सेल्स और टिश्यू होते हैं, जो उनकी उम्र से ज्यादा पुराने होते हैं।

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1965 के बाद जन्मे लोग- 59 साल या उससे कम उम्र के- ऑर्गेनिक रूप से उनकी क्रोनोलॉजिकल आयु से ज्यादा बड़े हो सकते हैं। सेल्स हर एक शारीरिक क्रिया का केंद्र हैं और जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती है, उसकी मरम्मत करने और रिप्रोडक्शन करने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे कई प्रकार के साइड इफेक्ट होते हैं। औसत से ज्यादा उम्र बढ़ने वाले लोगों में फेफड़े, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और यूटेरस कैंसर सहित किसी भी ठोस ट्यूमर कैंसर के विकास का जोखिम 17 % ज्यादा था।

विशेषज्ञों ने कहा कि इसका मतलब यह हो सकता है कि एक साधारण ब्लड टेस्ट और एल्गोरिदम का उपयोग यह पता लगाने के लिए किया जा सकता है कि उम्र बढ़ने के कारण कैंसर का खतरा अधिक है। तेजी से बुढ़ापा अधिक तनावपूर्ण जीवनशैली और खराब मेंटल हेल्थ, मोटापा और जंक फूड के सेवन के कारण हो सकता है।

स्टडी के लिए, रिसर्चरों ने बायो मेडिकल डेटा यूके बायो बैंक में करीब 150,000 लोगों के डेटा को ट्रैक किया। हर एक लोगों की बायोलॉजिकल उम्र जानने के लिए ब्लड टेस्ट से नौ ब्लड बेस्ड मार्करों को देखा गया है। किसी की सेल्स और टिश्यू कितने पुराने हैं। मार्करों में एल्ब्यूमिन शामिल था। लिवर द्वारा निर्मित एक प्रोटीन और ब्लड वेसल्स से तरल पदार्थ को बाहर निकलने से रोकने के लिए महत्वपूर्ण है वो उम्र के साथ कम हो जाता है और रेड ब्लड सेल्स का आकार, जो उम्र के साथ बढ़ता है।

जब ब्लड सेल्स बड़ी होती हैं, तो वे अलग होने और गुणा करने में कम योग्य होती हैं। इन्हें PhenoAge नामक एल्गोरिदम में किया गया। इसके बाद रिसर्चरों ने प्रतिभागियों की वास्तविक उम्र के साथ इसकी तुलना की और कैंसर रजिस्ट्री में देखा कि कितने लोगों को प्रारंभिक कैंसर का पता चला था, जिसे 55 वर्ष की आयु से पहले कैंसर के रूप में परिभाषित किया गया था। लगभग 3,200 प्रारंभिक कैंसर का निदान किया गया। 1965 या उसके बाद पैदा हुए लोगों में 1950 और 1954 के बीच पैदा हुए लोगों की तुलना में तेजी से उम्र बढ़ने की संभावना 17 % अधिक थी।

वाशिंगटन विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट छात्र और अध्ययन के पहले लेखक रुइया तियान ने कहा कि उम्र के विपरीत, बायोलॉजिकल उम्र डाइट, फिजिकल एक्टिविटी, मेंटल हेल्थ और तनाव जैसे फैक्टर से प्रभावित हो सकती है। युवा पीढ़ी अनुमान से अधिक तेजी से बूढ़ी हो रही है।

युवावस्था में कैंसर होने का खतरा किसे ज्यादा है

युवाओं में ज्यादा से ज्यादा कैंसर, खासकर जीआई कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर देख रहे हैं। अगर उनकी पहचान कर सकते हैं जो उनकी सेल्स के तेजी से बूढ़े होने के कारण अधिक जोखिम में हैं, तो पोषण, व्यायाम और नींद जैसी चीजों के लिए जीवनशैली में बदलाव कर सकते हैं। जिन लोगों में तेजी से उम्र बढ़ने के मामले सबसे ज्यादा थे, उनमें जल्दी उम्र बढ़ने के मामले में फेफड़ों के कैंसर का खतरा डबल था, उन लोगों की तुलना में, जिनमें तेजी से उम्र बढ़ने की संभावना सबसे कम थी। उनमें पेट के ट्यूमर का खतरा 60 % और गर्भाशय कैंसर का खतरा 80 % अधिक था।

अन्य टिश्यू की तुलना में फेफड़ों की उम्र बढ़ने का खतरा अधिक हो सकता है क्योंकि उनमें पुनर्जीवित होने की क्षमता सीमित होती है। इस बीच, पेट और आंतों के कैंसर को सूजन से जोड़ा गया है, जो उम्र बढ़ने के साथ बदतर हो जाती है।

जीवनशैली के फैक्टर जैसे धूम्रपान या वेपिंग सेल्स को होने वाले नुकसान को बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं और इसलिए बायोलॉजिकल उम्र - ब्लड सेल्स और बीपी पर प्रभाव के कारण हो सकते हैं।

कोरिया के रिसर्चरों ने 2.9 मिलियन से अधिक लोगों का अध्ययन किया और पाया कि जिन लोगों ने धूम्रपान बंद कर दिया, उनमें धूम्रपान नहीं छोड़ने वाले लोगों की तुलना में सभी प्रकार के कैंसर का खतरा 17 % कम था। धूम्रपान से फेफड़े, पेट, कोलोरेक्टल, लिवर, पेनक्रियाज और किडनी सहित कई कैंसर के लिए माना जाता है।

भरपूर नींद न लेने से बायोलॉजिकल उम्र भी बढ़ सकती है, साथ ही अधिक वजन और मोटापा भी बढ़ सकता है। इन सभी फैक्टर को 50 से कम उम्र में कैंसर के बढ़ते मामलों में भी देखा गया है।

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Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।

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